अमूमन मोटे अनाजों की खेती कम बारिश वाले इलाकों के अनुपजाऊ जमीन पर की जाती है। फसल चक्र आधारित खेती के प्रशिक्षण में मोटे अनाजों की खूबियों एवं फसल चक्र में शामिल करने से होने वाले लाभ के बारे में किसानों को जानकारी दी जाएगी। पोषण की दृष्टि से विशेष पोषक तत्व – प्रोटीन, जिंक, आयरन, विटामिन से भरपूर पौष्टिक प्रजातियों के विकास के लिए संबंधित संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्य एवं जिला स्तर पर दो-दो दिन की गोष्ठियां होंगी।
उत्पादन में गुणवत्तापूर्ण बीज के महत्व को ध्यान में रखकर किसानों को बाजरा, ज्वार, कोदो एवं सावां के बीज उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश सरकार हर किसान को बेहतर बीज उपलब्ध कराएगी। अधिक से अधिक किसान इनकी खेती करें इसके लिए उनकी खूबियों पर फोकस करते हुए अभियान (रोड शो, होर्डिंग्स, वाल पेंटिंग) भी चलाया जाएगा। राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर राष्ट्रीय मिलेट्स दिवस, प्रमुख उत्पादक जिलों में एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में मिलेट्स को बढ़ावा, समेकित बाल विकास एवं पुष्टाहार योजना एवं आश्रम पद्धति विद्यालयों में मिलेट्स को खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाएगा।
मूल्य संवर्धन के लिए बिस्कुट, बेकरी, केक, ब्रेड, नूडल्स एवं कुकीज आदि बनाने वाली इकाइयों की भी सरकार हर संभव मदद करेगी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-न्यूट्री सीरियल्स घटक में अलग फसलों के लिए यूपी के कुल 24 जिले शामिल हैं। मसलन ज्वार के लिए जिन 5 जिलों को चुना गया है उनमें बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, कानपुर देहात एवं कानपुर नगर शामिल हैं। बाजरा के लिए जिन 19 जिलों को चुना गया है उनमें आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, औरैया, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, इटावा, फिरोजाबाद, गाजीपुर, हाथरस, जालौन, कानपुर देहात, कासगंज, मैनपुरी, मथुरा, मीरजापुर, प्रतापगढ़ एवं संभल शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि बाजरा एवं ज्वार भारत के दो प्रमुख मोटे अनाज हैं। महाराष्ट्र में 6.88 लाख हेक्टेयर में बाजरे की खेती होती है। प्रति हेक्टेयर प्रति किग्रा उपज के लिहाज से उत्तर प्रदेश इन दो राज्यों से आगे हैं। उत्तर प्रदेश की उपज 2156 किग्रा है तो राजस्थान एवं महाराष्ट्र की उपज क्रमशः 1049 और 955 किग्रा है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में रकबा और उपज दोनों बढ़ाने की खासी संभावना है। खासकर रकबा बढ़ाने की। भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश, ज्वार के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। रकबे के मामले में कर्नाटक एवं प्रति हेक्टेयर प्रति कुन्तल उपज के मामले में कर्नाटक नंबर एक पर है। उत्तर प्रदेश में इसमें भी रकबा और उपज बढ़ाने की खासी संभावनाएं हैं।
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