2022 में चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों की लचर होती अर्थव्यवस्था की वजह से दुनिया का एक तिहाई हिस्से की आर्थिक सेहत गड़बड़ा सकती है। यह चेतावनी खुद इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ की प्रमुख ने दी है। 2022 के मुकाबले दुनिया की अर्थव्यवस्था 2023 में ज्यादा खराब रहने के संकेत मिल रहे हैं।
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा का कहना है कि 2023 में एक तिहाई दुनिया में भारी मंदी के आसार बन रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है जिन देशों में मंदी नहीं आएगी वहां के लोगों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। क्रिस्टलीना के अनुसार, ऐसे बिगड़ते आर्थिक हालात हर जगह अपना असर दिखाएंगे। लेकिन इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है? इसके जवाब में उनका कहना था कि इसके पीछे चीन, अमेरिका तथा यूरोपीय संघ की डगमगाती अर्थव्यवस्था जिम्मेदार है।
क्रिस्टलीना मानती हैं कि इन हालात के पीछे रूस-यूक्रेन लड़ाई, तेजी से बढ़ती महंगाई, आसमान छूती ब्याज दरें तथा चीन में कोरोना का जबरदस्त प्रकोप भी खास वजहें कही जा सकती हैं। ये सब मिलकर दुनियाभर के अर्थतंत्र पर अपना असर छोड़ेंगे। यहां बता दें कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड वह अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसके 190 देश सदस्य हैं। यह संगठन वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने की दृष्टि से काम करता है।
चीन के संदर्भ में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड प्रमुख का कहना है कि उस देश के लिए आने वाला समय मुश्किल से भरा होगा, खासकर अगले कुछ महीने भारी पड़ने वाले हैं। क्रिस्टलीना का कहना है कि 40 साल बाद पहली बार, चीन की आर्थिक प्रगति वैश्विक प्रगति की तुलना में कम रहने के आसार बने हैं। दिसंबर 2022 में वहां निर्माण गतिविधियां गत तीन वर्ष की तुलना में सबसे निचले स्तर पर पहुंची हुई थी। एक आकलन के अनुसार, गत छह माह में चीन के सौ बड़े शहरों में आवासीय कीमतों में भारी गिरावट आई है। चीन में यह क्षेत्र बहुत फलने-फूलने वाला ही रहा है। इसका भी असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने की संभावना है।
अमेरिका में भी हालात कोई अच्छे नहीं हैं। वहां भी अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है। वहां मंदी से बचाव संभव है क्योंकि श्रमिक बाजार आज भी बहुत मजबूती से काम कर रहा है। लेकिन इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड प्रमुख मानती हैं कि महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए फेडरल बैंक को ब्याज दरें बढ़ाए रखने की जरूरत होगी।
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