कालसी (चकराता)। देहरादून जिले के चकराता रिजर्व फॉरेस्ट में कालसी क्षेत्र में बनी अवैध मजार और कब्रिस्तान के लिए अवैध रूप से कब्जाई जमीन पर वन विभाग ने फिर से अपना कब्जा कर लिया। जानकारी के मुताबिक वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने अपनी श्रमिकों की टीम ले जाकर अवैध मजारों को तोड़ दिया।
वन विभाग के मुताबिक चकराता वन प्रभाग अंतर्गत कालसी कक्ष संख्या- 17 में 2.65 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि को वर्षों से चले आ रहे अवैध अतिक्रमण (कब्रिस्तान/मज़ार) को कब्ज़ा मुक्त कर लिया गया है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान मुस्लिम समाज की ओर कोई भी विरोध का प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। उक्त क्षेत्र की सुरक्षा हेतु वानिकी बंदीकरण यानि तारबाड़ कर आगामी मॉनसून काल में वृक्षारोपण कार्य प्रस्तावित किया गया है।
उल्लेखनीय है कालसी क्षेत्र के वन कक्ष स. में मुस्लिम समुदाय द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर कब्रिस्तान बनाए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा था। ये वन क्षेत्र चकराता की रिजर्व फॉरेस्ट सीमा में है और यहां आम आदमी का जाना मुश्किल रहता है। बावजूद इसके यहां अतिक्रमण करके निर्माण कार्य कर लिया गया और पहाड़ी के ऊपर अवैध रूप से मजार भी बना दी गई। इस रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में कुछ साल पहले तक एसएसबी के गुरिल्लाओं को ट्रेनिंग दिए जाने का काम होता था। यहीं पास ही सेना का कैंप भी है, जहां अक्सर प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी चलते रहते हैं।
जिस तरह से उत्तराखंड में जंगलों में मजार जिहाद शुरू किया गया, उसी क्रम में यहां भी अतिक्रमण करके यहां अवैध निर्माण किया गया। इस अवैध निर्माण पर पिछले कुछ समय से हिंदू संगठनों द्वारा विरोध दर्ज करवाया गया और इस बारे में जिला प्रशासन, राज्य सरकार, केंद्र सरकार से और पीएम कार्यालय इस बारे में लगातार शिकायते दर्ज की गई थी। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा राज्य के वन विभाग से इस बारे में जब जवाब तलब किया गया तो हड़कंप मच गया। सीएमओ से भी वन विभाग से लगातार पूछ तक होती रही जिसके पीछे वजह साफ ये थी कि रिजर्व फॉरेस्ट में घुसकर अवैध मजार कैसे बन गई थी?
अंततः वन विभाग के अधिकारियों ने अपनी फोर्स के साथ मजदूरों का दल ले जाकर अवैध निर्माण को ध्वस्त करा दिया। खास बात ये कि इस रिजर्व फॉरेस्ट के आसपास दूर-दूर तक कोई मुस्लिम आबादी नहीं है और यदि जंगल से लगी आबादी भी है तो वो हिंदुओ की है जिनके द्वारा इस अवैध कब्जे का विरोध किया जाता रहा था।
चकराता की डीएफओ द्वारा ये भी स्वीकार किया गया था कि यहां अतिक्रमण किया गया है और इसे हटाने के लिए पुलिस फोर्स की जरूरत होगी। बताया जा रहा है कि इस विवादास्पद जमीन को कब्रिस्तान घोषित करने के लिए मुस्लिम समुदाय द्वारा डीएम देहरादून पर दबाव भी डाला जा रहा था, जिसपर डीएम ने वन विभाग को इस संबंध में पत्र भी भेजा था, जबकि वन विभाग की रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन को किसी को देना या स्थानांतरित करने का अधिकार भी केंद्र सरकार के पास है। यही वजह थी कि केंद्रीय वन मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सख्त रुख अपनाया।
पाञ्चजन्य ने प्रकाशित की थी खबर
चकराता रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में अवैध मजार और कब्रिस्तान बनाए जाने की खबर और केंद्र सरकार द्वारा इस बारे में राज्य शासन से ली जाने वाली जानकारी के विषय को अपने सोशल और डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसका राज्य सरकार ने तुरंत संज्ञान लिया।
टिप्पणियाँ