अमेरिका के एक विश्वविद्यालय ने अपने एक प्रोफेसर का इसलिए निकाल बाहर किया क्योंकि उसने कद्वाा में पैगंमर मोहम्मद का चित्र दिखाते हुए उनके बारे में बताया था। इससे मुस्लिम छात्र भड़क गए और उस प्रोफेसर की शिकायत कर दी उसने ‘मजहब का अपमान’ किया है। इस्लामवादियों का ऐसा दबाव पड़ा कि आखिरकार विश्वविद्यालय को उस प्रोफेसर की ही छुट्टी करनी पड़ गई।
यह घटना तथाकथित सबसे ‘विकसित’ और ‘खुले दिमाग वाले अभिव्यक्ति की आजादी के पैरोकार’ अमेरिका की है। यहां मिनीसोटा में हैमलाइन विश्वविद्यालय के अधिकारी डेविड एवरेट ने अक्तूबर की उक्त घटना के बारे में नवम्बर में छात्रों को लिखे ईमेल में इस घटना को ‘असंगत, अपमान करने वाली और इस्लामोफोबिक’ करार दिया था। इसके बाद विश्वविद्यालय से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘द ऑरेकल’ में बताया गया कि उस प्रोफेसर का निकाल दिया गया है।
हुआ यूं था कि उक्त कला इतिहास के प्रोफेसर ने मुसलमानों के पैगंबर और इस्लाम को शुरू करने वाले मुहम्मद का मध्यकाल का चित्र दिखाया था। इससे नाराज मुस्लिम छात्रों ने प्रशासन से इसकी शिकायत करते हुए ‘भावनाएं आहत’ होने का तर्क दिया था।
अमेरिका के मिनीसोटा के सेंट पॉल में स्थित हैमलाइन यूनिवर्सिटी (Hamline University, US) ने इस अनाम प्रोफेसर को हटाने के पीछे तर्क भी दिया है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद की तस्वीर को देखना मुस्लिमों के लिए मनाही है।
प्रोफेसर के दिखाए उस चित्र में पैगंबर मुहम्मद को फरिश्ते गेब्रियल से निर्देश लेते दिखाया गया था। दरअसल यह मूल चित्र स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में सहेजा हुआ है। बताया जाता है कि यह चित्र करीब 14वीं-16वीं ईस्वीं में बनाया गया था।
लेखक एंड्रयू डॉइल ने विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को निकाले जाने संबंधी बयान अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। इसमें लिखा है कि ‘विश्वविद्यालय अकादमिक आजादी का तो हामी है, लेकिन प्रोफेसर ने पैगंबर की तस्वीर प्रोजेक्टर पर दिखाकर मुस्लिम छात्रों को उसे कुछ देर देखने के लिए मजबूर कर दिया, यह आजादी की हद लांघने वाली बात थी’।
मिनीसोटा के हैमलाइन विश्वविद्यालय के वे प्रोफेसर कला इतिहास पढ़ा रहे थे। कक्षा में इस्लामी कला विषय पर चर्चा चल रही थी। इसी चर्चा के बीच उन्होंने इस्लाम की शुरुआत करने वाले पैगंबर मुहम्मद का एक मध्ययुगीन चित्र दर्शाया और उससे जुड़ी जानकारी देने लगे। ऐसा करीब दस मिनट तक चला।
प्रोफेसर के दिखाए उस चित्र में पैगंबर मुहम्मद को फरिश्ते गेब्रियल से निर्देश लेते दिखाया गया था। दरअसल यह मूल चित्र स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में सहेजा हुआ है। बताया जाता है कि यह चित्र करीब 14वीं—16वीं ईस्वीं में बनाया गया था।
पैगम्बर मुहम्मद के चित्र को देखकर मुस्लिम छात्र-छात्राएं भड़क गए। वे बोलने लगे कि पैगंबर का चित्र दिखाना ‘इस्लाम में हराम’ है। इतना ही नहीं, उन मुसलमान छात्रों ने अपने विश्वविद्यालय की इस्लामी छात्र यूनियन को पूरी बात बताकर उसे इस बारे में कदम उठाने को कहा। इस्लामी यूनियन ने अगले ही दिन विश्वविद्यालय के प्रशासन के सामने घटना का उल्लेख करते हुए शिकायत दर्ज कर दी। इस्लामी यूनियन ने प्रोफेसर के विरुद्ध कोई कदम उठाने का दबाव बनाया।
इसके बाद घटनाक्रम तेजी से चला और अंतत: हैमलाइन विश्वविद्यालय ने इस्लामवादियों के सामने एक तरह से घुटने टेकते हुए कड़ा कदम उठाया और प्रोफेसर को निकाल दिया। हालांकि विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर इस कदम से हैरान हैं। यह घटना अमेरिका और यूरोप में तेजी से बढ़ते जा रहे मजहबी कट्टरपंथ और इस्लामवादियों के असहिष्णु बर्ताव की एक और बानगी देती है।
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