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जिहादी उन्माद के विरुद्ध बजरंग दल का देशव्यापी प्रदर्शन 17 और 18 को जनवरी को

by WEB DESK
Jan 16, 2023, 12:08 pm IST
in भारत
डॉ. सुरेंद्र जैन

डॉ. सुरेंद्र जैन

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दो वर्ष में जिहादियों द्वारा बजरंग दल के 9 कार्यकर्ताओं की हत्या की गई और 32 कार्यकर्ताओं पर हमले किए गए। इन घटनाओं को लेकर बजरंग दल के कार्यकर्ता गुस्से में हैं।

विश्व हिन्दू परिषद ने आज कहा है कि कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद जहां पूरा देश प्रगति की राह पर चलने का प्रयास कर रहा है, वहीं जिहादी तत्व पूरी उग्रता के साथ हिंदू संगठनों व हिंदू समाज को एक नई रणनीति के तहत अपना निशाना बनाकर आतंक का माहौल बनाना चाहते हैं। विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने कहा कि शायद वे 1946 के समय की प्रत्यक्ष कार्यवाही की स्थिति का निर्माण करना चाहते हैं। उन्हें समझ लेना चाहिए अब यह 1946 का हिंदू समाज नहीं है। यदि कहीं हिंदू युवा प्रतिक्रिया में खड़े होने को विवश हो गए तो उनके लिए बहुत भारी पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सबसे ताजा घटना असम के करीमगंज जिले की है। 8 जनवरी, 2023 को करीमगंज के लोविरपुआ में बजरंग दल के एक 16 वर्षीय कार्यकर्ता की एक जिहादी दरिंदे ने चाकुओं से गोद कर निर्मम हत्या कर दी। उसका दोष सिर्फ यही था कि वह बजरंग दल का कार्यकर्ता था और उस समय वह बजरंग दल के एक शिविर से वापस लौट रहा था। यह इकलौती घटना नहीं है। पिछले 2 वर्ष में जिहादियों द्वारा बजरंग दल के 9 कार्यकर्ताओं की हत्या की गई और 32 कार्यकर्ताओं पर हमले किए गए। हिंदुओं के सबसे प्रखर युवा संगठन माने जाने वाले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करते हुए केवल स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन करके व ज्ञापन देकर अपना आक्रोश व्यक्त किया है। लगता है जिहादी तत्वों ने लोकतांत्रिक मर्यादाओं में रहने को बजरंग दल की कमजोरी मान लिया है। यदि कहीं हिंदू युवा प्रतिक्रिया में खड़े होने को विवश हो गए तो उसकी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी उन मुल्ला—मौलवियों और ओवैसी जैसे कट्टरपंथी नेताओं की ही होगी, जिनके जहरीले भड़काऊ बयानों और तकरीरों की वजह से यह बर्बर और आत्मघाती उन्माद बढ़ रहा है।
डॉ जैन ने कहा कि अब जिहादी उन्माद हिंदू समाज के लिए एक राष्ट्रव्यापी चुनौती बन गया है। इसलिए बजरंग दल 17 व 18 जनवरी, 2023 को संपूर्ण देश में जिला केंद्रों पर धरना प्रदर्शन करेगा व जिलाधीश के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन देगा जिसमें जिहादी उन्माद को कुचलने के लिए राष्ट्रव्यापी योजना बनाने का निवेदन किया जाएगा। हमलावरों और उनको भड़काने वाले नेताओं पर ऐसी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए जिससे कोई और इस मार्ग पर चलने से पहले 10 बार सोचने के लिए मजबूर हो।
उन्होंने कहा कि जिहादियों का आतंक किसी नाम का मोहताज नहीं है। सिमी को प्रतिबंधित करने के बाद उसके कार्यकर्ता पीएफआई के नाम से काम कर रहे थे। अब पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद कहीं सिटीजन फोरम या कहीं कुछ और नामों का प्रयोग कर वे अपनी आतंकी गतिविधियों के प्रसार में लगे हैं। उन्माद का प्रेरक नाम नहीं जिहादी विचारधारा है। इस पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी जनमत निर्माण करने और कठोर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि जिहादियों ने हिंदू नेताओं पर हमला करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। हमला करने के लिए वे अवयस्कों को चुनते हैं जिनमें मदरसों की शिक्षा व बकरों की कुर्बानी के अभ्यास के कारण क्रूरता व नफरत पहले से ही कूट-कूट कर भरी होती है। इसलिए इन हमलों में शामिल नाबालिगों को बालिग मानकर सजा देने का स्थाई प्रावधान बनाने की आवश्यकता है।
विहिप हिंदू समाज को सजग करती है कि अब जिहादियों ने हिंदू और देश के विरुद्ध एक प्रकार का युद्ध छेड़ ही दिया है। अपने जान—माल, बहन—बेटी और देश की रक्षा के लिए सबको उनसे सतर्क रहकर उनका मुकाबला करने के लिए तत्पर होना पड़ेगा। विहिप मुस्लिम नेताओं और मौलवियों को परामर्श देती है कि जिहाद का मार्ग आत्मघाती मार्ग है। वह विकास नहीं विनाश की ओर ले जाता है। उनको अपने नेताओं व व्यवस्थाओं में वह परिवर्तन करना चाहिए जो उन्हें शांतिपूर्ण जीने का मार्ग दिखा सके। पड़ोसी देशों के अनुभव से उन्हें सीखना चाहिए। शांतिप्रिय हिंदू समाज की संभावित प्रतिक्रिया को आमंत्रित नहीं करना चाहिए। हम सबको मिलकर शांतिपूर्ण सह अस्तित्व का मार्ग तलाशना चाहिए, यही उनके हित में होगा।

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