राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का आज जन्मदिन है। उनका जन्म 20 जनवरी 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ था। आज वे किसी पहचान के मोहताज नहीं है। देश के महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी राय की अहमियत से ही उनके कद का अनुमान लगाया जा सकता है। अजीत डोभाल के नेतृत्व क्षमता पर सभी भारतीय गौरवान्वित महसूस करते हैं। आइए जानते हैं उनके योगदान और उनसे जुड़े कई सुने-अनसुने किस्से-
अजीत डोभाल भारत के वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। वह केरल कैडर के एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी तथा पूर्व भारतीय खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं। वह सैन्य कर्मियों के लिए वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले भारत के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी हैं। भारत की पाकिस्तान के विरुद्ध सितंबर सन 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के साथ फरवरी सन 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट में हवाई हमले उनकी निगरानी में किए गए थे। चीन के विरुद्ध डोकलाम में गतिरोध को समाप्त करने में उनकी रणनीति कारगर सिद्ध हुई और पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद से निपटने के लिए उनकी कूटनीतिक नीतियां निर्णायक रही हैं।
अजीत डोभाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की, इसके बाद आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद वह आईपीएस की तैयारी में लग गए थे। कड़ी लगन और मेहनत के बल पर वह केरल कैडर से सन 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए थे। अजीत डोभाल सन 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ पद से सेवानिवृत हुए। सन 2009 से सन 2011 तक उन्होंने “इंडियन ब्लैक मनी अब्रोड इन सीक्रेट बैंक एंड टैक्स हैवन” नाम के बनी रिपोर्ट के संपादन में योगदान दिया था। इसके बाद वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष बने। यह फाउंडेशन कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद केंद्र का हिस्सा है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के एकनाथ रानाडे ने की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा पर बना थिंक टैंक विवेकानंद फाउंडेशन वर्तमान में भारत सरकार के पड़ोसी देशों से संबंध और रणनीतिक मामलों पर इनपुट देने का काम करता है। इस फाउंडेशन में भारत के अनेक सेवा निवृत आईएएस, आईपीएस, साइंटिस्ट और सैन्य अफसर कार्य करते हैं। विवेकानन्द फाउंडेशन से जुड़े पूर्व ब्यूरोक्रेट और सेना के पूर्व अधिकारियों के साथ अधिकतर ज्यादातर लोग देश सेवा में बिना किसी पारिश्रमिक के कार्य करते हैं। अजीत कुमार डोभाल 30 मई सन 2014 से सन 2019 तक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे हैं। सन 2019 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में फिर से नियुक्त किया गया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट रैंक दिया गया है।
अजीत डोभाल को एक दशक से भी अधिक समय तक इंटेलिजेंस ब्यूरो के संचालन विंग का नेतृत्व करने का अनुभव प्राप्त है। वह मल्टी एजेंसी सेंटर और जाइंट टास्क फोर्स ऑन इंटेलिजेंसी के संस्थापक अध्यक्ष भी है। आतंक निरोधी कार्यों के लिए उन्हें भारत के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन के द्वारा ट्रेनिंग भी प्राप्त की हुई है। भारतीय सेना के महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई थी और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका था। इस आपरेशन में उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी सम्पूर्ण तैयारियों की जानकारी भारतीय सेना मुहैया करवाई थी। सन 1980 के दशक में वह भारत के उत्तर पूर्व में सक्रिय रहे, उस समय पूर्वोत्तर में ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी।
अजीत डोभाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपनाना पड़ा था। उन्होंने सन 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी। सन 1999 में आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था। इस फ्लाइट को कंधार ले जाकर सभी यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। इस विमान अपहरण काण्ड में सम्मिलित आतंकवादियों से वार्ता हेतु उन्हें भारत सरकार ने मुख्य वार्ताकार बनाया था। उन्होंने सन 1971 से सन 1999 के मध्य इंडियन एयरलाइंस के विमान के कम से कम 15 अपहरणों को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया था। जम्मू–कश्मीर में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य करते हुए उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था, प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना भेदिया बना लिया था। उनकी बेहतर रणनीति के कारण जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया था।
अजीत डोभाल ने मिज़ो नेशनल आर्मी के साथ बर्मा और चीन की सीमा के अंदर बहुत लंबा समय बिताया था। उन्होंने पाकिस्तान में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सक्रिय उग्रवादी समूहों पर खुफिया जानकारी जुटाने में सात वर्ष से अधिक समय बिताया था। सन 2014 में उन्होंने ईराक में अपहृत 46 भारतीय नर्सों की रिहाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अजीत डोभाल ने सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ म्यांमार से बाहर चल रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के उग्रवादियों के खिलाफ म्यांमार में एक सफल सैन्य अभियान का नेतृत्व किया था। यह सैन्य अभियान 50 आतंकवादियों को ढेर करते हुए सफल साबित हुआ था। उन्हें पाकिस्तान के संबंध में भारतीय सुरक्षा नीतियों में बदलाव करने का श्रेय भी प्राप्त है। सन 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी भूमिका को अहम माना जाता है। फरवरी सन 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले भी उनकी देखरेख में किए गए थे। उन्होंने चीन के साथ डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की और पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए थे। उन्हें सन 2018 में स्ट्रेटेजिक पॉलिसी ग्रुप का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
अजीत कुमार डोभाल अपनी बेहतरीन सेवाओं के लिए पुलिस मेडल पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी हैं, उनकी सेवाओं के केवल 6 वर्ष बाद यह मेडल दिया गया था। प्रेसिडेंट पुलिस मेडल प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चयनित अधिकारी को उसकी वीरता या प्रतिष्ठित सेवा के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। उन्होंने सन 1988 में वीरता के सर्वोच्च अलंकरण कीर्ति चक्र को भी प्राप्त किया है।
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