झारखंड स्थित सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ अनशनरत जैन मुनि समर्थ सागर ने अपने प्राण त्याग दिए। सांगानेर में विराजित आचार्य सुनील सागर महाराज के एक और शिष्य मुनि समर्थ सागर का भी गुरुवार देर रात एक बजे देवलोकगमन हो गया। चार दिन में ये दूसरे संत हैं, जिन्होंने अपनी देह त्यागी। शुक्रवार सुबह संत के देह छोड़ने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोग मंदिर पहुंचे। संत की डोल यात्रा संघीजी मंदिर से विद्याधर नगर तक निकाली गई।
जयपुर के सांगानेर स्थित संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर में समर्थसागर आमरण अनशन पर बैठे थे। सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में इसी मंदिर में जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 3 जनवरी को प्राण त्यागे थे। मंदिर में आचार्य सुनील सागर महाराज प्रवास पर हैं और उनके सानिध्य में ही मुनि समर्थसागर काे जैन रीति-रिवाजों के साथ आज समाधि दी गई।
इस मौके पर जैन संत शशांक सागर ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करेगी तब तक मुनि बलिदान देते रहेंगे। आचार्य शशांक सागर महाराज ने कहा कि जयपुर के दो मुनियों ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यहां आकर जैन समाज की मांग का समर्थन करना चाहिए।
संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर के मंत्री सुरेश कुमार जैन ने बताया कि शुक्रवार आधी रात बाद एक बजे जैन मुनि समर्थसागर ने अपनी देह त्याग दी। उन्होंने श्री सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपनी देह का बलिदान दिया है, जो हमेशा याद रखा जाएगा। समर्थसागर महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के ही शिष्य हैं। इससे पहले जब सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था तब समर्थसागर ने धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था और तब से वह उपवास पर चल रहे थे।
झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर जैन समाज की आस्था के केंद्र सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया गया था, लेकिन जैन समाज के विरोध प्रदर्शन के चलते केंद्र सरकार ने ये फैसला वापस ले लिया है। केंद्र ने वहां पर्यटन इको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। केंद्र ने 2 अगस्त 2019 को इको सेंसेटिव जोन से जुड़ी अधिसूचना के प्रावधानों के पालन पर तत्काल रोक लगाने के लिए झारखंड सरकार को पत्र भी लिखा है।
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