रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर दिल खोलकर भारत की प्रशंसा की है और विश्वास व्यक्त किया है कि भारत की एससीओ और जी20 अध्यक्षता बहुत उल्लेखनीय रहेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत और रूस इससे बहुआयामी सहयोग के रास्ते खुलेंगे। पुतिन ने कहा कि इन संगठनों की अध्यक्षता करते हुए भारत एशिया तथा पूरी दुनिया में स्थिरता तथा सुरक्षा को मजबूती देगा। उल्लेखनीय है कि भारत ने इस साल एक दिसंबर को औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता अपने हाथ में ली है। इस वक्त शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ का अध्यक्ष भी भारत ही है।
नए साल की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे शुभकामना संदेश में रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान जारी करके यह जानकारी दी है। पुतिन ने अपने संदेश में कहा है कि 2022 में रूस-भारत ने अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई है। मित्रता और आपसी सम्मान की सकारात्मक परंपराओं पर यकीन रखते हुए दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूती के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने बयान में आगे कहा कि दोनों ही देशों ने ऊर्जा, सैन्य प्रौद्योगिकी तथा सहयोग के बाकी क्षेत्रों के साथ ही बड़े पैमाने पर व्यापारिक तथा आर्थिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है। इतना ही नहीं, क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडे के महत्वपूर्ण विषयों के हल के लिए मिलकर प्रयास किए हैं। पुतिन ने विश्वास जताया है कि भारत की एससीओ और जी20 की अध्यक्षता एशिया तथा पूरी दुनिया में स्थिरता लाएगी तथा सुरक्षा को और मजबूत करेगी।
ध्यान रहे, एससीओ चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान का क्षेत्रीय संगठन है। यह यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा का संगठन है। भौगोलिक व्याप तथा जनसंख्या की दृष्टि से इसे दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन कहा जा सकता है। इसका अधिकार क्षेत्र यूरेशिया का लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र है और दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करता है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 30 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा निर्मित करता है।
जी20 की बात करें तो भारत सहित इस संगठन में वैश्विक ताकत माने जाने वाले कुल 19 देश हैं। जी20 सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत हैं। ये देश वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी करते हैं। दुनिया की कुल जनसंख्या की लगभग दो-तिहाई इन्हीं देशों में बसती है। इस मायने में यह एक प्रभावी और ताकतवर संगठन माना जाता है और भारत का इस संगठन की अध्यक्षता करना इसकी बढ़ती वैश्विक साख को रेखांकित करता है।
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