मुजफ्फरपुर में एक महिला की किडनी निकाल कर बेच दी गई। अब वह डायलिलिस के भरोसे जी रही है और उसके बच्चे भूख से तड़प रहे हैं।
अब बिहार के हर क्षेत्र में जंगलराज के सबूत मिलने लगे हैं। बता दें कि लालू—राबड़ी राज में जंगलराज का भयानक रूप सामने आया था। सत्तारूढ़ नेताओं का इशारा ही एक तरह से कानून बन गया था। इस कारण हर क्षेत्र और विभाग में गिरावट हुई थी और अराजकता फैल गई थी। अब एक बार फिर से वैसी ही अराजकता देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य क्षेत्र में तो बहुत ही बुरा हाल है। बता दें कि 90 के दशक में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदतर थी। किडनी चोरी की घटना आम थी। राजकीय चिकित्सालयों में भी दलाल सक्रिय थे और वे लोग चिकित्सकों की मदद से किडनी का गोरखधंधा करते थे। कहीं किसी शिकायत पर कोई कार्रवाई भी नहीं होती थी। ऐसा लगता था कि किडनी के गोरखधंधे में सत्तारूढ़ दल के नेताओं की सहभागिता हो। अब पुनः वैसी ही घटनाएं सामने आ रही हैं।
हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक जानकारी के अनुसार 3 सितंबर, 2022 को युट्रस के आपरेशन के बजाय फर्जी डाॅक्टरों ने एक गरीब महिला की दोनों किडनी निकाल ली। कुछ दिन पहले जिस पति ने साथ जीवन निभाने का वादा किया था, वह भी उसे बीच मझधार में छोड़कर भाग गया। पीड़िता के तीन बच्चे हैं। अब वह पल-पल इन बच्चों की चिंता में मरी जा रही है।
मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल काॅलेज में पीड़िता सुनीता का इलाज चल रहा है। कुछ समय तक तो उसने किसी तरह मजदूरी करके बच्चों का पालन-पोषण किया, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी उसकी स्थिति बिगड़ती जा रही है। उसे हरेक 2 दिन में डायलिसिस कराना पड़ता है। हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। सुनीता का पति अकलू राम उसके साथ था। वह किडनी भी देने के लिए तैयार हुआ, लेकिन उसकी किडनी मैच नहीं हुई। एक दिन उसकी लड़ाई सुनीता से हुई और वह तीनों बच्चों को उसके पास छोड़कर भाग गया।
रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर में बरियारपुर चौक के नजदीक एक निजी क्लिनिक शुभकांत में सुनीता देवी की किडनी निकाल ली गई थी। जब सुनीता की स्थिति बिगड़ी तो क्लिनिक संचालक पवन उसे पटना के नर्सिंग होम में भर्ती कराके भाग गया। पुलिस पवन को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
मरीज डाॅक्टर को दूसरा भगवान मानता है, लेकिन बिहार के कुछ चिकित्सकों की नजर मरीज की सही चिकित्सा के बजाय उसकी किडनी पर रहती है। इससे जुड़ी एक और घटना काफी डराने वाली है। 2016 के मई माह में कटिहार के बरारी थाना के अंतर्गत कठोतिया गांव के रहने वाले मो. रफीक के पेट में अक्सर दर्द रहता था। वह अपने परिवार के साथ बसावन पार्क स्थित बीके सर्जिकल क्लिनिक में भर्ती हुआ। कुछ जांच कराने के बाद डाॅक्टर ने पथरी के आपरेशन की बात कही और उसका आपरेशन भी हो गया। इसके बावजूद उसकी परेशानी कम नहीं हुई। पहले की अपेक्षा उसका दर्द और बढ़ गया। मरीज की बढ़ती परेशानी को देख डाॅक्टर ने उसे पटना के बहुचर्चित पारस अस्पताल में भेज दिया। पारस के डाॅक्टरों ने जांच के बाद कहा कि मरीज की एक किडनी गायब है। परिजनों ने इस संबंध में जब पहले वाले डाॅक्टर से बात कि तो वह सकपका गया। उसने सहमते हुए कहा कि मरीज की किडनी में खून बह रहा था। उसके मरने की संभावना थी। इसलिए बगैर बताए यह सब कुछ कर दिया। इस संबंध में कृष्णा नगर थाने में मामला भी दर्ज हुआ। इसके बाद आरोपी डाॅक्टर फरार हो गया।
बिहार के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डाॅ. विनोद पांडेय चिकित्सकों की इस कुकृत्य को मनोवैज्ञानिक समस्या मानते हैं। जल्दी अमीर बनने की आपाधापी में कुछ डॉक्टर हर कर्म-कुकर्म करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब समाज में पैसे से प्रतिष्ठा आंकी जाएगी, तो ऐसे कुकृत्य होंगे ही। वैसे बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ऐसी घटनाओं के लिए राज्य सरकार को दोषी मानते हैं।
एक और घटना बताना जरूरी है। 90 के दशक में पटना के बोरिंग रोड में पहला मल्टीस्पेशलिटी हाॅस्पिटल राज चिकित्सालय के नाम से खुला। पटना के पाॅश इलाके पाटलिपुत्र में स्थित राज चिकित्सालय का अपने समय में जलवा था। पटना के सभी प्रतिष्ठित चिकित्सकों का नाम वह भुनाता था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी असलियत सामने आने लगी। वहां भर्ती मरीजों की किडनी निकालने का मामला धीरे-धीरे सामने आने लगा। न्यायालय के आदेश के बाद वह अस्पताल बंद कर दिया गया है।
जब आप गौर से इन घटनाओं को देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि इस तरह की घटनाएं उस समय ज्यादा होती हैं, जब सरकार में लालू यादव की पार्टी राजद हो। अब आप तय करें कि बिहार में हो क्या रहा है।
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