2022 के आखिरी दिनों में चीन में कई शहरों में शी जिनपिंग सरकार की जीरो कोविड नीति के विरुद्ध सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों पर अब पुलिस की गाज गिरनी शुरू हो चुकी है। इन प्रदर्शनकारियों ने आवेश में ‘राष्ट्रपति जिनपिंग इस्तीफा दो’ के नारे लगाते हुए कोरोना के नाम पर सख्त पाबंदियों को फौरन हटाने को कहा था। पता चला है कि अब ऐसे कई लोगों की पहचान करके उन्हें जेलों में ठूंसा जा रहा है।
राजधानी बीजिंग सहित चीन के कम से कम आठ शहरों में लोगों ने तब भारी संख्या में सड़क पर उतरकर ‘जीरो कोविड नीति’ के विरुद्ध प्रदर्शन किए थे। पुलिस की सख्ती सहते हुए भी ये लोग सड़कों पर वीडियो बनाकर साझा कर रहे थे जिससे ज्यादा से ज्यादा चीनवासियों और दुनिया के अन्य देशों तक अपनी पीड़ा पहुंचा सकें। प्रशासन ने इन प्रदर्शनकारियों को तितर—बितर करने के लिए कई जगह बल प्रयोग किया था। लेकिन लोगों के हुजूम उमड़े पर रहे थे। खासकर सिंक्यांग के कई शहरों में हालात बहुत उग्र हो चले थे।
इन प्रदर्शनों के दबाव में जिनपिंग सरकार ने कोरोना के कारण लगाईं सख्तियों में ढील दे दी। इसका नतीजा यह हुआ कि कोरेाना महामारी बेकाबू हो गई। रोजाना हजारों लोग मरने लगे। अस्पतालों में हाहाकार मच गया, कब्रिस्तानों में लंबी कतारें लग गईं। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने रोजाना के आंकड़े छुपाने शुरू कर दिए। पूरी दुनिया चीन की बदहाली देकर फिर से कोरोना के प्रकोप को झेलने की आशंका से सिहर उठी। वर्तमान में भारत सहित कई देशों ने कोरोना से बचने के उपायों की समीक्षा करके हर चीज व्यवस्थित कर ली है।
लेकिन अब उधर चीन से आ रहे समाचार बता रहे हैं कि एक ओर महामारी से युद्ध स्तर पर निकपटा जा रहा है तो दूसरी तरफ जिनपिंग के विरुद्ध नारे लगाने वाले लोगों को चिन्हित करके उनकी धरपकड़ की जा रही है। इस बारे में द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि ऐसे सभी प्रदर्शनकारियों को अब पुलिस जबरन थानों में पहुंचा रही है। उन्हें हिरासत में लिया गया है और सख्ती से पूछताछ की जा रही है। कम्युनिस्ट सरकार फूंक फूंक कर कदम उठा रही है। उन्हें संभवत: शक है कि इस सरकार विरोधी आवेश के पीछे कहीं किसी विदेशी शक्ति का हाथ तो नहीं है। पुलिस आधुनिक तकनीकों की मदद से एक एक प्रदर्शनकारी को पहचान कर दबिश दे रही है। इससे कई शहरों में लोग डरे—सहते हुए हैं।
सरकार पर गुस्सा हुए नागरिकों को शायद अंदाजा नहीं था कि विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की वजह से उन पर ऐसी सरकारी आफत आन पड़ेगी। लेकिन अब सैकड़ों लोगों को कम्युनिस्ट सरकार और उसमें भी राष्ट्रपति जिनपिंग के विरुद्ध नाराजगी दिखाना भारी पड़ रहा है। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, शंघाई ही नहीं, राजधानी बीजिंग के अनेक लोगों ने बताया है कि पुलिस ने उनसे पूछताछ करते हुए कपड़े तक उतरवाए, कैमरों से रिकार्डिंग की, उनके परिवारों को धमकाया और अन्य तरह का दबाव डाला।
प्रदर्शनों की सारी जानकारी रखने वाले एक स्थानीय वकील का कहना है कि पुलिस द्वारा संभवत: आधुनिक तकनीकें, नेटवर्क आदि इस्तेमाल की जा रही हैं जिनसे प्रदर्शनों में शामिल लोगों के फोन नंबर निकाले जा रहे हैं। ‘जीरो कोविड नीति’ के विरुद्ध प्रदर्शन करने की वजह से गिरफ्तार किए लोगों में ऐसा खौफ बैठ गया है कि अब वे घर से निकलने में कतरा रहे हैं। यह सही भी है क्योंकि कम्युनिस्ट सरकार बर्बरता में किस हद तक जा सकती है इसे कम से कम चीन के लोग तो बखूबी समझते ही हैं।
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