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होम भारत

‘अब हर कोई भर सकता है उड़ान’- ज्योतिरादित्य सिंधिया

पाञ्चजन्य के हीरक जयंती समारोह में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि आज देश का विमानन बाजार तेजी से बढ़ रहा है। कार्यक्रम में पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश-

by हितेश शंकर and अनुराग पुनेठा
Jan 24, 2023, 12:43 pm IST
in भारत, साक्षात्कार
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

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आप एक युवा नेता हैं। 2014 के बाद दुनिया के दृष्टिकोण में भारत को लेकर जो बदलाव हुआ है, उसे आप कैसे देखते हैं?
सबसे पहले तो मैं बधाई देता हूं कि पाञ्चजन्य अपना अमृत महोत्सव मना रहा है। इतना लंबा सफर किसी भी संस्था के लिए बड़ी बात होती है। मेरा सौभाग्य है कि मेरे परिवार के ही एक सदस्य और हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी इस संस्था से जुड़े रहे। इस संस्था की जो सोच है, विचारधारा है, दृष्टिकोण है, जीवन के प्रति समर्पण भाव है, इन सबके प्रेरक दीनदयाल उपाध्याय जी हैं। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री की जो सोच है कि उसमें अमृतकाल से शताब्दी काल तक के सफर में भारत वैश्विक रूप धारण कर लेगा। ऐसे ही पाञ्चजन्य भी इस रूप को धारण कर सकता है, ऐसी योजना आप लोगों ने बनाई होगी।

अब सवाल का जवाब देता हूं। पिछले आठ वर्ष में विश्व में भारत की प्रस्तुतिकरण में एक बदलाव आया है। कभी कोई भारत की अहमियत को नकार नहीं सकता था, लेकिन विश्व पटल पर भारत की जो एक आवाज होनी चाहिए थी, उससे भारत आजादी से आज तक वंचित था। 2014 में पद ग्रहण करने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस दिशा में कड़ी मेहनत की और आज वैश्विक पटल पर उसका परिणाम भी दिख रहा है। केवल 135 करोड़ देशवासी भारत के अंदर ही नहीं, बल्कि साढ़े तीन करोड़ प्रवासी भारतीय विश्व के कोने-कोने में भारत की धाक स्थापित कर रहे हैं। कई मुद्दों पर आज भारत आगे बढ़ रहा है। आर्थिक मामले में 2013-14 में भारत 11वें नंबर पर था, आज पांचवें क्रमांक पर है। इसमें हमने बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत 2030 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।

आज पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है। जिस भारत में 75 वर्ष में कभी भी एक टीके का आविष्कार नहीं हुआ, उसी भारत में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोरोना के दो-दो टीकों का आविष्कार हो गया। स्मॉल पॉक्स, चिकन पॉक्स आदि के टीके हमें आयात करने पड़ते थे। कोरोना का टीका हमने 100 देशों को भेजा, ताकि भारत से बाहर के लोगों की भी जान बचे। पूरा विश्व एक परिवार है, इस सोच के साथ भारत काम करता है। इस समय भारत जी-20 का नेतृत्व कर रहा है। इसकी कल्पना हम और आप नहीं कर सकते थे, लेकिन यह सच हुआ है। भारत विश्व को, पड़ोसियों को साथ में लेकर चलता है। बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, भूटान, नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में विकास के काम भारतीय एजेंसियों द्वारा किए जा रहे हैं, ताकि सामूहिक विकास हो।

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात करते पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर।

करीब दस साल पहले तक पूर्वोत्तर बिल्कुल अलग-थलग दिखता था। आज आप उसे कैसे देखते हैं? वहां उड़ान योजना की क्या स्थिति है?
पूर्वोत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र है। पहले यहां के राज्यों में केवल नौ हवाई अड्डे थे। कई राज्यों में एक भी हवाई अड्डा नहीं था। अरुणाचल प्रदेश जैसे सीमावर्ती राज्य में भी हवाई अड्डा नहीं था। यही हाल सिक्किम का भी था। अब अरुणाचल में आधुनिक सुविधाओं से युक्त तीन-तीन हवाई अड्डे बन चुके हैं। सिक्किम में भी हवाई अड्डा बन गया है। अब पूर्वोत्तर में 16 हवाई अड्डे हो गए हैं। 2014 से पहले पूर्वोत्तर राज्यों में प्रति सप्ताह केवल 975 उड़ानें होती थीं, अब 1,871 हो गई हैं। जहां तक उड़ान योजना की बात है। यह एक महत्वपूर्ण योजना है। प्रधानमंत्री जी की सोच है कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में सफर करे।

आपने कहा कि हवाई चप्पल वाला हवाई जहाज में यात्रा करे, लेकिन किराया बढ़ रहे हैं। लोगों से उचित किराया भी लिया जाए और सीटें भी मिलें। इसकी कोई योजना है?
उड़ान योजना के तहत 71 हवाई अड्डे बने हैं। खास करके उन जगहों पर जहां आप और हम कभी हवाई अड्डे की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। जैसे कि उड़ीसा का झारसुगुडा है। यहां 275 करोड़ रु. की लागत से हवाई अड्डा बना है। असम में रूपसी, बिहार में दरभंगा, राजस्थान में किशनगढ़। ऐसी अनेक कहानियां हवाई अड्डे की हैं, जिनकी हम लोग कल्पना नहीं कर सकते थे। लेकिन इन हवाई अड्डों से प्रतिवर्ष 50,000 से 5,50,000 यात्री सफलतापूर्वक हवाई यात्रा कर रहे हैं। उड़ान योजना की शुरुआत 2016 में हुई थी और 2017 में पहली उड़ान उड़ी थी। पिछले लगभग छह वर्ष में 2,15,000 उड़ानें इस योजना के अंतर्गत उड़ी हैं। हमारा लक्ष्य है 2024 तक 100 हवाई अड्डे बनाने का।

मैं आपको बता दूं कि 2019 में कोविड से पहले हमारे देश में साढे़ चौदह करोड़ घरेलू हवाई यात्री रहे थे। घरेलू विमान सेवा में विश्व में हमारा तीसरा स्थान है, जबकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों को मिलाकर भारत का विमानन बाजार विश्व में पांचवां सबसे बड़ा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साढे़ चौदह करोड़ यात्री यात्रा कर सकें, इसकी व्यवस्था भी हो गई है। हमारी आबादी क्या है 135 करोड़। मतलब अभी तक हम लोगों की पहुंच साढे़ चौदह करोड़ लोगों तक हो चुकी है।

उड़ान योजना की सबसे बड़ी चुनौती है इसे टिकाऊ उद्यम बनाना और इसकी कमजोरियों को ठीक करना। लोग कहते हैं कि ज्यादातर उड़ान सेवाएं एयरबस थ्री टू, जीरो थ्री वन नाइन तक सीमित हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हम लोगों को ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ सुनिश्चित करना है। आज भारत में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बहुत आती-जाती हैं। पर ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ में अभी भी बहुत गुंजाइश है। और इसी सोच के साथ पिछले वर्ष मैंने उड़ान योजना के अंतर्गत एक नई योजना की शुरुआत की थी-स्मॉल एयर क्रॉफ्ट स्कीम। छोटे-छोटे एयरक्राफ्ट सभी 20 सीट वाले, ताकि छोटे-छोटे शहरों के बीच में वे आवागमन कर सकें। हेलिकॉप्टर, सीप्लेन को हम लोग तैनात कर पाए। और मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ‘उड़ान फॉर पॉइंट टू’ के अंतर्गत 184 रूट्स हम लोगों ने तय किए हैं, जिनमें से करीब सोलह रूट्स हेलिकॉप्टर के हैं। पचास रूट्स वॉटर सीप्लेन के हैं। करीब 118 रूट्स छोटे प्लेन के हैं। ये सब ‘स्मॉल एयर क्राफ्ट स्कीम’ के द्वारा हम लोग कर पाएंगे। इसका एक और कारण है, क्योंकि जो परिचालन लागत एयरक्राफ्ट की होती है वह सामान्य तौर पर उसी न्यूनतम स्तर तक रहती है। पर अगर सीट कम हो जाए तो परिचालन लागत कभी वापस नहीं आ पाती है।

लेकिन कुछ शहर ऐसे हैं, जहां कई दिक्कतें होती हैं। जैसे आपका ग्वालियर है। यहां से भी कुछ उड़ानें शुरू हुई थीं, लेकिन उसके बाद कुछ दिक्कत है वहां पर। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से भी शुरू हुई थी, लेकिन वहां भी समस्या है। ड्रोन पोर्ट्स की भी बात हुई थी। इसको लेकर क्या कहेंगे?
देखिए, जहां तक ड्रोन का विषय है। मैं मानता हूं कि पूरे विश्व में भारत ही इस क्षेत्र में क्रांति करेगा। प्रधानमंत्री जी का कहना है कि नई तकनीकी को अपनाने की पहल सबसे पहले भारत में होनी चाहिए। इसलिए तीव्र गति से हमारे मंत्रालय द्वारा नई नीति बनाने की शुरुआत की गई है। पहले एक नीति आई थी। उसमें कुछ अड़चनें थीं, उनका पूरे तरीके से हमने सरलीकरण कर दिया। पूरा ‘एयरोस्पेस मैप’ हमने जारी कर दिया है, जो एक बहुत कठिन कार्य है, क्योंकि पूरे देश का रेड जोन, ग्रीन जोन, येलो जोन का मैपिंग करना पड़ता है। सारे राज्यों के साथ हमें समन्वय करना पड़ता है।

केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय के साथ-साथ जो रणनीतिक क्षेत्र हैं, उनके साथ भी समन्वय स्थापित करना पड़ता है। इसके बावजूद हमने बहुत ही कम समय में ‘स्पेस मैप’ भी निकाल दिया। और मुझे पूरा विश्वास है कि जो पीएलआई स्कीम हमने ड्रोन के लिए भी निकाली है उसमें एक नई तीव्र गति हम लोग उत्पन्न कर पाएंगे। और इसका सबूत हमें दिख रहा है कि ड्रोन कंपनियां आज आईपीओ में भी जा रही हैं। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में यह उद्योग काफी बढ़ेगा। इससे रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे। बारहवीं पास एक युवा भी दो महीने के अंदर ड्रोन पाइलट बन सकता है। और तीस हजार से चालीस हजार रुपए की कमाई प्रति माह उसकी भी हो सकती है। हम लोग अपने मंत्रालय द्वारा ड्रोन की उपयोगिता बढ़ा रहे हैं। चाहे कृषि मंत्रालय हो, चाहे खदान मंत्रालय हो, वहां ड्रोन का पूर्ण उपयोग किया जा रहा है। भारत में ड्रोन का एक नया दौर आ चुका है।

आप 71 हवाई अड्डे बना चुके हैं। इसे 100 तक ले जाने का लक्ष्य भी तय किया हुआ है। यानी कह सकते हैं कि सही मायनों में भारत जोड़ो यात्रा पर आप ही निकले हुए हैं।
केवल कहने से भारत नहीं जुड़ता है। आपकी कार्यक्षमता, संकल्पता और क्रियान्वयन के आधार पर भारत जुड़ता है। प्रधानमंत्री जी ने आठ साल में जो काम करके दिखाया है, वह किसी को कहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह हर देशवासी के दिल में अंकित हो गया है।

Topics: प्रधानमंत्री अटल बिहारीविश्व में भारतवैश्विक पटलप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीहवाई चप्पल वाला हवाई जहाजPrime Minister Narendra ModiPrime Minister Atal Bihariपूर्वोत्तर भारतIndia in the WorldNortheast IndiaGlobal PlatformDiamond Jubilee of PanchjanyaAirplane with slippersDeendayal Upadhyayआज देश का विमानन बाजार तेजीपाञ्चजन्य के हीरक जयंतीदीनदयाल उपाध्याय जी
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