गत दिनों कोडरमा (झारखंड) जिले के गरडीह टोला के 25 हिंदू परिवार ईसाई बना दिए गए। कोडरमा के उपायुक्त आदित्य रंजन ने स्वीकार किया कि उनके पास इस घटना की सूचना आई है। उन्होंने यह भी कहा कि घटना की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई गई है। उसकी रपट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
इस समाचार के लिखे जाने तक इस मामले में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हो चुकी थी। जो लोग ईसाई बने हैं, वे घटवार जाति के हैं। शायद झारखंड में पहली बार इस जाति के लोग ईसाई बने हैं। इसलिए यह खबर फैलते ही हिंदू समाज में हड़कंप मच गया।
हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ता दौड़े-दौड़े गरडीह पहुंचे। उन लोगों ने ईसाई बने हिंदुओं को काफी समझाया कि लोभ-लालच में आकर अपने पूर्वजों के धर्म को छोड़ना ठीक नहीं है, लेकिन वे लोग अभी तक नहीं माने हैं।ईसाई मत अपनाने वाले राजकुमार सिंह, बासुदेव राय, देवंती देवी, बच्चू राय, उपेंद्र राय और जानकी राय के अनुसार वे लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं। इनका आरोप है कि उन्हें गरीबी से निबटने के लिए सरकार या समाज की ओर से कोई सहयोग नहीं मिलता है। वहीं ‘घटवार समाज’ के प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा सिंह घटवार ने इन लोगों के आरोपों को नकार दिया। उनका कहना है, ‘‘कुछ परिवार गरीब जरूर हैं, लेकिन कोई गरीबी के कारण ईसाई नहीं बना है। वास्तव में ये लोग लोभ-लालच से ईसाई बन रहे हैं, जो हिंदू समाज के लिए चिंता की बात है।’’
बता दें कि घटवार जाति कहीं अगड़ी मानी जाती है, तो कहीं पिछड़ी। हालांकि झारखंड में इस जाति को पिछड़े वर्ग में रखा गया है, लेकिन कभी यह जाति शासन करती थी। कुछ सामाजिक परिस्थितियों ने इस जाति के एक वर्ग को गरीब बना दिया है। ईसाई मिशनरियां इनकी गरीबी का लाभ उठा रही हैं।
अनेक लोगों ने बताया कि कोडरमा में अब तक ईसाई मिशनरियां अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों को लालच देकर ईसाई बनाती थीं। पर अभी पिछड़ी जातियों में इनकी वैसी पकड़ नहीं है। इसलिए इस बार के कन्वर्जन ने कोडरमा के हिंदू समाज को चिन्तित कर दिया है।
वर्षों से जारी है कन्वर्जन
गरडीह टोला सतगावां प्रखंड में पड़ता है। इस प्रखंड में काफी समय से ईसाई मिशनरियों का आना-जाना रहा है। यहां के कई गांवों में ईसाई तत्व उन परिवारों से मिलते हैं, जो गरीब हैं या फिर किसी सामाजिक उपेक्षा का शिकार हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता सहदेव महतो कहते हैं, ‘‘ईसाई तत्व गरीब हिंदुओं को लालच देते हैं कि ईसाई बन जाओ, सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। नौकरी मिलेगी, बच्चे अच्छी तरह पढ़ लेंगे। यही नहीं, बीमार होने पर बिल्कुल मुफ्त में इलाज होगा। मिशनरियों की चिकनी-चुपड़ी बातों से कुछ लोग इतने प्रभावित हो जाते हैं कि उन्हें लगने लगता है कि कोई बीमारी होती है तो यीशु की प्रार्थना करने से भी वह ठीक हो जाती है।’’
वहीं घटवार समाज, कोडरमा जिले के अध्यक्ष रीतलाल सिंह का कहना है, ‘‘ईसाई मिशनरियां कन्वर्जन के लिए धूर्तता कर रही हैं।’’ उन्होंने यह भी बताया कि कन्वर्जन का यह खेल पिछले कई वर्षों से चल रहा है। मिशनरी के लोग छुप-छुपाकर गांव में आते हैं और लोगों को बरगला कर ईसाई बनाते हैं। सतगांवा के रहने वाले बबलू कुमार ने बताया कि ईसाई मिशनरियां बहुत ही शातिर तरीके से काम कर रही हैं। एक सजग हिंदू समाज ही इनसे बचा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कोठीयार पंचायत में 100 से अधिक लोग ईसाई बन चुके हैं।
इस घटना की पड़ताल के दौरान पता चला कि सतगांवा प्रखंड ही नहीं, बल्कि जयनगर और कोडरमा प्रखंड में भी कई जगहों पर कन्वर्जन का खेल चल रहा है। प्रार्थना सभा के बहाने सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को बुलाया जाता है धीरे-धीरे, उनके दिमाग में हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध जहर भरा जाता है और बाद में उन्हें ईसाई बना लिया जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजावर पंचायत के ठेसवा गांव और बासोडीह पंचायत के रजघट्टी गांव से हर सप्ताह गरडीह टोले में लोग आते हैं। यहां पर प्रार्थना सभा का आयोजन करने के बाद भोजन की व्यवस्था की जाती है और उसके बाद लोग अपने-अपने घर चले जाते हैं। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता है और बाद में लोगों को ईसाई बनने के लिए मजबूर किया जाता है।
एक हिंदू कार्यकर्ता मनोज कुमार ने बताया कि पूरा कोडरमा जिला मिशनरी संस्थाओं के निशाने पर है। ये लोग सिर्फ गांवों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी खुलेआम प्रार्थना सभा कर कन्वर्जन का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले कोडरमा के तिलैया शहर के बीचोंबीच मोदी धर्मशाला के सभागार में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें कई गांवों के लोग शामिल हुए थे। इसके साथ ही जयनगर प्रखंड के चुटियारो चौक, हीरोडीह, पिपचो, घाघडीह इलाके में प्रार्थना सभा के माध्यम से कन्वर्जन करवाया जा रहा है।
कोडरमा की विधायक नीरा यादव का कहना है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ बनाया था, लेकिन उस कानून का पालन नहीं होने से ईसाई मिशनरियां लोगों का कन्वर्जन करा पा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ईसाई मिशनरियों के इशारे पर नाच रही है। यही वजह है कि जो लोग कन्वर्जन में लगे हैं, उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने कन्वर्जन को लेकर कोडरमा के उपायुक्त से भी बात की।
बरकट्ठा के विधायक अमित यादव उन लोगों में से एक हैं, जो कन्वर्जन के विरोध में आवाज उठाते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले जयनगर के अम्बाडीह, बरकट्ठा आदि क्षेत्रों में प्रार्थना सभा हो रही थी। जैसे ही उनकी जानकारी मिली तो उन्हें बंद कराया गया। उनका मानना है कि एक षड्यंत्र के तहत गरीब, दलित और जनजातीय समाज के लोगों को ईसाई बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में झारखंड की संस्कृति को मिशनरी संस्थाएं समाप्त कर देंगी। सरकार को अविलंब इन मामलों पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
कोडरमा में जिससे भी बात करें वही बताता है कि जिले में कन्वर्जन एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके साथ ही लोग यह भी कहते हैं कि जब से हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ईसाई मिशनरियों की हरकतें बढ़ी हैं। उनकी इस बात में दम है। बता दें कि 2019 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन सबसे पहले रांची में चर्च के लोगों से मिले थे।
चुनाव के दौरान भी चर्च ने खुलकर अपने लोगों से कहा था कि वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले गठबंधन के समर्थन में आगे आएं यानी ‘हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए काम करें’ और वही हुआ। इसलिए झारखंड का एक बड़ा वर्ग कहता रहा है कि राज्य सरकार को चर्च चला रहा है। ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि चर्च की गलत गतिविधियों को कौन रोकेगा?
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
टिप्पणियाँ