नाटो की सदस्यता को लेकर इन दिनों स्वीडन और तुर्किए में जबरदस्त ठनी हुई है। तुर्किए स्वीडन को इस अंतरराष्ट्रीय संगठन में स्वीडन को लिए जाने के विरुद्ध है। स्वीडन में ये तनातनी उस वक्त चरम पर पहुंच गई जब तुर्किए के दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया गया और इस दौरान कुरान को खुलेआम जला दिया गया। इस घटना से अब तुर्किए ही नहीं, अन्य कई इस्लामी देश भी चिढ़ गए हैं और स्वीडन से माफी मांगने को कह रहे हैं।
आखिर तुर्किए स्वीडन को नाटो गुट में शामिल करने के रास्ते में दीवार बनकर क्यों खड़ा है? असल में वह मानता है कि स्वीडन का कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी से नाता है। दूसरे तुर्किए का कहना है कि स्वीडन अपने यहां मौजूद उक्त कुर्द संगठन के नेता मौलवी फतुल्लाह को उसे सौंप दे। उल्लेखनीय है कि कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी वह संगठन है जो तुर्किए से कुर्दों के लिए एक अलग देश की मांग करता आ रहा है। तुर्किए का आरोप है कि स्वीडन ऐसे लोगों को संरक्षण दिए बैठा है।
इस मुद्दे पर स्वीडन और तुर्किए में तलवारें खिची हैं। दोनों एक दूसरे पर आरोपों की बौछार किए हुए हैं। ऐसे में स्वीडन में कुरान को जलाने की घटना ने मामले को और तूल दे दिया है। इससे बौखलाए तुर्किए ने फौरी प्रतिक्रिया करते हुए स्वीडन के रक्षा मंत्री की अंकारा यात्रा पर आने से मना कर दिया है। स्वीडन के रक्षामंत्री पाल जॉनसन आगामी 27 जनवरी को तुर्किए के दौरे पर जाने वाले थे।
हुआ यूं कि स्वीडन की कट्टर ‘दक्षिणपंथी’ मानी जाने वाली पार्टी के नेता रासमस पलुदान अभी दो दिन पहले (21 जनवरी 2023) स्टॉकहोम में तुर्किए के दूतावास के बाहर मुसलमान ‘शरणार्थियों’ पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे। गुस्से में आपे से बाहर होते हुए उन्होंने सबके सामने कुरान जला दी। इस मौके पर पलुदान ने इस्लाम और शरणार्थियों से आ रही दिक्कतों की चर्चा की। वहां करीब सौ से ज्यादा प्रदर्शनकारी उपस्थित थे।
अपने भाषण के क्रम में उन्होंने मुसलमानों को संबोधिक करते हुए कहा कि ‘यदि आपको (मुसलमानो को) ऐसा लगता हो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं दी जानी चाहिए तो आप यहां न रहें, कहीं और जा बसें।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे इन मुस्लिम शरणार्थियों और इस्लाम की वजह से स्वीडन के नागरिकों को दिक्कतें पेश आ रही हैं।
तुर्किए को दिक्कत यह भी है कि स्वीडन की पुलिस ने उस प्रदर्शन को करने की इजाजत कैसे दे दी। अंकारा में उसने स्वीडन के राजदूत को बुलाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। तुर्किए स्पष्ट रूप से पलुदान को विरोध प्रदर्शन की इजाजत देने को लेकर बौखलाया हुआ था। इससे पहले गत 12 जनवरी को भी तुर्किए ने स्वीडन के राजदूत को बुलाया था और स्वीडन में तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन का पुतला फूंकने को लेकर गुस्सा जताया था। ।
उल्लेखनीय है कि मई 2022 में भी ये पलुदान ही थे जिन्होंने देश में ‘कुरान जलाओ यात्रा’ निकाली थी। उन्होंने स्वीडन वासियों से अनुरोध किया था कि कुरान को सार्वजनिक रूप से जलाएं। उनके इस आह्वान के बाद स्वीडन के कई शहरों में उपद्रव हुए थे, बहुत से लोग मारे गए थे। तब भी तुर्किए और पाकिस्तान ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
स्वीडन की नाटो में शामिल होने की कोशिशों को तुर्किए नाकाम करता आ रहा है, क्योंकि नाटो में यही प्रावधान है कि अगर कोई देश इससे जुड़ना चाहता है तो सभी सदस्यों का इस बात से सहमत होना जरूरी है। लेकिन तुर्किए स्वीडन के मामले में अपना मत विरोध में डालता है।
कुरान जलाने के प्रकरण के बाद तुर्किए के रक्षामंत्री हुलुसी अकार का कहना है कि स्वीडन के रक्षा मंत्री के साथ वार्ता इसलिए रद्द की गई है क्योंकि अब इसका न कोई महत्व रह गया है, न अर्थ। तुर्किए की ओर से कुरान जलाने को ‘इस्लामोफोबिया’ कहा गया है। तुर्किए ही नहीं, कुरान जलाने को लेकर सऊदी अरब, जॉर्डन, पाकिस्तान और कुवैत की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है। इन मुस्लिम देशों ने कुरान जलाने की घटना की तीखी निंदा करते हुए, इस कृत्य के लिए स्वीडन से माफी मांगने को कहा है। लेकिन इन पंक्तियों के लिखे जाने तक स्वीडन की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया है। पता चला है कि तुर्किए में लोगों ने स्वीडन में कुरान जलाए जाने के विरुद्ध सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए हैं।
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