गुवाहाटी: असम पुलिस ने 27 जनवरी को असम के बारपेटा जिले के कुरबाहा इलाके में बाल विवाह कराने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में काजी (इमाम), दूल्हा सनाउर हुसैन और उसके परिवार के दो अन्य सदस्य शामिल हैं। पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
बुधवार को ही हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने कैबिनेट के एक फैसले में बाल विवाह के खिलाफ आपराधिक अपराध कार्रवाई करने का निर्णय लिया था।
जिसके बाद हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार की घोषणा के महज चार दिन बाद ही ये गिरफ्तारी हुई है। जहां बुधवार को कैबिनेट के एक फैसले में बाल विवाह के खिलाफ आपराधिक अपराध कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है, और राज्य में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए पूरे राज्य में सख्त कदम उठाए जाने का फैसला हुआ था।
पुलिस के मुताबिक बारपेटा के पास गुबर्धना जिले का रहने वाला 29 वर्षीय युवक जिसका नाम सनाउर हुसैन है, उसने 15 वर्षीय नाबालिग लड़की से शादी करने की योजना बनाई थी। जिसमें उसके पिता सायब अली, चाचा नूर इस्लाम और काजी सहित चार लोग शामिल थे, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
बतादें, गुरुवार को 15 वर्षीय नाबालिग लड़की से शादी करने के लिए दूल्हा, काजी और उसके परिवार के लोग कुरबाहा गांव पहुंचे थे।जहां स्थानीय पंचायत द्वारा बाल विवाह की सूचना पुलिस को दी गई थी।
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस की टीम ने शाहनूर अली को बाल विवाह की व्यवस्था कराने के आरोप, 29 वर्षीय दूल्हे सनाउर हुसैन, उसके पिता सायब अली, चाचा नूर इस्लाम और काजी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि नाबालिग लड़की को काउंसलिंग और आगे की देखभाल के लिए एनजीओ सखी को सौंप दिया है।
मालूम हो असम सरकार ने राज्य में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इस अधिनियम के तहत अपराधी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
इसके अलावा बाल विवाह में शामिल किसी भी व्यक्ति और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से शादी करने पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बाल विवाह की बढ़ती संख्या उच्च नवजात और मातृ मृत्यु दर का प्रमुख कारण है। एनएफएचएस 5 सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, असम के मुस्लिम बहुल जिलों में बाल विवाह दर खतरनाक रूप से अधिक है। धुबरी जिले में बाल विवाह दर 50.8 प्रतिशत, दक्षिण सलमारा में 44.7 प्रतिशत, दारंग और बारपेटा में 42 प्रतिशत, गोलपारा और नागांव में 41 प्रतिशत, बोंगाईगांव में 40 प्रतिशत और मोरीगांव में 39 प्रतिशत है। इन जिलों में प्रारंभिक मातृत्व का प्रतिशत 22 प्रतिशत और उससे अधिक है।
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