खास इतिहासकारों को क्यों है इतिहास से दिक्कत
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

खास इतिहासकारों को क्यों है इतिहास से दिक्कत

इरफान हबीब का मामला तो और भी दिलचस्प है। वे स्वयं को मार्क्सवादी इतिहासकार बताते हैं। जिस व्यक्ति का वाद पहले से निर्धारित है, वह इतिहास के साथ निष्पक्ष या तटस्थ कैसे हो सकता है?

by हितेश शंकर
Jan 24, 2023, 04:00 pm IST
in सम्पादकीय
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पाञ्चजन्य के हीरक जयंती कार्यक्रम में, इतिहासकारों को आरिफ मोहम्मद खान पर गुस्सा क्यों आता है, इस प्रश्न पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कुछ विचारधाराएं ऐसी हैं जहां बगैर दुश्मन पैदा किए वे जीवित नहीं रह सकते। इतिहास ऐसी चीज है जिसे कोई मिटा नहीं सकता। वह हो चुका है। आप उसे बदल नहीं सकते। उससे सीख सकते हैं। यहां स्मरणीय है कि तीन वर्ष पूर्व भारतीय इतिहास कांग्रेस के सम्मेलन में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के संबोधन के दौरान मार्क्सवादी इतिहासकार इरफान हबीब ने मंच पर चढ़ कर उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश की थी।

इतिहासकारों का यह खेमा इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार परिभाषित करना और इसके लिए इतिहास को तोड़ना- मरोड़ना चाहता है। पाञ्चजन्य स्थापना दिवस कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले इन कथित इतिहासकारों का दिल्ली में जमावड़ा हुआ। इसमें उन्होंने हमारा इतिहास, उनका इतिहास, किसका इतिहास यह मंच सजाया था।

दरअसल ये ऐसे इतिहासकार हैं जिन्हें उस इतिहास से दिक्कत है जो इनकी विचारधारा के खांचे में फिट नहीं बैठता। राष्ट्रप्रेम इस देश के इतिहास का अभिन्न भाग है। बलिदानों की अनूठी गाथाएं हैं, किंतु चूंकि राष्ट्र का विचार इनकी आयातित विचारधारा के निशाने पर है इसलिए इतिहास में राष्ट्रभाव से भी भारी दिक्कत है।

यह जानना दिलचस्प है कि खुद इन इतिहासकारों का इतिहास क्या है!
इनमें दो कथित इतिहासकार-रोमिला थापर और इरफान हबीब आमतौर पर ज्यादा चर्चा में रहते हैं। रोमिला थापर का नेहरू परिवार से भी रिश्ता है। इतिहासकार के तौर पर उनकी प्रामाणिकता आप इस बात से समझ सकते हैं कि हाल में उन्होंने युधिष्ठिर और अशोक को जैसे समकालीन या कहिये, उलटे क्रम में उल्लिखित किया था।

इन्हें युधिष्ठिर के कामों पर बौद्ध धर्म की छाप दिखाई देती है। रोमिला थापर ने यह बात 2010 में इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर (आईडीआरसी) के अध्यक्ष डेविड एम. मैलोन से बातचीत के दौरान कही थी। यह ऐसी मूर्खतापूर्ण बात थी मानो कोई कहे कि पूर्वजों ने वंशजों से प्रेरणा ली। समय-समय पर अपने अज्ञान का भोंडा प्रदर्शन करने वाले ये इतिहासकार यह तथ्य मांगने पर बगलें झांकने लगते हैं, यही नहीं अपनी सही पहचान भी छुपाते हैं। एक राजनीतिक दल के परिवार के व्यक्तियों से जुड़ाव, जानकारी का अभाव यह सब बारीकी से रचे गए महिमामंडन के खेल में उजागर नहीं किया जाता।

कुछ वर्ष पूर्व जब थापर जेएनयू की एमेरिटस प्रोफेसर बनी थीं तो जब उनसे जीवन वृत्त मांगा गया तो उन्होंने नहीं दिया। विडंबना यह कि विचारधारा के आधार पर इतिहासकार बने ये लोग बाकी इतिहासकारों को कथित इतिहासकार ठहराते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि ये एक नेटवर्क के जरिए थोपे हुए इतिहासकार हैं। इन थोपे हुए इतिहासकारों के सच की बानगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्तमान अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर का साक्षात्कार लेते समय न्यूज लॉन्ड्री की प्रधान संपादक मधु त्रेहान के वक्तव्य से भी मिलती है। मधु त्रेहान ने इस साक्षात्कार में साफ-साफ कहा-‘इंदिरा गांधी ने जेएनयू शुरू क्यों किया था? क्योंकि कम्युनिस्ट उनका सिर खा रहे थे, उनके पीछे पड़े हुए थे। उन्होंने सोचा कि इनको व्यस्त रखो और जेएनयू शुरू किया। सारे कम्युनिस्टों को वहां नौकरी दे दी। कम्युनिस्ट वहां काम करने लगे, व्यस्त हो गए, बढ़िया वेतन ले रहे थे। आपने उन्हें डिस्टर्ब क्यों कर दिया?’

रोमिला के भाई रोमेश थापर भारतीय पत्रकार थे, राजनीतिक टिप्पणीकार थे। और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से संबद्ध थे। कम्युनिस्ट पत्रिका सेमिनार के संस्थापक संपादक थे। दोनों भाई-बहन की जड़ें मार्क्सवाद में थीं। दिल्ली में हुए ताजा जमावड़े में भी सीताराम येचुरी की उपस्थिति बता रही थी कि इन सबको पीछे से कौन चला रहा है। इरफान हबीब का मामला तो और भी दिलचस्प है। वे स्वयं को मार्क्सवादी इतिहासकार बताते हैं। जिस व्यक्ति का वाद पहले से निर्धारित है, वह इतिहास के साथ निष्पक्ष या तटस्थ कैसे हो सकता है?

प्रश्न है कि क्या इतिहास को पढ़ाने के बजाय क्रूर विचारधारा की कठपुतलियों के आगे कत्ल होने के लिए छोड़ देना चाहिए?
तो क्या सनकी, क्रूर, अय्याश तानाशाहों का इतिहास भारतीय जनता के सामने कभी आना ही नहीं चाहिए? क्या अप्रिय तथ्य इतिहास से इसलिए बाहर कर दिए जाएंगे कि इससे आक्रोश पैदा होगा?

तो क्या पढ़ाने से पहले ही यह धारणा बनाकर कि इससे लोग भड़केंगे, इतिहास की कब्र खोद दी जाए? वास्तव में ये इतिहासकार नहीं, कब्र खोदने वाले हैं। ये ऐतिहासिक तथ्यों को दफनाने का काम करते हैं।

इतिहास घटित होता है, घटनाओं से सबक सीखे जाते हैं। मगर कुछ लोग राजनीतिक तौर पर, भारत की आयातित विचारधारा के तौर पर, इतिहास को निर्देशित करने की कोशिश कर रहे हैं। ये इतिहासकार के तौर पर भारत के साथ षड्यंत्र के औजार हैं। ये इतिहासकार नहीं हैं, भारतीय जनमानस पर एक खास विचारधारा थोपने की मशीनें हैं, इन्हें इसी नजर से देखा जाना चाहिए।

@hiteshshankar

Topics: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टीArif Mohammad Khanभारतीय जनमानसइतिहासकारPanchjanya Foundation Day ProgramDiamond Jubilee of PanchjanyaHistorianपाञ्चजन्य के हीरक जयंतीProblem with Historyपाञ्चजन्य स्थापना दिवस कार्यक्रमNehru family of Romila Thaparइतिहास से दिक्कतPatriotism in the history of this countryरोमिला थापर का नेहरू परिवारHistorian-Romila Thaparराष्ट्रप्रेम इस देश के इतिहासIrfan Habibइतिहासकार-रोमिला थापरCommunist Party of Indiaइरफान हबीबIndian publicआरिफ मोहम्मद खान
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

महाकुंभ की तस्वीर

Mahakumbh: हरियाणा-मणिपुर के मुख्यमंत्री, बिहार-त्रिपुरा के राज्यपाल समेत कई केंद्रीय मंत्री आज संगम में करेंगे स्नान

‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान 2024’ से सम्मानित हुए डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी

हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी, जहां संस्कृति की ‘गंगा’ निरंतर बहती है

संस्कृति के सनातन संस्कार

डॉ. मार्क  डिक्जकोव्स्की को सम्मानित करते उपराष्टÑपति जगदीप धनखड़। साथ में हैं (बाएं से) सुदेश धनखड़, आरिफ मोहम्मद खान और जे. नंदकुमार

दो विद्वानों को ‘राजनाका पुरस्कार’

इतिहासकार अभय मिश्र ‘अभय’

नहीं रहे अभय मिश्र ‘अभय’

Rajnaka award Vice chancelor Jagdeep Dhankharh

मार्क डिक़्ज़कोव्स्की व नवजीवन रस्तोगी को राजनका पुरस्कार, उपराष्ट्रपति बोले-सनातन धरोहर को बढ़ावा दें

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies