मदरसों पर मेहरबान नीतीश सरकार, संस्कृत विद्यालय उपेक्षित

Published by
संजीव कुमार

बिहार में कट्टरवादियों के डर से राज्य सरकार फैसले लेने लगी है। जहां मदरसों की स्थिति सुधारने के लिए कई पहल किए जा रहे हैं, वहीं संस्कृत विद्यालय की स्थिति अभी भी आदिम युग से बेहतर नहीं हो पाई है।

समाधान यात्रा के क्रम में 8 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिवान में थे।  वे महाराजगंज प्रखंड की हजपुरवा पंचायत के सोनवर्षा गांव पहुंचे और वहां बिहार राज्य मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना के अंतर्गत तालीम-ए-नौबालिगान का जायजा लिया। उन्होंने सोनवर्षा के मदरसा इस्लामिया अरबिया नईमिया का भी निरीक्षण किया। तालीम-ए-नौबालिगान कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जा रहे मॉड्यूल के विषयों के संबंध में मुख्यमंत्री को वहां के छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शनी के माध्यम से जानकारी दी। राज्य सरकार यूनिसेफ के सहयोग से बिहार में यह कार्यक्रम चला रही है। इसका उद्देश्य मदरसा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा और सम सामायिक जानकारी प्रदान करना है।

मदरसों को देखने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले मदरसे के शिक्षकों को तनख्वाह नहीं मिलती थी। मदरसा की स्थिति सुधारने और उसे आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने काफी काम किया है। मदरसे में बेहतर ढंग से पढ़ाई हो रही है। अब मदरसों में विज्ञान के विषयों की भी पढ़ाई हो रही है। ये लोग मदरसा का विस्तार करना चाहते हैं, यह काम भी करवा दिया जाएगा। मदरसे में पढ़ाई और छात्रावास की सुविधा को लेकर जरूरी निर्देश दिये गए हैं। मदरसों को उत्क्रमित कर उन्हें डिग्री कॉलेज जैसा बनाने की भी घोषणा उन्होंने की।

 

बिहार में लगभग 3, 500 मदरसे हैं

बिहार में 3,500 के करीब मदरसे हैं। इन मदरसों में लगभग 6 लाख बच्चे पढ़ते हैं। बिहार राज्य मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना के अंतर्गत राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है। बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए मदरसों को हर स्तर पर विकसित किया जा रहा है। मदरसों में इंटरनेट की सुविधा देकर हाईटेक तकनीक से पढ़ाई की व्यवस्था बहाल की गई है। इंबाइब एप्प के माध्यम से छात्रों को शिक्षा देने के लिए समझौता हुआ है। इस एप्प के ज़रिए कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को गणित और विज्ञान की शिक्षा दी जाएगी। 9 क्लास से 12 क्लास तक बच्चों को विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान की शिक्षा दी जाएगी। इसके अलावा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 100 बेड की क्षमता वाले छात्रावास एवं कांफ्रेंस हाल का निर्माण, कंप्यूटर लैब, ई-लाइब्रेरी की स्थापना को लेकर 28 करोड़ 61 लाख रुपये जारी किए हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर प्रत्येक जिले में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय का निर्माण कार्य  तेजी से प्रारंभ किया जा रहा है।

 

संस्कृत विद्यालय उपेक्षित क्यों

एक ओर राज्य सरकार मदरसों को दिल खोलकर मदद दी जा रही है, वहीं राज्य के संस्कृत विद्यालय अभी भी आदिम युग में हैं। बिहार में लंबे समय से संस्कृत की उपेक्षा हो रही है। बिहार विधान सभा में भाजपा के मुख्य सचेतक जनक सिंह ने आरोप लगाया है कि संस्‍कृत विद्यालय और संस्‍कृत शिक्षक लंबे समय से अनुदान की राह ताक रहे हैं, ले‍किन उन्‍हें निराशा ही हाथ लग रही है। संस्‍कृत देवभाषा है। संस्‍कृत और संस्‍कृ‍ति के बिना हिंदू सनातन धर्म कैसे बचेगा? यह अत्‍यंत  चिंताजनक है। बिहार के छात्रों को वेद और ज्‍यो‍तिष विद्या की शिक्षा के लिए बनारस या प्रयाग जाना पड़ता है। बिहार में ये सु‍विधा क्‍यों नहीं है?  इस पर भी मुख्यमंत्री को  गंभीरता से ध्‍यान देना होगा।

Share
Leave a Comment
Published by
संजीव कुमार

Recent News