बिहार में 7 जनवरी, 2023 से जाति जनगणना शुरू होने वाली है। लोगों का मानना है कि इससे बिहार और पिछड़ जाएगा।
जाति आधारित राजनीति के कारण जो बिहार दिनों—दिन पीछे हो रहा है, अब उसी बिहार में जाति आधारित जनगणना होने वाली है। कथित पिछड़ी जातियों के कुछ लोेग इस जनगणना का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि इन जातियों के लोग ही इसका विरोध भी कर रहे हैं। समस्तीपुर के राजेश महतो कहते हैं कि जाति जनगणना बिहार को और पीछे ले जाएगी। उनका कहना है कि इस जनगणना से किसी को लाभ नहीं होने वाला है, उल्टे समाज में जातिगत विद्वेष बढ़ जाएगा। इससे नेताओं को तो फायदा होगा, लेकिन बिहार विकास के मामले में पीछे हो जाएगा।
कहा जा रहा है कि जाति जनगणना के दौरान लोगों से कुल 26 प्रश्न पूछे जाएंगे। इसमें आय और शिक्षा से जुड़े सवाल भी शामिल हैं। बता दें कि जाति जनगणना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच है। अपनी इस सोच को पूरा करने के लिए उन्होंने कुछ समय पहले ही भाजपा से संबंध तोड़कर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के साथ गठबंधन किया है।
भागलपुर के कमलेश्वरी प्रसाद सिंह मानते हैं कि जाति जनगणना का एकमात्र उद्देश्य है लोगों को जाति के नाम पर बांटना। इसके पीछे वे तर्क देते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव से लोग जाति देखकर वोट नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि उसके बाद बिहार में जितने चुनाव हुए हैं, उनमें जाति पर राजनीति करने वाले दलों को हार का सामना करना पड़ा है।
बता दें कि इस समय बिहार में जदयू और राजद की सरकार है। जदयू के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी जाति के हैं, जबकि राजद नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की जाति सभी को पता है। चाहे जदयू हो या राजद, दोनों जाति आधारित दल हैं। जदयू के साथ कुर्मी का एक बड़ा वर्ग खड़ा है, जबकि राजद की पैठ यादवों के एक वर्ग तक है।
लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और योजनाओं का लाभ देश के हर व्यक्ति को मिल रहा है। इसलिए एक बड़ा तबका भाजपा के साथ है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान उन दलों को हो रहा है, जो किसी जाति के या क्षेत्र के नाम पर राजनीति करते हैं। नीतीश कुमार भी ऐसी ही राजनीति के लिए जाने जाते हैं।
यही कारण है कि वे विरोध के बावजूद जाति जनगणना कराने को आतुर हैं। मोतिहारी के ब्रजेश कुमार कहते हैं कि हिंदू वोट को बांटने के लिए जाति जनगणना कराई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की नीतियों से बिहार में जिहादी तत्व पनप रहे हैं। ऐसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए जाति का राग अलापा जा रहा है।
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