नई दिल्ली। दिल्ली के कंझावला केस में गृह मंत्रालय सख्त रुख अपनाये हुए है। शुक्रवार को इस मामले में 11 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। गृह मंत्रालय ने कार सवार सभी आरोपियों पर धारा 302 लगाने का आदेश दिया है। अब यह माना जा रहा है कि जल्द ही पुलिस इन पर हत्या का केस दर्ज करेगी। मृतक लड़की के परिजन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग लगातार कर रहे थे।
निलंबित पुलिसकर्मियों में दो सब इंस्पेक्टर, चार असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, चार हेड कॉन्स्टेबल और एक कॉन्स्टेबल शामिल है। इनमें से छह पीसीआर की ड्यूटी पर तैनात थे, जबकि पांच अन्य पुलिसकर्मी पिकेट पर तैनात थे। इन सभी पर लापरवाही बरतने का आरोप है। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने हादसा बताने वाले डीसीपी को भी नोटिस जारी किया है।
इससे पहले गुरुवार देर शाम दिल्ली पुलिस ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी थी। रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से तीन पीसीआर और दो पुलिस पिकेट पर तैनात पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का निर्देश दिया, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।
मंत्रालय ने दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द अदालत में चार्जशीट दायर करने और सभी जरूरी कदम उठाने का सुझाव दिया है, ताकि दोषियों को समय पर सजा मिल सके।
मामले में प्रारंभ से ही पुलिस पर गहरी लापरवाही बतरने के आरोप लग रहे हैं। आखिर कैसे कई किलोमीटर तक अंजलि को कार से घसीटा गया, लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने वारदात को नहीं देखा? उस दौरान पीसीआर कर्मी क्या कर रहे थे?
बाहरी जिले के डीसीपी हरेंद्र कुमार सिंह के अनुरोध पर गुरुवार को गुजरात के गांधीनगर से फॉरेंसिक एक्सपर्ट की पांच सदस्य टीम दिल्ली पहुंची थी। उन्होंने इस मामले में कई फॉरेंसिक एविडेंस इकट्ठा किए, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने दो जनवरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल कमिश्नर शालिनी सिंह को मामले में जांच का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने ही इस जांच को पूरा किया और अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी। इस मामले में छह आरोपी जेल में बंद हैं।
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