उत्तराखंड के पहाड़ी राजस्व ग्रामों में ब्रिटिश काल से चली आ रही पटवारी कानून व्यवस्था में सुधार करते हुए 1800 गांवों को नियमित पुलिस के हवाले कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पहाड़ों की सड़कों पर नियमित पुलिस का राज चलता है, जबकि सड़कों से नीचे या ऊपर गांवों में पटवारी पुलिस का राज चलता रहा है।
पटवारी राज में पुलिस का काम पटवारी करता था। दरअसल पहाड़ के गांवों में क्राइम नहीं होते थे और यदि कोई अपराध करता भी था तो उसका केस पटवारी दर्ज करके आरोपी को कोर्ट में पेश करता था। समय बदलने के साथ-साथ अब पहाड़ों के ग्रामों में भी क्राइम बढ़ने से पिछले करीब दस सालों से पटवारी पुलिस व्यवस्था समाप्त करने की मांग उठ रही थी। राज्य सरकार ने सड़क किनारे और आबादी कस्बों से लगे 1800 ग्रामों में अब सामान्य पुलिस व्यवस्था लागू कर दी है। इस बारे में गृह मंत्रालय से आदेश आ गए हैं।
प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के कतिपय भागों में विद्यमान राजस्व पुलिस व्यवस्था को नियमित पुलिस व्यवस्था करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में 52 थाने एवं 19 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का सीमा विस्तार किया गया है। इसके साथ ही 1800 राजस्व पुलिस ग्रामों को नियमित पुलिस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया है। इन 1800 गांवों में पुलिस व्यवस्था स्थापित होने से अपराध एवं असामाजिक गतिविधियों में कमी आएगी।
इस संबंध में द्वितीय चरण में 6 नए थानों एवं 20 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का गठन प्रस्तावित है। नए थाने, चौकियों के गठन के अन्तर्गत लगभग 1444 राजस्व ग्राम नियमित पुलिस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिसूचित किए जाने की कार्रवाई शीघ्र ही पूर्ण कर ली जाएगी।
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