चाइनीज मांझा : मेरठ बन गया चाइनीज मांझे का गढ़, पुलिस ने शुरू की छापेमारी

Published by
दिनेश मानसेरा

मेरठ जिला पुलिस ने इन दिनों प्रतिबंधित चाइनीज मांझे के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया है। जानकारी के मुताबिक पुलिस के पास ये खबर है कि मेरठ के बाजारों में चोरी छिपे इस खतरनाक मांझे की बिक्री हो रही है, जो अपराधियों द्वारा हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

पुलिस को मेरठ में खैरनगर, इस्लामाबाद, गोला कुआं, प्रह्लाद नगर, लालकुर्ती, कंकरखेड़ा आदि इलाकों में पतंग विक्रेताओं के अलावा कई कारोबारियों के यहां चाइनीज मांझा की बिक्री किए जाने की शिकायत मिली थी। खास बात ये है कि ये शिकायत मेरठ के संयुक्त व्यापार संघ, व्यापार मंडल से जुड़े कारोबारियों ने की थी, जिसके बाद पुलिस ने छापेमारी शुरू की और करीब डेढ़ करोड़ रुपए का मांझा जब्त किया है।

जानकारी के मुताबिक बसंत पंचमी के आसपास मेरठ जिले में पतंग उड़ाने की परंपरा है। इन दिनों पतंग का करोड़ों का कारोबार होता है। पतंग बेचने वालों ने चाइनीज मांझे को प्लास्टिक मांझा बताकर अपने यहां से बिक्री शुरू करने दी, जबकि वास्तविकता यही है कि ये प्रतिबंधित चाइनीज मांझा है, जिसकी बिक्री का एक बड़ा बाजार मेरठ बन चुका है। यहां से पूरे पश्चिम यूपी और हरियाणा के लिए इस मांझे की सप्लाई होती है।

चाइनीज मांझे पिछले कुछ समय के अपराधियों द्वारा जानलेवा वारदात करने में प्रयुक्त किए गए हैं। ये मांझा टूटता नहीं है और इसे दो पेड़ों में बांध कर राहगीर लोगों को लूटने उनके शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम अपराधी करते हैं। इन्हीं कारणों से इसकी बिक्री पर यूपी सहित कई राज्यों की सरकारों ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। एसएसपी रोहित संजवान के मुताबिक इस चायनीज मांझे की बिक्री को रोकने के लिए छापे मारी की गई और ये अभियान आगे भी जारी रहेगा।

कैसे बनता है चाइनीज मांझा
दरअसल चाइनीज मांझा अन्य मांझों की तरह धागों से नहीं बनता है। यह नायलान और मैटलिक पाउडर से मिलाकर चीन में बनाया जा रहा है। यह प्लास्टिक के जैसे लगता है और स्ट्रेचेबल होता है। जब इसे खींचते हैं तो यह टूटने के बजाय बढ़ जाता है। मेरठ में दो सौ रुपए की रील को आठ सौ से हजार रुपए तक बेचा जा रहा है। इसकी बिक्री पतंगबाजों में कम और दूसरे कार्यों में ज्यादा होने की शिकायत पुलिस में दर्ज की गई थी।

Share
Leave a Comment