रोहिणी जिले के कंझावला मामले में गुरुवार को दिल्ली पुलिस की तरफ से प्रेस वार्ता की गई। इस दौरान दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी सागर प्रीत हुड्डा ने बताया कि, आरोपितों के साथ पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है कि घटना के समय दीपक नहीं बल्कि अमित कार चला रहा था। वह इस मामले में दो अन्य लोगों को भी आरोपित बनाया गया है। पुलिस उन आरोपितों को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है। साथ ही यह भी सामने आया है कि 31 दिसंबर को अंजलि-निधि में 25 बार बात हुई थी।
कंझावला हिट एंड रन मामले में दिल्ली पुलिस की जांच में कई अहम जानकारियां निकलकर सामने आई हैं। गुरुवार को को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी लॉ एंड ऑर्डर सागर प्रीत हुड्डा ने बताया कि इस मामले में दो अन्य आरोपितों की भी संलिप्तता सामने आई है। एक आरोपित आशुतोष है जिसके पास से पकड़े गए आरोपित कार मांग कर लाए थे। वहीं एक अन्य आरोपित अंकुश भी आरोपितों के संपर्क में था।
पुलिस दोनों आरोपितों की तलाश कर रही है। वही पुलिस जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपितों ने पकड़े जाने के समय जो बयान दिया था वह भी गलत है। घटना के समय दीपक कार नहीं चला रहा था बल्कि अमित कार चला रहा था क्योंकि अमित के पास लाइसेंस नहीं था इसलिए अंकुश ने आरोपितों को दीपक द्वारा कार चलाए जाने की बात कही गई थी।
स्पेशल सीपी ने बताया कि अलग-अलग जगहों से मिले सीसीटीवी फुटेज घटना की टाइमलाइन पर एक सीक्वेंस पर नहीं आ पा रहे हैं। इस मामले में अभी तक केवल अंजलि की स्कूटी पुलिस बरामद कर पाई है जबकि उसका मोबाइल फोन अभी भी पुलिस के हाथ नहीं लगा है। अंजलि के निधि के साथ दोस्ती के मामले पर स्पेशल सीपी ने कहा कि 29 दिसंबर से लेकर 31 दिसंबर के बीच उनके बीच 25 से 30 कॉल की गई है। दोस्ती थी या नहीं थी ये उनका निजी मामला है लेकिन सीडीआर रिपोर्ट के आधार पर पुलिस जांच कर रही है।
हुडा ने यह स्पष्ट किया कि जिस तरह से जांच आगे बढ़ रही है, ऐसे में अगर जरूरत पड़ती है तो पुलिस आरोपितों का लाई डिटेक्टर टेस्ट और नर्कों टेस्ट कराने की मांग कर सकती है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस इस मामले में जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट जाने की भी मांग करती है। पुलिस इस मामले में जल्द से जल्द आरोप पत्र दाखिल करेगी।
घटना में गिरफ्तार किए गए आरोपितों ने पहले पूछताछ में पुलिस को बताया था कि कार में तेज संगीत बज रहा था तो ऐसे में आरोपितों को पता ही नहीं चला कि कार के नीचे कोई फंसा हुआ है। जबकि सामने आया है कि वारदात के दौरान कार आरोपित दीपक खन्ना चला रहा था। घटना के कुछ देर बाद उसने साथियों से कहा कि उसे महसूस हो रहा है कि कार के नीचे कुछ फंसा है, इस पर साथियों ने उसे चलते रहने के लिए कहा। यदि शुरू में पुलिस आरोपितों के बयानों का सत्यापन करने और घटना के चश्मदीद की तलाश के लिए गंभीरता से काम करती तो कई सवालों के जवाब पहले ही मिल चुके होते।
वारदात के दो दिनों तक पुलिस को यह नहीं पता चला कि वारदात के समय स्कूटी पर अंजलि के साथ उसकी सहेली भी थी। वहीं घटना के 5 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस यह नहीं बता पा रही है कि अंजलि को कितने किलोमीटर तक कार के नीचे घसीटा गया। सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि 12 किलोमीटर से अधिक दूरी तक उसे खींचा गया है हालांकि वास्तविकता में कितनी दूरी यह स्पष्ट नहीं है। इसके बावजूद पुलिस ने शुरू में एफआइआर में धारा 279 (खतरनाक तरीके से वाहन चलाने) और धारा 304ए (जब कोई व्यक्ति उतावलेपन में ऐसा कार्य करे जिससे हत्या हो जाए, जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा ना हो) सिर्फ यही दो धाराएं लगाई।
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