पाकिस्तान और तालिबान के बीच जुबानी जंग अब धमकियों में बदल चुकी है। पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी हमले पहले से तेज हो चुके हैं। शहबाज सरकार का आरोप है कि अफगानिस्तान टीटीपी आतंकवादियों को शरण दे रहा है। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में घुसकर टीटीपी का सफाया करने की भी बात कही है।
पाकिस्तान के इस ‘धमकी भरे बयान’ से तालिबान को काफी नाराज हो गया और जवाब में तालिबान के एक सदस्य ने पाकिस्तान को भारत के साथ हुए 1971 के युद्ध की याद दिला कर उसके जख्मों को कुरेद दिया।
कतर में तालिबान के एक शीर्ष नेता अहमद यासिर ने चेतावनी भरा ट्वीट करते हुए कहा कि “राणा सनाउल्लाह! बहुत बढ़िया! अफगानिस्तान।।।सीरिया, पाकिस्तान या तुर्किए नहीं है। यह अफगानिस्तान है। यहां बड़ी-बड़ी हुकूमतों की कब्रगाहें हैं। हम पर सैन्य हमले के बारे में मत सोचिए, अन्यथा भारत के साथ शर्मनाक सैन्य समझौते जैसी स्थिति होगी”।
د پاکستان داخله وزیر ته !
عالي جنابه! افغانستان سوريه او پاکستان ترکیه نده چې کردان په سوریه کې په نښه کړي.
دا افغانستان دى د مغرورو امپراتوريو هديره.
په مونږ دنظامي يرغل سوچ مه کړه کنه دهند سره دکړې نظامي معاهدې د شرم تکرار به وي داخاوره مالک لري هغه چې ستا بادار يې په ګونډو کړ. pic.twitter.com/FFu8DyBgio— Ahmad Yasir (@AhmadYasir711) January 2, 2023
इस दौरान तालिबानी नेता ने पाकिस्तान द्वारा भारत के सामने किए आत्मसमर्पण की एक तस्वीर साझा की।
जानिए क्या है इस ऐतिहासिक तस्वीर की कहानी
1971 की इस यह तस्वीर उस समय की है जब पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने 16 दिसंबर 1971 को भारत के बहादुर सैनिकों के आगे घुटने टेक दिए थे। इस ऐतिहासिक तस्वीर में दिख रहे सिख अफसर भारतीय सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (पूर्वी कमान) लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा है जिनके सामने पाकिस्तानी फौज के पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण दस्तावेजों पर साइन करते दिखाई दे रहे हैं।
1971 जंग जीतकर भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और इस तरह बांग्लादेश नामक देश अस्तित्व में आया जो इससे पहले ‘पूर्वी पाकिस्तान’ था। बांग्लादेश का बनना पाकिस्तान की सेना के लिए सबसे बड़ी हार का हिस्सा माना जाता है। विशेष रूप से, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था। 1971 का भारत-पाक युद्ध पाकिस्तान की ओर से शुरू किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय वायु सेना (IAF) के ठिकानों पर हमले किये गए। इन अकारण हमलों का जोरदार जवाब भारतीय रक्षा बलों द्वारा दिया गया था।
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