नोबुल पुरस्कार से सम्मानित ब्रिटिश उपन्यसाकार सलमान रुश्दी अपने उपन्याास ‘द सेटेनिक वर्सेस’ के प्रकाशन के बाद से दुनियाभर में कट्टरपंथी मुसलमानों के निशाने पर हैं। मुल्ला-मौलवियों ने उन्हें जान से मारने का फतवा दिया हुआ है। वजह? उनके इस उपन्यास का ‘मुस्लिम विरोधी होना’। ये उपन्यास आज से 30 साल पहले आया था और ‘कुरान’ और ‘इस्लाम की तौहीन’ माना गया था। लेकिन फतवा जारी होने के बाद रुश्दी आम जनजीवन से कट गए और कहीं गुप्त जगह रहने लगे।
अब फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो में अपने सर्वोच्च मजहबी नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का कार्टून छपने से ईरान गुस्से से बिलबिलाया हुआ है। उसने पत्रिका को धमकी भरे स्वर में कहा है कि ‘आज नहीं तो कल मुसलमान बदला लेंगे। उन बदला लेने वालों को तो गिरफ्तार कर सकते हो, लेकिन जो जान से गया वो फिर कभी नहीं उठ पाएगा। मुसलमान रुश्दी जैसा हाल बना देंगे’।
यह धमकी और किसी ने नहीं, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के अध्यक्ष मेजर जनरल हुसैन सलामी ने खुद दी है। यह धमकी फ्रांस की विश्व प्रसिद्ध हो चुकी पत्रिका शार्ली एब्दो के संपादकों को दी गई है। ईरान के इस सबसे बड़े फौजी जनरल ने बड़े बेलाग शब्दों में कट्टरपंथी ‘मुसलमानों की फितरत’ सामने रख दी है। उसने कहा है कि उनका अंजाम ‘सलमान रुश्दी जैसा हो सकता है’। दरअसल, शार्ली एब्दो पत्रिका में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई पर एक कार्टून पब्लिश किया था। इसी कार्टून को लेकर पत्रिका के संपादकों को धमकी दी जा रही है।
बता दें कि सलमान रुश्दी को साल 1988 में उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद से ही जान से मारने की धमकियाँ दी जा रही है। इसके कारण वे कई साल छिपकर रहने के लिए मजबूर हो गए थे। साल 1989 में ईरान के तत्कालीन सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने उनके खिलाफ फतवा तक जारी किया था। पिछले साल न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान उनपर हमला हुआ था और वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने शार्ली एब्दो को धमकी देते हुए कहा है, “मैं फ्रांस और शार्ली एब्दो के डायरेक्टर्स को सलमान रुश्दी की हालत पर नजर डालने की सलाह दे रहा हूँ। मुसलमानों के साथ मत खेलो। सलमान रुश्दी ने 30 साल पहले कुरान और इस्लाम के पवित्र पैगंबर का अपमान किया और फिर छिप गए। देर-सवेर, मुसलमान बदला लेंगे और आप बदला लेने वालों को गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन जो मर जाएगा वह फिर से नहीं उठेगा।”
लेकिन नहले पर दहला डालते हुए शार्ली एब्दो पत्रिका ने भी हुंकार भरी है। पत्रिका के निदेशक लॉरेंट सॉरीसेउ ने भी धमकी को धता बताते हुए पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि वे तो अभी ईरान के मौलवियों के और भी कार्टून छापेंगे। लॉरेट ने एक कदम आगे जाते हुए यहां तक कहा है कि ”मुल्ला खुश नहीं हैं। लगता नहीं कि उनके सबसे बड़े वाले नेता का कार्टून देखकर उन्हें हंसी नहीं आई। ये वैसे तो सम्मान की बात है, लेकिन इससे बढ़कर यह भी साबित हो जाता है कि उनको अपना शासक बड़ा कमजोर लगता है”।
पत्रिका शार्ली एब्दो के लिए ये खामेनेई का कार्टून किसने बनाया, इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। हुआ यूं कि ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन अपने चरम पर था। इसे देखते हुए शार्ली एब्दो की तरफ से एक कार्टून प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में विषय ही दिया गया ईरान का हिजाब विरोधी प्रदर्शन और उसके प्रति सुप्रीम ईरानी नेता का बर्ताव। काफी सारे लोगों ने कार्टून बनाए। इसी प्रतियोगिता में विजेता ने जो कार्टून बनाया था उसे ही शार्ली एब्दो ने छाप दिया था।
कार्टून क्या छपा ईरान आगबबूला हो उठा। उसकी फ्रांस से ठन गई और पत्रिका को लेकर तनाव पैदा हो गया। ईरान ने अपने यहां के फ्रांस के राजदूत को बुलाकर फटकारा और तेहरान में कार्यरत फ्रेंच इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च पर ताला जड़ दिया। ईरान ने फ्रांस को धमकी दी कि अभी और सबक सिखाया जाएगा।
लेकिन ऐसी धमकियों में न फ्रांस की सरकार आई, न पत्रिका शार्ली एब्दो। पिछले हफ्ते ही पत्रिका ने एक और कार्टून छापा जिसके जरिए फिर से ईरान की खिल्ली उड़ाई गई है। इधर ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि इस कार्टून के छपने के पत्रिका को साइबर हमले का शिकार बनाया गया था। इसकी पुष्टि पत्रिका के संपादक लॉरेट के इस बयान से होती है कि ‘एक डिजिटल हमला किसी को मार तो नहीं सकता, पर माहौल का खुलासा जरूर कर देता है। मुल्ला राज इस हद तक खतरा महसूस करता है कि अपने अस्तित्व की खातिर फ्रांस के एक अखबार की वेबसाइट तक को हैक करने पर आमादा है’।
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