पुरस्कार आएंगे और जाएंगे। अगर पाठकों को लेखक की पुस्तक में रुचि है तो वे इसे पसंद करेंगे। महत्वपूर्ण यह है कि किसी लेखक की मृत्यु के बाद भी उनकी पुस्तक की प्रासंगिकता बनी रहे। इस सम्मान के लिए केन्द्र सरकार का आभार। -डॉ. एस.एल.भैरप्पा
भारत के सुप्रसिद्ध एवं बहुत चर्चित कन्नड़ उपन्यासकार डॉ. संतेशिवरा लिंगन्नैया भैरप्पा इस वर्ष पद्मभूषण सम्मान के लिए चुने गए हैं। 24 उपन्यास, 6 आलोचनात्मक रचनाएं और एक आत्मकथा लिखने वाले डॉ. भैरप्पा उन कन्नड़ लेखकों में से एक हैं जिनकी रचनाएं सबसे ज्यादा बिकी हैं। 2015 में साहित्य अकादमी फैलोशिप तथा 2016 में पद्मश्री से सम्मानित हो चुके डॉ. भैरप्पा ऐसी बहुमुखी प्रतिभा हैं जिन्होंने 6 विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त की है।
डॉ. भैरप्पा की अनेक पुस्तकों का भारत की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और उनमें भी उनके पाठकों की बहुत बड़ी संख्या है। आश्चर्य की बात है कि उनकी मराठी में अनुदित रचनाएं भी सबसे ज्यादा बिकी हैं।
डॉ. भैरप्पा की रचनाओं से पता चलता है कि उन्हें एक लेखक के नाते भारत की दार्शनिक तथा सांस्कृतिक परंपराओं की गहरी समझ है।
उनकी लिखी अनेक पुस्तकें आज कर्नाटक राज्य में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। उनकी प्रेरणा से लगभग 20 शोधार्थी पीएचडी उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।
डॉ. भैरप्पा की साहित्यिक आलोचना के चार खंडों तथा सौंदर्यशास्त्र, सामाजिक विषयों के साथ ही भारतीय संस्कृति पर आधारित पुस्तकों को बड़े चाव से पढ़ा गया है। गत तीन दशक से भारत के ये प्रतिष्ठित लेखक एनसीईआरटी में दर्शनशास्त्र विषय के प्रोफेसर रहे हैं। पद्मभूषण सम्मान देने के लिए उन्होंने केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया है।
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