माना यह जाता है कि ब्रिटेन पश्चिमी सोच और उन्मुक्तता का पैरोकार देश है, लेकिन वहां का चर्च भी क्या ऐसा ही है? चर्च के हाल के एक मत से तो ऐसा नहीं झलकता। चर्च ने समलैंगिक शादियों को लेकर जो नजरिया सामने रखा है, उससे लगता है कि वह ऐसी शादियों के विरुद्ध है और उसी शादी को जायज मानता है जो पुरुष और महिला के बीच होती है। यानी वह समलैंगिकता तो वैसा पक्षधर नहीं है।
‘इंग्लैंड का चर्च’ अपने चर्चों में समलैंगिक शादियां नहीं होने देगा। बताया जाता है कि चर्च का यह फैसला भी बड़ी माथापच्ची के बाद आया है। इस दिमागी कसरत और सलाह—मशविरे में पांच साल का वक्त खपाया गया है। आखिरकार तय यही किया गया कि चर्च के अंदर समलैंगिकों की शादियां होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इंग्लैंड के चर्च के इस निर्णय को समलैंगिकों के लिए एक बड़े आघात की तरह देखा जा रहा है। चर्च का यह निर्णय अभी दो दिन पहले एक बयान के जरिए सुनाया गया है। कहा गया है कि इंग्लैंड के चर्च ने अपने से जुड़े सभी को बयान जारी करते हुए कहा कि वह अपने चर्चों को कह दिया है कि वे अपने यहां समलैंगिक शादियां आयोजित न करने दें। लेकिन साथ ही कहा गया है कि अगर समलैंगिंक जोड़े बाद में ‘ब्लैसिंग्स’ लेने और बाकी कुछ करने चर्च में आना चाहें तो आ सकते हैं, उस काम में चर्च को कोई दिक्कत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि चर्च एक लंबे वक्त से समलैंगिकों की शादी पर अस्पष्टा से जूझ रहा था। इसलिए इस विषय पर चर्च के अंदर काफी बहस—चर्चा चली, सलाहें ली गईं। चर्च के बड़े अधिकारी इस मुद्दे पर भी बंटे दिखे कि समलैंगिकों को चर्च के अंदर शादी करने दी जानी चाहिए कि नहीं। लेकिन फिर काफी सोच—विचार के बाद फैसला यही हुआ कि चर्च के अंदर ऐसी शादियां करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
यानी स्पष्ट है कि इंग्लैंड का चर्च ऐसी शादियों के विरुद्ध है और अब भी मानता है कि करने के बाद लिया है. इससे जाहिर होता है कि चर्च इस बात पर अभी भी टिका है कि शादी हो सकती है तो बस पुरुष और महिला के बीच ही।
एक मशहूर ब्रिटिश चैनल की रिपोर्ट है कि समलैंगिक शादी तथा इससे जुड़े कुछ अन्य विषयों पर चर्च के इस मत पर अंतिम रूप से फैसला लेने के लिए तीन पहले बिशपों की विशेष बैठक हुई थी। माना जा रहा है कि इस निर्णय को अगले महीने होने जा रही चर्च की संसद के आम सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है। स्पष्ट है कि चर्च ने समलैंगिक जोड़ों के शादी के बाद चर्च में आकर प्रार्थना करने भी कोई पाबंदी नहीं लगाई है। अगर ऐसे युगल इस काम के लिए चर्च में आते हैं तो उन्हें रोका नहीं जाएगा।
दिलचस्प बात है कि इंग्लैंड तथा वेल्स में समलैंगिकों में शादी करने की कानूनी तौर पर मान्यता 2013 में ही दे दी गई थी। हालांकि इंग्लैंड के चर्च ने इस बात को अभी तक माना नहीं था। इस मुद्दे पर कैंटरबरी के आर्चबिशप जस्टिन वेल्बी कहते हैं कि नए प्रस्ताव कुछ लोगों के लिए भले अच्छे हों, लेकिन बाकियों के लिए ये काफी नहीं रहेंगे। परन्तु ऐसी स्थिति दिखाती है कि समलैंगिकता के सवाल को लेकर इंग्लैंड के चर्च में भिन्न भिन्न विचार हैं।
इसके साथ ही देखने वाली बात यह भी है कि स्कॉटलैंड का एपिस्कोपल चर्च तथा स्कॉटलैंड का ही प्रेस्बिटेरियन चर्च, ये दोनों समलैंगिक शादियों की इजाजत देते हैं। ऑक्सफोर्ड के बिशप ने अभी पिछले साल नवम्बर माह में समलैंगिक शादी की इजाजत देने के लिए हुए एक बदलाव का सबके सामने समर्थन किया था।
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