गृह मंत्रालय (एमएचए) ने गुरुवार को कश्मीरी में जन्मे एजाज अहमद अहंगर उर्फ अबू उस्मान अल-कश्मीरी को खूंखार आतंकवादी घोषित किया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत अहमद अहंगर उर्फ अबू उस्मान अल-कश्मीरी को आतंकवादी घोषित किया है। 1974 में श्रीनगर में जन्मा अबू उस्मान फिलहाल अफगानिस्तान में स्थित है और इस्लामिक स्टेट जम्मू और कश्मीर (आईएसजेके) के प्रमुख भर्ती करने वालों में शामिल है।
Centre has declared Ahmad Ahanger alias Abu Usman Al-Kashmiri as terrorist under Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967. The Srinagar born terrorist is presently based in Afghanistan and is one of the chief recruiters of Islamic State Jammu and Kashmir (ISJK): MHA pic.twitter.com/xzNYJzRfP1
— ANI (@ANI) January 5, 2023
दो दशकों से जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा ‘वांछित’ एजाज का अल-कायदा और अन्य वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंध रहा है। वह भारत में इस्लामिक स्टेट (आईएस) चैनलों को फिर से शुरू करने में सक्रिय है। वह लगातार कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है और उसने एक ऑनलाइन भारत-केंद्रित आईएसआईएस प्रचार पत्रिका शुरू की है।
श्रीनगर में हुआ था जन्म
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए गजट के मुताबकि, एजाज अहंगर उर्फ अबू उस्मान अल कश्मीरी पुत्र मुहम्मद अब्दुल्लाह अहंगर का जन्म 1974 में श्रीनगर के नवाकदल में हुआ था। जिहादी ट्रेनर और रिक्रूटर एजाज अहमद अहंगर 55 वर्ष का है। वह कई वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रहा। कई बार उसे गिरफ्तार भी किया गया था। आखिरी बार वह 1996 में कश्मीर की जेल से रिहा होने के बाद से लापता हो गया और आज जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। गृह मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में वह अफगानिस्तान में रह रहा है।
जम्मू-कश्मीर में दो दशकों से वांछित आतंकी
जम्मू-कश्मीर में बीते दो दशकों से ज्यादा समय से एजाज अहमद अहंगर वांछित आतंकवादी है और उसने कई आतंकी संगठनों के बीच समन्वय चैनल बनाकर जम्मू-कश्मीर में आतंक संबंधी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इन सबको देखते हुए केंद्र सरकार ने यूएपीए, 1967 की धारा 35 (1) के तहत उसको नामित आतंकी घोषित कर दिया है।
जानिए कब सामने आया नाम
एजाज का नाम 2020 में तब सामने आया जब अफगान खुफिया एजेंसियों ने 25 मार्च, 2020 को काबुल गुरुद्वारे पर हुए हमले की जांच शुरू की। इस्लामिक स्टेट फॉर खुरासान प्रोविंस (ISPK) के प्रमुख और उसके साथियों को इस हमले के लिए जिम्मेदार माना गया। गुरुद्वारे पर हमले में 25 सिख श्रद्धालु मारे गए थे। यह एक ऐसी घटना जिसने अफगानिस्तान और भारत के बीच संबंधों को बहुत तनावपूर्ण कर दिया था।
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