देश की स्वाधीनता। हमने स्वतंत्रता तो प्राप्त की, लेकिन जिस वैभवशाली भारत के निर्माण का सपना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देखा, उसी को लेकर संघ आगे बढ़ रहा है। नेताजी चाहते थे कि व्यक्ति निर्माण कर समाज को सशक्त बनाया जाए और संघ वही कर रहा है।
गत जनवरी को कोलकाता में स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी पराक्रम दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ‘नेताजी लह प्रणाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें कोलकाता और हावड़ा महानगर के लगभग 10,000 स्वयंसेवक उपस्थित हुए। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में अनेक विचारधाराओं के लोग शामिल थे।
सबके रास्ते अलग-अलग थे, लेकिन गंतव्य एक था – देश की स्वाधीनता। हमने स्वतंत्रता तो प्राप्त की, लेकिन जिस वैभवशाली भारत के निर्माण का सपना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देखा, उसी को लेकर संघ आगे बढ़ रहा है। नेताजी चाहते थे कि व्यक्ति निर्माण कर समाज को सशक्त बनाया जाए और संघ वही कर रहा है। उन्होंने कहा कि नेताजी का जीवन वैभवशाली भारत निर्माण के लिए कष्ट सहने, तपस्या करने और पूर्ण समर्पण का आदर्श उदाहरण है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि नेता ऐसा हो जो पूरी तरह से समर्पित, स्वार्थ रहित और राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ आगे बढ़े और नेताजी उसके मूर्त उदाहरण थे। उन्होंने कहा कि आजाद हिंद फौज का गठन हुआ और सैनिकों को पैदल चलना पड़ता था, तब नेताजी भी उनके साथ पैदल चलते थे। जो खाना सैनिक खाते थे, वही नेताजी खाते थे और सबके बीच रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध घोष किया। अगर समय चक्र सही चलता तो देश काफी पहले स्वतंत्र हो जाता।
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