अररिया में जिहादी तत्वों ने पुलिस को दौड़ा – दौड़ा कर पीटा। इससे पहले सीतामढ़ी में मंदिर के सामने पाकिस्तानी झंडा लगाया गया था और सिवान में तलवार के साथ जुलूस निकाला गया। इन घटनाओं पर राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
बिहार में जिहादी नंगा नाच कर रहे हैं। सबसे दुखद बात तो यह है कि राज्य सरकार जिहादियों की हरकतों पर आंख मूंद ले रही है। सरकार को डर लग रहा है कि यदि कोई कार्रवाई की गई तो मुसलमान राजद और जदयू को वोट नहीं देंगे। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार की इस तुष्टीकरण नीति से आम जन भयाक्रांत है।
12 जनवरी को अररिया में जिहादी तत्वों ने पुलिस पर हमला किया। इससे पहले दिसंबर के अंतिम सप्ताह में नगर निकाय चुनाव का परिणाम सामने आया। जनता ने पहली बार सीधे मतदान से महापौर और उप महापौर को चुना। 13 जनवरी को इनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इस बीच सीतामढ़ी में दंगाइयों ने जमकर हंगामा मचाया। शहर में मंदिर के सामने पाकिस्तानी झंडा लहराया गया। सिवान में तलवारों के साथ बड़ा जुलूस निकाला गया।
अब एक बार फिर अररिया की बात। वैसे भी पूर्णिया प्रमंडल जिहादियों के लिए की प्रयोग भूमि बन चुकी है। इसमें एक प्रयोग पुलिस बल पर हमला करना भी है। 2021 में किशनगंज में पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार की जिहादियों ने पीट पीट कर हत्या कर दी थी। 2023 के प्रारंभ में अररिया में यह प्रकरण फिर से दुहारने की कोशिश की गई। सौभाग्य से पुलिस की दारोगा राजनंदनी की जान बच गई।
घूरना थानाध्यक्ष राजनंदनी ने बताया कि गजाला खातून और शकील खान के बीच वर्षों से भूमि विवाद चल रहा है। इसमें गजाला द्वारा कई बार आवेदन दिया गया था। इसी की जांच के लिए वहां पुलिस टीम गई थी। भूमि विवाद के इस मामले में वे पुलिस बल के साथ जांच करने गई थीं। वहां पहले से क्रिकेट मैच चल रहा था। इसमें कुख्यात मो. नेहाल भी उपस्थित था। नेहाल सुपौल जिले के बलुआ बाजार के कुशहर का रहने वाला है। बदमाश नेहाल पर सुपौल जिले के कई थानों में केस दर्ज हैं। इसके अलावा फारबिसगंज, घूरना, नरपतगंज के थानों में उसके खिलाफ मामले दर्ज हैं। पुलिस को देखकर नेहाल भागने लगा। पुलिस ने शक के आधार पर उसे पकड़ लिया। इतने में चारों ओर से उसके सहयोगी आ गए। इन लोगों ने थानाध्यक्ष समेत पुलिस टीम को घेर लिया और क्रिकेट के बल्ले से हमला कर दिया। हल्ला सुनकर कुछ और जिहादी तत्व लाठी – डंडे लेकर वहां जुट गए।
इस दौरान पुलिस कर्मी जान बचाकर भागे, लेकिन बदमाशों ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पुलिस टीम की राइफल छीनने का भी प्रयास किया गया। हमलावरों ने होमगार्ड के एक जवान को घर में बंद कर दिया। थानाध्यक्ष ने उपद्रवियों से होमगार्ड जवान को छोड़े जाने की गुहार भी लगाई, लेकिन उपद्रवियों ने थानाध्यक्ष की एक भी नहीं सुनी। बदमाशों के हमले में चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। हमलावरों ने पुलिस की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त कर दी।
थानाध्यक्ष ने बताया कि मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार सिंह और फारबिसगंज के एसडीपीओ शुभांक मिश्रा को दी गई। वीडियो फुटेज के आधार पर 26 लोगों की पहचान की गई है। सभी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हालांकि घटना के 5 दिन बीत जाने के बाद भी अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वरीय अधिकारी इस मामले में स्पष्ट जानकारी भी नहीं दे रहे हैं।
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