देहरादून। जिले के विकास नगर, सेलाकोई, हरबटपुर आदि क्षेत्रों में जनसंख्या असंतुलन का खतरा मुंह उठाने लगा है। मुस्लिम आबादी ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया है।
एक तरफ हिमाचल और दूसरी तरफ हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगे पछुवा देहरादून क्षेत्र में सामाजिक बदलाव तेजी से दिखाई देने लगा है। सेलाकोई औद्योगिक क्षेत्र, हरबटपुर और विकासनगर में यूपी, बिहार और कथित रूप से बांग्लादेश से आए मुस्लिम लोगों ने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया है। जनप्रतिनिधियों के पार्षद और जिला पंचायत सदस्य इन्हें संरक्षण देते हैं। स्वरना नदी के किनारे हजारों की संख्या में मुस्लिमों को यूपी से लाकर बसाने वाले कौन लोग हैं? ये सवाल वहां हर किसी की जुबान पर है।
“पाञ्चजन्य” ने पिछले दिनों नदी किनारे मुस्लिम आबादी के बसने और वहां इस्लामिक झंडे लहराने की खबर का उल्लेख भी किया था। यहां के लोग खुलेतौर पर बोलते हैं कि उन्हें यहां राशिद और इरशाद ने बसाया, इन्हीं दोनों ने यहां सरकार की बेनाप भूमि पर ईदगाह और मजारें तक बना दी हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्य सरकारों को ये आदेश है कि कोई भी नया धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता और इसकी निगरानी राज्यों के उच्च न्यायालय किया करेंगे और इस बारे में उत्तराखंड गृह मंत्रालय से 17 मई 2016 को एक स्मरण पत्र सभी जिलाधिकारियों को जारी भी किया गया था। बावजूद इसके पछुआ देहरादून में अवैध रूप से मजहबी स्थल कैसे बनते जा रहे हैं? ये बड़ा सवाल है। गौर करने वाली बात ये है कि यहां के विधायक, जनप्रतिनिधि भी वोटों की लालच में जनसंख्या असंतुलन की घटनाओं में मूकदर्शक की भूमिका में हैं।
मुस्लिम राजनीतिक दल का गठन
स्मरण होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने यहां सेलाकोई में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाए जाने की मांग उठाई थी और कांग्रेस ने इसकी घोषणा भी कर दी थी। बाद में जब ये मुद्दा बीजेपी ने गर्म किया तो कांग्रेस ने अकील अहमद को पार्टी से निकाल दिया, इन्हीं अकील अहमद ने अब मुस्लिमों की आम इंसान पार्टी बनाए जाने की घोषणा कर दी है। अकील अहमद ने ऐसे ही नहीं राजनीतिक दल बना दिया, उनकी सोच दूरगामी इसलिए लगती है कि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में मुस्लिम पार्टी बनाकर वह अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं, कोई बड़ी बात नहीं कि उन्हें बाहरी संस्थाओं से फंडिंग भी हो रही हो।
मुस्लिम संस्थाओं की सीनाजोरी
विकासनगर क्षेत्र के जीवनगढ़ में पिछले दो साल से ब्राइट एंजल स्कूल के प्रबंधकों ने प्रशासन की नाक में दम किया हुआ है। शिकायत मिलने पर स्कूल में बीते दिन बाल आयोग की अध्यक्ष डा गीता खन्ना ने खंड शिक्षा अधिकारी बी पी सिंह के साथ निरीक्षण किया तो जानकारी मिली कि यहां मुस्लिम टीचर और बच्चे हिजाब पहने हुए थे। स्कूल निदेशक के कक्ष में पाकिस्तान के पूर्वप्रधान मंत्री इमरान खान की फोटो लगी हुई थी। यही नहीं स्कूल कृषि भूमि पर चल रहा था यानि उसका लैंड यूज नहीं बदला गया और न ही इसका नक्शा देहरादून विकास प्राधिकरण से पास करवाया गया था। प्राधिकरण के नोटिस पर उसपर स्टे लिया गया था। स्कूल को सीबीएससी ने हिंदी मीडियम की मान्यता थी जबकि पढ़ाई इंग्लिश माध्यम से चल रही थी। डॉ. खन्ना ने ये भी जानकारी हासिल की कि यहां के बच्चों को पास के मदरसे में नमाज के लिए ले जाया जाता है। एक-दो नहीं, कई स्कूल ऐसे हैं जोकि जिला प्रशासन को आईना दिखाते रहते हैं। हिजाब को लेकर पिछले साल भी इस स्कूल को लेकर खबरें सुर्खियां बनी थीं।
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