समाधान यात्रा के दौरान छपरा में दलित बस्ती को घेरा गया, ताकि वहां के लोग मुख्यमंत्री से शिकायत न कर सकें

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संजीव कुमार

समाधान यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज छपरा में हैं। उनके वहां पहुंचने से पहले ही प्रशासन ने कई स्थानों को ढक दिया।  

इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए यात्रा कर रहे हैं। इसलिए इस यात्रा का नाम है समाधान यात्रा। लेकिन समाधान यात्रा किसी समस्या का समाधान करती नहीं दिख रही है। यात्रा के दौरान जैसी हरकतें हो रही हैं, उन्हें देखते हुए लोग कह रहे हैं कि पहले ही पटकथा लिखी गई है और उसके अनुसार केवल ‘फिल्म’ बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री के आने के पूर्व अधिकारी अपनी कमियों पर पर्दा डाल रहे हैं। पटकथा के अनुसार इलाके को साफ—सुथरा दिखाया जा रहा है। आज मुख्यमंत्री छपरा में हैं। मुख्यमंत्री के वहां पहुंचने से पहले प्रशासन ने अपनी कमी पर पर्दा डालने के लिए 30 करोड़ की लागत से बने शहर के खनुआ नाला को ढक दिया। करोड़ों की लागत से बने गर्ल्स स्कूल को भी ढक दिया गया। यही नहीं, कोई दलित अपनी शिकायत न कर सके इसलिए दरियापुर प्रखंड के भैरोपुर स्थित दलित बस्ती को भी घेर दिया गया है।

ऐसी हरकतों को देखकर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इसे व्यवधान यात्रा बताया है। महागठबंधन के प्रमुख घटक दल हम (से) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने समाधान यात्रा के औचित्य पर सवाल उठाते हुए नीतीश कुमार को सलाह दी है कि वे वेश बदलकर जनता के बीच में जाएं तभी सरकार के कामकाज का सही आकलन हो पाएगा। आवरण के मध्य यात्रा करने का कोई मतलब नहीं।

बता दें कि नीतीश कुमार की समाधान यात्रा 05 जनवरी से प्रारंभ हुई है। राज्य सरकार द्वारा यह प्रचारित किया गया है कि मुख्यमंत्री जनता के बीच जाकर विकास योजनाओं की सच्चाई जानेंगे। लेकिन आम आदमी की बात तो दूर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मुख्यमंत्री को नमस्कार तक नहीं कर सकते। किससे मिलना है, यहां पहले से निर्धारित है। ऐसा सुरक्षा कारणों से नहीं किया जा रहा, बल्कि निर्धारित पटकथा में कोई खलल न पड़े इसलिए ऐसा किया जा रहा है। कड़कती ठंड में भी सीतामढ़ी में स्कूल के बच्चों को मुख्यमंत्री की सभा में बुलाया गया।

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार की रुचि किसी समस्या के समाधान में नहीं, बल्कि समाधान यात्रा की आड़ में राजनीति करने में है। सचिवालय सहायक पद के परीक्षार्थियों और शिक्षक अभ्यर्थियों में व्याप्त रोष के डर से चंपारण में सैकड़ों युवाओं को घरों में कैद करके रखा गया। ऐसा आरोप है कि पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिले के अधिकारी सचिवालय सहायक और शिक्षक अभ्यर्थियों के घरोें में गए। उन्हें घर के अंदर रहने की या फिर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। जबकि 8 साल बाद सचिवालय सहायक की परीक्षा हो रही थी। बार-बार परीक्षा के प्रश्न-पत्र ‘लीक’ हो जा रहे हैं। रेलवे की परीक्षा में डेढ़ करोड़ विद्यार्थी बैठते हैं। कभी भी इन परीक्षाओं का पर्चा ‘लीक’ नहीं हुआ, जबकि बिहार के प्रायः हर प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्न-पत्र लीक होने की बात सामने आती रही है।

समाधान या समय पास यात्रा- डॉ. संजय जायसवाल

एक तरफ तो मुख्यमंत्री समाधान यात्रा पर निकले हैं, लेकिन केंद्र सरकार की कई योजनाएं भूमि अधिग्रहण के कारण लंबित हैं। दरभंगा एम्स की घोषणा छह वर्ष पूर्व हुई है, लेकिन आजतक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका। दरभंगा एम्स के बाद कई अन्य एम्स खुल गए। पटना एम्स में भी मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद 25 एकड़ जमीन नहीं मिल सकी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने इसे समय पास यात्रा बताया है।

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