चीन पिछले लंबे वक्त से ताइवान के प्रति हमलावर तेवर अपनाता आ रहा है। उसे लगातार युद्ध की धमकियां देता आ रहा है। ताइवान के आसमान में चीनी लड़ाकू विमान रह—रहकर मंडराते रहते हैं। ताइवान के प्रति कोई देश सकारात्मक और मैत्रीपूर्ण वक्तव्य दे तो विस्तारवादी चीन उस देश को घुड़काकर ताइवान से कोई सरोकार न रखने को कहता है, क्योंकि उसके हिसाब से ताइवान ‘उसका क्षेत्र’ है। लेकिन अब उसी ताइवान की राष्ट्रपति कोरोना से बिलबिलाते चीन की तरफ मदद का हाथ बढ़ा रही है।
अभी कल ही नए साल के अपने भाषण में राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने चीन को मदद की पेशकश की। उन्होंने कहा है कि ताइवान चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अपनी ओर से मदद करने को तैयार है। ताइवान चीन में संकट की इस घड़ी में ‘जरूरी सहायता’ दे सकता है। हालांकि इस प्रस्ताव को सामने रखते हुए ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने अपनी बात में यह भी जोड़ा कि ताइवान द्वीप के आसपास चीन की सैन्य गतिविधियां ठीक नहीं हैं। ये क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उचित नहीं हैं, इनसे कोई फायदा नहीं होने वाला। राष्ट्रपति त्साई इंग वेन देश को नए साल के इस संबोधन पर अपनी उसी स्वाभिमान
![](https://panchjanya.com/wp-content/uploads/2023/01/china.webp)
से भरी मुद्रा में दिखीं। ताइवान निश्चित ही एक स्वाभिमानी देश है और चीन की हर आक्रामकता का प्रतिकार करता आया है।
राष्ट्रपति वेन ने आगे कहा कि, जब तक जरूरी होगा हम लोगों को कोरोना महामारी से मुक्त करने में मदद हेतु जरूरी सहायता प्रदान करने को तैयार हैं जिससे कि हम सब स्वस्थ तथा सुरक्षित नया साल मना सकें। उल्लेखनीय है कि चीन में इस वक्त कोरोना का जबरदस्त विस्फोट देखने में आ रहा है जिससे प्रतिदिन हजारों मौतें हो रही हैं।
हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि कोविड के बढ़ते व्याप को काबू करने के लिए ताइवान तथा चीन एक दूसरे के द्वारा किए जाने वाले प्रयासों को लेकर टीका—टिप्पणी करते रहे हैं। अभी पिछले साल ताइवान ने जब अपने यहां संक्रमण को रोकने के उपाय किए थे तब उसमें ढिलाई की बात कहते हुए चीन ने उस पर छींटे उछाले थे। तो उधर ताइवान ने चीन पर आरोप लगाया था कि उसके यहां इस बारे में पारदर्शिता नहीं है। चीन ने ताइवान को मिल रहीं वैक्सीन में भी दखलंदाजी करने की कोशिश की थी। ताइवान ने जब ड्रैगन पर यह आरोप लगाया था तब बीजिंग ने इसे बेबुनियाद कहकर टाल दिया था।
चीन में कोरोना के मामलों में एकाएक वृद्धि के पीछे विशेषज्ञ वहां भीषण जनविरोध के बाद कोविड रोकथाम की नीतियां में दी गई ढील को बताया है। तीन साल से रह—रहकर चलते आ रहे लॉकडाउन से त्रस्त हो चुके लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार को इस बात के लिए कोसा था और तमाम पाबंदियां खत्म करने की मांग की थी। सरकार ने लोगों के लिए कोरोना की जांच की अनिवार्यता समाप्त कर दी और लगभग इसके बाद से ही संक्रमण में तेजी से बढ़ोतरी होती देखी गई है।
चीन से आ रहे सरकारी आंकड़े हालात गंभीर बता रहे हैं। रोजाना हजारों की मौत हो रही है। लाशों के अंबार लगे हैं। अस्पतालों में जरूरी दवाओं की कमी हो चली है। ऐसे में ताइवान की राष्ट्रपति का मतभेद भुलाकर मदद का हाथ बढ़ाने का कदम सब जगह सराहा जा रहा है।
टिप्पणियाँ