नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक हब बनाना है। इसके लिए भारत सरकार 19,744 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस योजना से छह लाख रोजगार सृजित होंगे। इससे सालाना ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में 50 मिलियन मीट्रिक टन की कमी आएगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी।
फैसले के अनुसार राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत साइट प्रोग्राम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1466 करोड़ रुपये और शोध कार्यों के लिए 400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मिशन से जुड़े अन्य पहलुओं पर 388 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
इस योजना के तहत वर्ष 2030 तक वार्षिक 50 लाख मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। मिशन से 125 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होगा। छह लाख रोजगार सृजित होंगे। जीवाश्म आधारित ईंधन के आयात में कटौती होगी, जिससे एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। वार्षिक स्तर पर 5 करोड़ मीट्रिक टन ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी। योजना से देश में ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात के अवसर बढ़ेंगे। उद्योग, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्र से कार्बन कटौती होगी। देश में उत्पादन क्षमताओं और इससे जुड़ी तकनीक का विकास होगा।
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