भारत ने 2022 में एक से एक स्वदेशी मिसाइलों का परीक्षण करके आसमान में ‘आत्मनिर्भरता’ की ताकत दिखाई। इस साल कुल 11 बार ब्रह्मोस मिसाइल जमीन, आसमान और समुद्र से दागी गई। हर बार मिसाइल के नए-नए संस्करण के परीक्षण करके भारत ने अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाई। ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है। ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किमी. से बढ़ाकर 800 किमी. तक कर दी गई है और अब 1,000 मिमी. की रेंज बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन, यानी कहीं से लॉन्च किया जा सकता है। समुद्र से दागने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के चार वैरिएंट्स हैं। युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट और युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं। तीसरा पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट और चौथा पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट है। वायु सेना के पास भी एयर अटैक वर्जन और भारतीय सेना के पास जमीन से जमीन पर हमले करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल है। साल भर में तीनों सेनाओं ने अपने-अपने वर्जन की ब्रह्मोस मिसाइलों के परीक्षण करके भारत की बढ़ती ताकत का एहसास दुनिया को कराया है।
11 जनवरी
नौसेना ने देश के पहले स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर यानी आईएनएस विशाखापत्तनम से भारत की सबसे ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस विध्वंसक में ब्रह्मोस के अलावा बराक मिसाइलें भी लगी हैं। इसमें 16 एंटी-शिप या लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। यानी इन दोनों मिसाइलों से लैस होने के बाद ये युद्धपोत समुद्री शैतान की तरह दुश्मन के जहाजों और विमानों पर मौत बनकर टूट पड़ेगा।
20 जनवरी
बढ़ी हुई क्षमता के साथ इस मिसाइल के नए संस्करण का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की टीमों के साथ ब्रह्मोस एयरोस्पेस के समन्वय में किये गए परीक्षण में मिसाइल ने अपनी अधिकतम सीमा के लिए सभी मिशन को पूरा किया। उन्नत स्वदेशी तकनीकी से लैस इस मिसाइल ने परीक्षण के दौरान बढ़ी हुई दक्षता और बेहतर प्रदर्शन के लिए संशोधित प्रक्षेपवक्र का पालन किया। संशोधित नियंत्रण प्रणाली वाली मिसाइल को बेहतर क्षमता हासिल करने के लिए ठीक किया गया है।
18 फरवरी
विशाखापत्तनम में 21 फरवरी को होने वाली राष्ट्रपति की फ्लीट रिव्यू से पहले नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल की टेस्ट फायरिंग की। यह टेस्ट फायरिंग पश्चिमी सागर में क्रूज वॉरशिप आईएनएस विशाखापत्तनम से की गई। टेस्ट फायरिंग का वीडियो नौसेना ने ट्विटर पर साझा करके कैप्शन में लिखा कि राष्ट्रपति फ्लीट रिव्यू भारतीय नौसेना के 75 साल पूरे होने पर मनाया जा रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत और ‘आजादी का महोत्सव’ का हिस्सा है। वीडियो को यूजर्स ने बहुत ज्यादा पसंद और शेयर किया।
05 मार्च
भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में स्टील्थ विध्वंसक आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के उन्नत संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। समुद्र से समुद्र में वार करने वाले संस्करण की मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया। मिसाइल ने लक्ष्य को पिन पॉइंट के साथ मार गिराकर फ्रंटलाइन प्लेटफार्मों की लड़ाई और मिशन की तत्परता का प्रदर्शन किया। नौसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण की टेस्ट फायरिंग का वीडियो ट्विटर पर साझा करके कैप्शन में लिखा है कि ‘यह आत्मनिर्भर भारत के लिए एक और शॉट था।’ इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया था।
09 मार्च
विस्तारित रेंज वाली भारत की ब्रह्मोस मिसाइल परीक्षण के दौरान अपने मार्ग से भटककर पाकिस्तान में 124 किलोमीटर अंदर शहर चन्नू मियां के पास जा गिरी। भारत का कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ। उधर, पाकिस्तान का दावा है कि बिना हथियारों वाली यह सुपरसॉनिक यानी आवाज की रफ्तार से तेज उड़ने वाली मिसाइल थी। पाकिस्तानी मिलिट्री के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिकार ने अपने बयान में कहा कि ये ऑब्जेक्ट 40 हजार फीट की ऊंचाई पर और मैक 3 स्पीड से पाकिस्तानी एयरस्पेस में 124 किलीमीटर अंदर उड़ने के बाद क्रैश हो गया। इस घटना के बाद मिसाइल परीक्षण से जुड़े कई भारतीय सैन्य अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की गई।
23 मार्च
डीआरडीओ ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। मिसाइल ने अपने लक्ष्य को सटीक तरीके से निशाना बनाया। इस मिसाइल परीक्षण को देखने के लिए एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और अन्य रक्षा अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के सफल परीक्षण पर बधाई दी।
19 अप्रैल
भारतीय वायु सेना ने पूर्वी समुद्र तट पर सुखोई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। मिसाइल का यह परीक्षण भारतीय नौसेना के साथ क्लोज को-ऑर्डिनेशन में किया गया। मिसाइल ने लक्ष्य के तहत भारतीय नौसेना के रिटायर हो चुके जहाज पर सीधा प्रहार किया।
19 अप्रैल
भारतीय नौसेना ने इसी दिन अपने युद्धपोत आईएनएस दिल्ली से लम्बी दूरी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। मिसाइल ने एक लंबी रेंज के प्रक्षेप वक्र को पार करने के बाद अपने लक्ष्य पर सटीकता के साथ निशाना साधा और जटिल युद्धाभ्यास किया। देश में ही निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल और युद्धपोत आईएनएस दिल्ली ने अत्याधुनिक भारतीय मिसाइल तथा जहाज निर्माण कौशल का एक साथ प्रदर्शन किया। इस उपलब्धि से जरूरत पड़ने पर दूर से हमला करने और समुद्र से जमीन तक हमला करने की क्षमता में भारतीय नौसेना की क्षमता में इजाफा हुआ।
12 मई
भारत ने ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का पहला सफल परीक्षण सुखोई-30 फाइटर एयरक्राफ्ट से किया। वायुसेना ने बंगाल की खाड़ी में एयर लॉन्च्ड ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई-30 एमकेआई से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। मिसाइल ने खाड़ी में मौजूद टारगेट पर सटीक निशाना लगाया। इस परीक्षण के साथ ही भारतीय वायुसेना ने सुखोई फाइटर जेट से जमीन या समुद्र में लंबी दूरी के टारगेट्स पर निशाना लगाने की क्षमता हासिल की। एक्सटेंडेड वर्जन की ब्रह्मोस मिसाइल और सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट्स भविष्य में होने वाले किसी भी युद्ध में खतरनाक जोड़ी बनकर दुश्मन के होश उड़ा देंगे।
29 नवम्बर
भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का दूसरा सफल परीक्षण किया। इसके लिए एक अन्य द्वीप पर लक्ष्य रखा गया था, जिसका मिसाइल ने सफलतापूर्वक निशाना बनाया। इस मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय सेना के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई। दुनिया की सबसे तेज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भूमि हमले संस्करण का पहला परीक्षण 24 नवम्बर, 2020 को भारतीय सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ही किया था।
29 दिसंबर
भारतीय वायु सेना ने सुखोई-30 एमकेआई विमान से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में एक पोत को लक्ष्य बनाकर 400 किमी. की रेंज वाली ब्रह्मोस एयर मिसाइल दागी। विस्तारित रेंज की इस मिसाइल ने सटीकता के साथ पोत को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया। मिसाइल ने वांछित मिशन उद्देश्यों को हासिल करके अपनी कामयाबी साबित की। इसके साथ ही वायु सेना ने लंबी दूरी पर जमीन, समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ सुखोई-30 विमान से सटीक हमले करने के लिए महत्वपूर्ण क्षमता में वृद्धि हासिल की। सुखोई विमान के उच्च प्रदर्शन के साथ मिसाइल की विस्तारित रेंज से वायु सेना की रणनीतिक क्षमता में इजाफा हुआ, जिससे भविष्य के युद्ध क्षेत्रों पर भारत को बढ़त मिलेगी।
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