भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि रामचरितमानस जैसे ग्रंथ हमारे पाथेय और मार्गदर्शक हैं। रामचरित मानस सहित गीता और महाभारत के प्रसंगों को शालेय पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। यह प्रसंग नैतिक शिक्षा और आध्यात्म की शिक्षा में सहायक होंगे। ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ प्रकटीकरण अपनी मातृभाषा में होता है। अंग्रेजी के आधिपत्य को समाप्त कर मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। यह बात मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर आयोजित विद्या भारती मध्यभारत प्रांत, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश के सुघोष दर्शन कार्यक्रम में कही।
नेताजी का अंग्रेजों से मुक्ति में रहा महत्वपूर्ण योगदान
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हजारों क्रांतिकारियों के कड़े संघर्ष और बलिदान के परिणामस्वरूप हमें स्तवंत्रता प्राप्त हुई। आजादी के बाद लम्बे समय तक कई क्रांतिकारियों का उल्लेख तक नहीं किया गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अंग्रेजों से मुक्ति में महत्वपूर्ण योगदान रहा। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के उनके वाक्य ने पूरे देश में ऊर्जा का संचार किया। उनके नेतृत्व में ही आजाद हिन्द फौज ने सबसे पहले देश का ध्वज फहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान का ऋण उतारने का प्रयास किया है।
भोपाल के ओल्ड कैम्पियन क्रिकेट ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय संगठन मंत्री गोविंद चंद्र महंत, मेजर जनरल टी.पी.एस. रावत (सेवानिवृत्त) ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विद्या भारती मध्यभारत के अध्यक्ष बनवारी लाल सक्सेना भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में 16 जिलों के 75 विद्यालयों के 1500 से अधिक विद्यार्थी, आचार्य, शिक्षकगण सम्मिलित हुए। आजादी के अमृत महोत्सव पर मध्यभारत प्रांत की 75 घोष इकाइयों के विद्यार्थियों द्वारा बंशी वादन, शंख वादन, साइड ड्रम, बॉस ड्रम सहित अन्य वाद्य यंत्रों का वादन करते हुए ऊँ, स्वास्तिक चिन्ह, सुघोष 2023 तथा 75 के अंक की आकृति का निर्माण किया गया।
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