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हिंद की सरजमीं पर मुस्लिम देशों की गुहार, “बड़ा भाई भारत” निभाए विश्वगुरु की भूमिका

अब मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों से मिले इंद्रेश कुमार...हिंसा, कट्टरता पर वार... विश्वशांति और विकास पर ज़ोर

by WEB DESK
Feb 3, 2023, 09:15 pm IST
in भारत
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राजधानी दिल्ली में राष्ट्रवाद की नई मुहिम देखने को मिली। गैर सरकारी स्तर पर हुई अब तक की सबसे बड़ी कवायद में भारत और दर्जन भर मुस्लिम देशों ने एक नई मुहिम की शुरुआत की है। इसमें अनेकता में एकता, सौहार्द, सहयोग, शिक्षा, संस्कृति, साहित्य, समन्वय, धार्मिक संयम व सम्मान और व्यापार पर ज़ोर दिया गया है।

संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में जेएनयू में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में दर्जन भर मुस्लिम देशों के डिप्लोमेट्स, उच्चायुक्त, स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। ईरान से इराज इलाही, तुर्की से फिरत सोनल, ताजिकिस्तान से लुकमोन बाबा कोलाजदेह, कजाकिस्तान से नूरलान जालगैसबेव और हबीबुल्लो मिर्जोजोदा, किर्गिस्तान से आसीन ईसाएव, उज़्बेकिस्तान से दिलसोद अख्तोव और अजीज बरतौन, तुर्कमेनिस्तान से शालर गेल्डीनजारव, मंगोलिया से गैनबोल्ड दंबजाव, आर्मेनिया से आर्मेन मार्टिरोस्यन, अफगानिस्तान से फरीद मामुंडजै और अजरेबाईजान से अशरफ शिखलियेव शामिल हुए। वक्ताओं में इराज इलाही, दरखन सेतनोव, हबीबुल्लो मिर्जोजोदा, अजीज बरतोव और इज्जेंदर अटालियेव मुख्य तौर पर रहे। सभी ने माना कि भारत हमारा बड़ा भाई है और वह आगे बढ़ कर विश्वगुरु की भूमिका निभाए। इस पर इंद्रेश कुमार ने स्पष्ट किया कि हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की संकल्पना सभी को परिवार मानकर चलने की है। भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है और विविधताओं को भिन्नता बताएंगे तो विवादों को जन्म मिलेगा।

मिशन डॉक्यूमेंट पर सहमति

सम्मिलित देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और 50 से ऊपर आए प्रतिनिधियों ने मांग रखी कि इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में एक चार्टर्ड मिशन डॉक्यूमेंट जिसे विजन डॉक्यूमेंट भी कहा जा सकता है, तैयार हो। संघ नेता ने प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार करते हुए मिशन डॉक्यूमेंट बनाने का जिम्मा लिया और अंत में दो दिन की चर्चा और गहन मंथन के बाद सभी पॉइंट्स बिंदुवार ढंग से रखे गए जिस पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी ने मिशन डॉक्यूमेंट पर अपनी सहमति जताई।

मंत्री ने भी की शिरकत

सेमिनार में राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, इंदिरा गांधी कला केंद्र के सचिव प्रो. सच्चिदानंद जोशी, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के महामंत्री गोलोक बिहारी और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक जामिया मिलिया इस्लामिया से प्रो. एम महताब आलम रिजवी ने भी भाग लिया। हिमालय हिन्द राष्ट्र समूह, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (FANS) और स्कूल ऑफ लैंग्वेज लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारत और मध्य एशिया ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व आर्थिक संपर्क विषय पर जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार हुआ था जिसमें सभी देश के प्रतिनिधिगण जुटे थे।

कोई काफिर नहीं

राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के तले हुए इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में जो प्रस्ताव पास हुआ, इस पर शामिल देशों से आए प्रतिनिधियों ने मुहर लगाते हुए यह माना कि हर कोई ईश्वर को मानने वाला है, तरीका अलग हो सकता है परंतु कोई काफिर नहीं है। सेमिनार में यह बात निकल कर आई कि कोई अगर किसी को काफिर कहता है तो हम सभी देश उसकी कड़ी निंदा करते हैं।

आतंकवाद पर एकजुट होकर प्रहार

आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों ने एक स्वर में अपनी बातें रखीं। इंद्रेश कुमार ने कहा कि शांति, विकास, सद्भाव और मानवता का दुश्मन है आतंकवाद। बम, बारूद, गोला, गोली या पत्थर किसी समस्या का समाधान नहीं है। किसी भी सभ्य समाज में आतंकवाद, माओवाद, नक्सलवाद जैसी असमाजिक चीजों की कोई जगह नहीं होती है, अतः सभी ने एकजुट होकर इसका घनघोर विरोध करना चाहिए। संघ नेता की बातों का मौजूद सभी देशों ने जोरदार स्वागत किया तथा इसमें अपनी भूमिका निभाने का वादा किया। प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इसे अपने देशों में पनपने नहीं देंगे और दुनिया से भी अपील करते हैं कि सभी देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों।

कट्टरता और हिंसा स्वीकार नहीं

सेमिनार में इस बात को लेकर भी सहमति बनी की धर्म, धर्मग्रंथ, धर्मस्थल, धार्मिक महत्व, धार्मिक महापुरुष अर्थात देवी, देवता, नबी, पैगंबर… किसी की भी आलोचना करना हिंसा और अराजकता उत्पन्न करता है जो निंदनीय है। इसलिए सभी को अपने अपने पंथों पर चलना चाहिए और अपमान नहीं करना चाहिए। इससे शांति, एकता, भाईचारे और सौहार्द का रास्ता बना रहता है।

कन्वर्जन न हो

राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक ने कहा कि विश्वशांतिों और विकास के लिए मतांतरण पर रोक जरूरी है। इससे दंगामुक्त मानवता और गौरवशाली राष्ट्र बनाया जा सकता है। संघ नेता के इस वक्तव्य की सराहना करते हुए मौजूद सभी देशों के प्रतिनिधियों ने कन्वर्जन पर एकजुट होकर विरोध जताया और माना कि धार्मिक उन्माद, छेड़छाड़ और मतांतंरण अधर्म का रास्ता है और इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए।

शांति का मार्ग एशिया से

सेमिनार में यह बात आई कि विश्वशांति एवं प्रगति का मार्ग एशिया से होकर गुजरता है और भारत के बिना विश्व में शांति एवं सद्भाव स्थापित नहीं किया जा सकता है। सभी देशों ने इस प्रस्ताव पर भी मंजूरी दी की कि मौजूद सभी देशों को आपस में सहयोग और समन्वय बढ़ाना चाहिए। इंद्रेश कुमार ने कहा कि इससे आपसी संवाद, कला, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और व्यापार में वृद्धि होगी। इस बात पर भी सहमति बनी की हवाई मार्ग के अतिरिक्त सड़क और समुद्र के रास्तों के जरिए आपसी एकता अखंडता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

डिजिटल का जादू

उन्होंने कहा कि आज डिजिटल का जमाना है, सेकंड भर में चीजों को विस्तार मिल जाता है। ऐसे में यह भी अहम है कि कार्यक्रम में आए देशों के रिश्तों की मिठास के लिए तीव्र गति से संवाद, सहयोग और व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से डिजिटल शक्तियों पर भी भरपूर काम किया जाना चाहिए। उनकी बातों का दर्जन भर मुल्कों से आए प्रतिनिधियों ने स्वागत किया।

मोमबत्तियों साथ लगे नारे

सेमिनार के अंत में मौजूद सभी देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों ने जलती हुई मोमबतियों के साथ एक स्वर में नारा लगाया कि, “अंधकार मिटायेंग, प्रकाश लायेंगे”.. “आवाज़ दो हम एक हैं”… “हमारा रास्ता नफरत, दंगा, युद्ध नहीं बल्कि शांति सद्भाव, भाईचारा और विकास है”।

अतिथियों में देश से विदेश तक

मौजूद विशिष्ट अतिथि में डीन जेएनयू प्रो. मजहर आसिफ, आर.डी.एफ.आई.एच. के निदेशक महेश चंद्र शर्मा, लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त आर. एन. सिंह, सेवानिवृत मेजर जनरल एस भट्टाचार्य समेत अनेकों गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। खासियत यह रही की देश के उत्तर से लेकर दक्षिण, पूर्व से लेकर पश्चिम तक के लोग सेमिनार में शामिल हुए। सम्मिलित होने वालों में समाज के हर धर्म, समुदाय, वर्ग और तबके के लोग रहे। बैठक में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भारी संख्या में शिरकत की। जिसका एक स्वाभाविक कारण रहा दर्जन भर मुस्लिम देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, प्रतिनिधियों मिलाकर 50 से ऊपर विदेशी मेहमानों का सम्मिलित होना। दो दिन के सेमिनार में तकरीबन हजार लोगों ने सभी मुद्दों को बड़ी रुचि के साथ सुना और वक्ताओं का जोरदार अभिनंदन किया।

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