इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के 150वें स्थापना दिवस समारोह के समापन सत्र में संबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू, चीफ जस्टिस राजेश बिंदल सहित कई न्यायधीश शामिल हुए। इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को पूरी तरह से खत्म किया जाएगा। अंग्रेजों का नाम हर जगह से हटाया जाएगा, उसकी प्रक्रिया चल रही है।
कानून मंत्री ने इस दौरान कहा कि ‘मैंने देखा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने (कॉलेजियम पर) चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। हम अपने आप को इस महान देश के सेवक के रूप में देखते हैं, वह अपने आप में बड़ी बात है। लोगों ने हमें मौका दिया है काम करने का। आप सब प्रिवेलेज लोग हैं, जज-वकील बने हैं।।पढ़ लिखकर ही बने हैं। हम खुशकिस्मत हैं कि देश के लिए काम करने के लिए जिम्मेदारी मिली है।’
कॉलेजियम सिस्टम पर भी रखी बात
इस दौरान केंद्रीय कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम पर अपनी बात रखते हुए कहा कि। यह सब की जिम्मेदारी बनती है कि हर किसी को सस्ता और सरल तरीके से न्याय सुलभ हो। कहा जाता है कि हमारी वजह से यह मुद्दा लगातार सुर्खियों में रहता है, लेकिन जब हम नहीं बोलते तब भी इस पर चर्चा छिड़ी रहती है और इस पर बहसबाजी कर विवाद को बढ़ाने का काम किया जाता है। किरेन रिजिजू ने कहा के कई लोग रिटायर होने के बाद टीवी की बहस में शामिल होते हैं और मामले को बेवजह तूल देने देकर उसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं।
खुद को देश का मालिक नहीं समझना चाहिए
कानून मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि किसी को भी खुद को देश का मालिक नहीं समझना चाहिए। देश की असली मालिक यहां रहने वाली जनता है और बाकी लोग सिर्फ संविधान का पालन कराने के लिए हैं। संविधान ही इस देश की गाइड है। कानून मंत्री ने खुद को महान देश का सेवक बताया तो साथ ही साथ किसी का नाम लिए बिना कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को बहुत सोच समझकर ही बोलना और निर्णय करना चाहिए।
लोग न्याय का इंतजार करते-करते खत्म हो जाएंगे
कानून मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा मुकदमे पेंडिंग है। अगर अभी कोशिश नहीं की गई तो बहुत जल्द ही यह संख्या आठ करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी और लोग न्याय का इंतजार करते-करते खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल सभी लोगों को कैसे आसानी से सस्ता न्याय मिले, इस बारे में सोचना चाहिए। मातृभाषा के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में अदालत का कामकाज होना चाहिए। उसके फैसले होने चाहिए।
न्यायपालिका और सरकार के बीच कतई कोई मतभेद नहीं
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार छोटी-छोटी पंचायतों और ट्रिब्यूनल्स के जरिए मुकदमों को निचले स्तर पर ही खत्म कराने की कोशिश में लगी हुई है। हालांकि उन्होंने यह सफाई भी दी कि कॉलेजियम समेत किसी भी मुद्दे पर न्यायपालिका और सरकार के बीच कतई कोई मतभेद नहीं है। कई बार मीडिया में बेवजह सुर्खियां बना देता है।
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