अमृत संधू, कंचन मित्तल, रमन हंस, गुरनाम सिंह खेड़ा, हरजीत सिंह, सुखपाल राणा, फारिस मसीह। आप इनमें से किसी को जानते हैं? अधिकतर लोग नहीं जानते होंगे। ये सभी पादरी हैं। पंजाब के पादरी। हेलेलुइया वाले। इनके पाखंड पंजाब के कोने-कोने में चल रहे हैं। चंगाई सभा होती है, ये किराये पर लिए लोगों की मदद से गूंगे के बोलने, बहरे के सुनने, अपाहिज के चलने, कैंसर गायब कर देने जैसे चमत्कार करते हैं।
कमालुद्दीन, कमर अली, कुतुबुद्दीन, नसीरुद्दीन को भी आप नहीं जानते होंगे। ये सभी कथित पीर हैं। चमत्कारी। कहीं एक अंगुली से पत्थर उठाया जाता है। कहीं पानी पिलाकर सारी बीमारियां दूर। कहीं झाड़ू से शैतान भगाया जाता है।
आपने कभी सुना है कि अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति या किसी और ऐसे संगठन ने इनके तथाकथित चमत्कारों को चैलेंज किया हो। कभी इसे अंधविश्वास या ठगी बताया हो। कभी रिपोर्ट दर्ज कराई हो। नहीं, नहीं मिलेगा। इसलिए नहीं कि ये सारी समितियां या संगठन सिर्फ चेहरा हैं। इनके पीछे या तो अरब का पेट्रो डॉलर है या मिशनरी का पैसा। इस्लामिक, मिशनरी, वामपंथी गठजोड़ के बहुत सारे छलावों में से एक इस तरह के संगठन भी हैं, जिन्हें सनातन धर्म का हर विश्वास, हर आस्था, हर प्रतीक अंधविश्वास नजर आता है।
अब समझिए धीरेंद्र शास्त्री से इन्हें क्या परेशानी है। धीरेंद्र शास्त्री जिस समय लव जिहाद, जिहाद, बढ़ती मुस्लिम आबादी, हिजाब, सिनेमा का इस्लामीकरण जैसे मसलों पर अपनी सभाओं में खुलकर बोलते हैं, तो वह असल में इस्लामिक कट्टरपंथियों पर हमला कर रहे होते हैं। जो बात नुपूर शर्मा ने कही, जिस बात पर सर कलम का फतवा हुआ, वह बात धीरेंद्र शास्त्री बेहिचक दोहराते हैं।
जब वह भारत की अखंडता की बात करते हैं। चीन या पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात करते हैं। जिस समय वह देश में मौजूद राष्ट्रवादी सरकार की तारीफ करते हैं। उस समय वह असल में वामपंथियों, कथित बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, वकीलों, एक्टिविस्टों, एनजीओ वाले देशद्रोही गैंग पर हमला करते हैं।
कई मुंह वाले सांप के एक और मुंह पर धीरेंद्र शास्त्री ने क्रिसमस पर वनवासियों के बीच जाकर उनकी सनातन धर्म में वापसी कराई। डंके की चोट पर ईसाई मिशनरी को ललकारा। ऐलान किया, हर वनवासी को चर्च के चंगुल से निकालना है, और ये चोट मिशनरी पर थी।
ये काम और बातें अलग-अलग रहे, लेकिन चोट एक जगह हुई। इस्लामिक कट्टरपंथी, मिशनरी, वामपंथी, कांग्रेसी और चीन-पाकिस्तान का ये गठजोड़ इस युवा सन्यासी के तेवर से हैरान रह गया। बढ़ती लोकप्रियता, और उसके साथ बढ़ती हिम्मत। यह गैंग जब जवाबी हमला करता है, तो काम इसका होता है, चेहरा महाराष्ट्र की इस समिति जैसा ही होता है। इनके चेहरे सर्वव्यापी हैं। यह कभी दीवाली पर बच्चा बनकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है, पटाखों के खिलाफ। यह होली पर पानी बचाने की मुहिम बन जाता है। यह पशु प्रेम के नाम पर जली कट्टू बनता है, तो कभी दही हांडी को चैलेंज करता है। यही उमर खालिद है और यही केरल का पादरी जॉर्ज पौनन्यू है। यही स्टालिन है, यह सिमी है। यह पीएफआई है, यही तमिलनाडु का वह बिशप है, जो कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को रोकने के लिए पैसा लेकर प्रदर्शन करता है। यह रक्तबीज है… आप एक को खत्म करेंगे। ये हजारों नए रूप में आएगा।
इसके हर रूप का एक निशाना है, सनातन धर्म। ईसाईयत और इस्लाम भले ही एक-दूसरे के लिए तलवार हों, लेकिन सनातन की बात आते ही ये कैंची बन जाते हैं। दोनों में ही कट्टरवादी सोच रखने वाले चाहते हैं, धार्मिक विश्वास के तौर पर मानते हैं कि दुनिया हिंदूविहीन हो जाए। बागेश्वर धाम के शास्त्री धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। बाला जी रूप की उन पर कृपा है। उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना होगा। उनके खिलाफ इस दानव ने हथियार उठा लिए हैं। भगवा को बदनाम के लिए इस देश का मीडिया एक और मौके की तलाश में है।
अभी तो शुरुआत है, न कोई दाग न सिद्ध आरोप। फिर भी जरा मीडिया की हेडलाइन देखिए…
Bageshwar Dham: नेता-अभिनेता लगाते हैं हाजिरी, पर परिवार वाले नहीं मानते बाबा, जानिए धीरेंद्र कृष्णम शास्त्री की कहानी. जनसत्ता, 18 जनवरी
बागेश्वर धाम सरकार के पास कौन-कौन सी कारें, देखें धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार कलेक्शन. नवभारत टाइम्स, 19 जनवरी
बागेश्वरधाम वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का पूरा सच ये रहा!
शास्त्री पर छुआछूत फैलाने और नफरत भरे बयान देने के आरोप लगते रहे हैं. लल्लन टॉप, 17 जनवरी
धीरेंद्र शास्त्री के पीछे कोई छुरा लिया इस्लामिक सनकी हो सकता है, कोई कैमरा छिपाए एक्सपोज के लिए, कोई उनके एकाउंट देख रहा है। कोई उनकी निजी जिंदगी। उनकी हर गतिविधि अब लाखों आंखों से देखी जा रही है। ऐसे में क्या जवाब देने की जिम्मेदारी उन लाखों करोड़ों हिंदू अनुयायियों की नहीं है, जो अपनी पीड़ा लेकर दरबार में जाते हैं। भगवा का आदर करने वाली हर सनातनी की ये जिम्मेदारी है कि फिर किसी संत, साधु या भगवाधारी के साथ ऐसा न हो, जो शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी के साथ हुआ था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं)
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