भारतीयता के दो सारस्वत वाचक : काशी और तमिलनाडु
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भारतीयता के दो सारस्वत वाचक : काशी और तमिलनाडु

by जे पी पाण्डेय
Dec 31, 2022, 11:55 am IST
in भारत
काशी—तमिल संगमम् के उद्घाटन समारोह का दृश्य

काशी—तमिल संगमम् के उद्घाटन समारोह का दृश्य

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अभी कुछ दिन पहले ही वाराणसी में ‘काशी—तमिल संगमम्’ संपन्न हुआ है। इस संगमम् ने लोगों को स्पष्ट संदेश दिया कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत सांस्कृतिक रूप से सदियों से एक है। यह कैसा सांस्कृतिक संबंध है, इसे विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं।  

जब भी किसी भारतीय को इतिहास की पुस्तक में गांधार से लेकर मगध, चंद्रकेतुगढ़, अवन्ती, धन्यकटक, चोल, पांडव और चेर का मानचित्र देखने को मिलता है, तो वह भारतीयता के एक अलग आह्लाद में डूब जाता है। आज से 2000 वर्ष से अधिक समय पूर्व से यह देश एक राजनीतिक एकता के सूत्र में बंधा था। एक अखंड भारत की परिधि के भीतर बनते-बिगड़ते राजवंश और राज्य भारत की एकरूपता को रूपायित करते हैं।

सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का कालखंड तो उससे भी हजारों साल पुराना है। इस एकता के दो किनारे पर विद्यमान काशी और तमिलनाडु भारतीयता के दो सारस्वत वाचक हैं। एक तरफ परम पावनी माँ-गंगा के तट से आती मधुर स्वर लहरी और दूसरी ओर माँ-कावेरी के प्रवाह का कलकल गान, एक तरफ काशी विश्वनाथ मंदिर के हर-हर महादेव के साथ घंटों का नाद और उधर रामेश्वर धाम में ॐ नमो शिवाय के साथ उठते घंटों का घन-घन निनाद काशी-तमिलनाडु के जन, जमीन, आस्था, और संस्कृति सम्मिलन के उद्घोष प्रतीत होते हैं।

काशी में 17 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक आयोजित काशी तमिल संगमम उदात्त अनुभव की एक नई शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में इसे भारत की वैविध्यपूर्ण संस्कृतियों का उत्सव कहा। काशी—तमिल संगमम में काशीवासियों और तमिलनाडु के आगंतुकों के बीच मिलन, समृद्ध तमिल भाषा, संस्कृति, कला, व्यंजन का प्रदर्शन, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, वास्तुकला, व्यापार, शिक्षा, दर्शन, कला, नृत्य, संगीत सहित संस्कृति के विविध रूपों का दर्शन हुआ। साथ ही कला, खेल, साहित्य और फिल्म आदि आयोजनों से संगमम ने तमिलनाडु-काशी बंधन को सुदृढ़ करने का कार्य किया।
अयोध्या और तमिल के बीच जनसम्पर्क का प्रथम प्रामाणिक उदाहरण 7,000 वर्ष पूर्व का माना जा सकता है, जब भगवान श्रीराम रामेश्वरम पहुंचे थे। समुद्र के जलस्तर के नीचे स्थित श्रीराम सेतु इसका जीवंत प्रमाण है। रामायण के अनुसार श्रीलंका विजय के बाद ऋषियों ने सुझाव दिया था कि काशी से एक शिवलिंग को रामेश्वरम लाकर पूजा की जाए। तमिल परंपरा में माना जाता है कि काशी के शिवलिंग की पूजा करने से समस्त पाप धुल जाते हैं। मान्यता है कि माता सीता ने रेत से बने एक शिवलिंग को स्थापित किया और उसकी पूजा की। बाद में भगवान हनुमानजी काशी से शिवलिंग लाए और एक अलग मंदिर में स्थापना कर उनकी पूजा की गई।

रामेश्वरम-काशी का जुड़ाव अनूठा है। तमिल रामेश्वरम के तटों से रेत इकट्ठा करते हैं और विश्वनाथ बाबा के दर्शन के लिए काशी आते हैं और रामेश्वरम में अभिषेक करने के लिए माँ गंगा के जल के साथ लौटते हैं। काशी को कांची के साथ सात मोक्षपुरियों में से एक माना जाता है। तमिलनाडु में काशी विश्वनाथ मंदिरों की बहुतायत है। तमिलनाडु में वृद्धाचलम को प्राचीन साहित्य में वृद्ध काशी के रूप में संदर्भित किया गया है।

शैव और वैष्णव दोनों भक्ति परंपरा के विद्वानों का काशी और तमिलनाडु से गहरा संबंध रहा है। आदिशंकर ने काशी प्रवास में ब्रह्मसूत्र पर अपनी टिप्पणी पूरी की। तमिल भाषा के प्रख्यात विद्वान सुब्रमण्यम भारती लंबे समय तक काशी में रहे और उन्होंने संस्कृत और हिन्दी भाषा सीखी। ऋषि अगस्त्य काशी से तमिलनाडु गए। चैतन्य महाप्रभु ने भी वृद्धकाशी में भगवान शिव की पूजा की थी। शैव संत थिरुनावुक्करासर के 7वीं शताब्दी में कैलाश यात्रा के साथ काशी आने का वर्णन मिलता है। लगभग 11वीं शताब्दी में, वैष्णव आचार्य श्री रामानुज, तमिलनाडु के 14वीं शताब्दी के संत अरुणगिरिनाथर के काशी आने का उल्लेख है। आज भी, किसी भी दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में तमिल भक्तों को बहुतायत में देखा जा सकता है।

तमिल दुनिया की सबसे प्रिय और जीवित सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। तमिल और संस्कृत दोनों भाषाओं के आपसी संगम से अनेक शब्दों और भावों का आपस में सप्रेम आदान-प्रदान हुआ, जिससे दोनों भाषाएँ और भी समृद्ध हुईं। आदान—प्रदान की यह प्रक्रिया हिन्दी और तमिल में भी चलती रही। अभी हाल ही में मुझे तमिलनाडु जाने का मौका मिला। मैंने ध्यान से लोगों को बात करते सुना तो – मुखम, विमाना, देवम, पुथ्थकम (पुस्तक), आधि(आदि-शुरुआत), समीपम, न्यायम, कच्चेरी ( कचहरी), कुदुंबम (कुटुंब-परिवार), भयम, कारनम जैसे अनेक शब्दों ने मुझे उनकी बात का सार समझने में मदद की।

व्यवसाय और व्यापार में भी काशी-तमिल सम्बन्धों का लंबा इतिहास है। प्रसिद्ध हस्तकला, तंजावुर आर्ट प्लेट्स की उत्पत्ति काशी के धातु शिल्प से मानी जाती है। तंजावुर पेंटिंग, तंजावुर वीणा में भी काशी-तमिल सम्बन्धों की प्रगाढ़ता देखी जा सकती है। वाराणसी के संगीतकारों एवं दक्षिण के पारंपरिक संगीत विद्यालयों के बीच संबंध रहे हैं। शास्त्रीय कर्नाटक शैली में संगीत की हिंदुस्तानी शैली का प्रभाव सर्वविदित है। कर्नाटक के संगीत मर्मज्ञ श्री मुथुस्वामी दीक्षितार, काशी में पले-बढ़े और उन्हें कई हिंदुस्तानी रागों को शास्त्रीय कर्नाटक धारा में प्रस्तुत करने का श्रेय प्राप्त है। महान गायक एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी ने काशी की प्रसिद्ध गायिका सिद्धेश्वरी देवी से संगीत सीखा था।

तमिल शादियों के दौरान काशी यात्रा की प्रथा अभी भी एक रस्म के रूप में प्रचलित है, जिसमें युवा दूल्हा ज्ञान प्राप्त करने के लिए काशी के लिए रवाना होता है। इसी ज्ञान चाहने वाले वर के लिए दुल्हन को पत्नी के रूप में स्वीकार करने की सलाह दी जाती है। उत्तर भारत में भी रामेश्वरम की यात्रा सभी परिवारों में एक अभीष्ट है।
काशी और तमिलनाडु के बीच एक शाश्वत संबंध सदा से विद्यमान रहा है। तमिल-हिन्दी और उत्तर-दक्षिण का यह मिलन प्रधानमंत्री मोदी जी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को साकार करने का सशक्त माध्यम हो सकता है।
ऐसे आयोजन आगे भी किए जाने चाहिए जिनसे भारतीयता के बिखरे मोती को एकसूत माला में पिरोने में मदद मिलेगी। उच्च शैक्षिक संस्थानों में ‘काशी—तमिल संगमम सीट’ बनाई जानी चाहिए और इस पर पठन-पाठन और शोध के काम किए जाने चाहिए। हमारे पूर्वजों के गहरे संबंधों को भावी पीढ़ी की आत्मीयता में परिलक्षित होना चाहिए।

(लेखक शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में स्कूली शिक्षा निदेशक हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Tension on the border : जैसलमेर-बाड़मेर समेत 5 ज़िलों में हाई अलर्ट और ब्लैकआउट, शादी-धार्मिक कार्यक्रमों पर भी पाबंदी

क्या होगा अगर अश्लील सामग्री आपके बच्चों तक पहुंचे..? : ULLU APP के प्रबंधन को NCW ने लगाई फटकार, पूछे तीखे सवाल

पंजाब पर पाकिस्तानी हमला सेना ने किया विफल, RSS ने भी संभाला मोर्चा

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Tension on the border : जैसलमेर-बाड़मेर समेत 5 ज़िलों में हाई अलर्ट और ब्लैकआउट, शादी-धार्मिक कार्यक्रमों पर भी पाबंदी

क्या होगा अगर अश्लील सामग्री आपके बच्चों तक पहुंचे..? : ULLU APP के प्रबंधन को NCW ने लगाई फटकार, पूछे तीखे सवाल

पंजाब पर पाकिस्तानी हमला सेना ने किया विफल, RSS ने भी संभाला मोर्चा

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies