क्या वजहें रही कि उत्तराखंड की आधी आबादी को वैक्सीन की तीसरी यानि बूस्टर डोज नही लगी। कोविड के नए वैरिएंट की हवा आते ही उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग माथा पच्ची करने में जुटा हुआ है कि लोग आखिर कार तीसरी डोज क्यों नही लगवा पाए। कोरोना को लेकर पीएमओ से लेकर सीएमओ द्वारा ली गई समीक्षा बैठको में इस बात की चर्चा को रही है कि राज्य में करीब पैसठ लाख लोगो वैक्सीन की तीसरी यानि बूस्टर डोज क्यों नही लगवाई गई।
जानकारी के मुताबिक, लोगो में इस बात को लेकर भ्रम फैला रहा कि तीसरी डोज शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है, कुछ युवकों में बाल झड़ने की शिकायत भी हुई तो कुछ ने और भी कारण गिनाए। कुछ डॉक्टर्स और दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी तीसरी डोज को लेकर भ्रम फैलाए जिसकी वजह से उत्तराखंड में वैक्सीन का लक्ष्य हासिल नहीं हो सका। जबकि वैक्सीन की दूसरी डोज लगाए जाने के लक्ष्य को पूरा करने केवमामले में उत्तराखंड को प्रधानमंत्री मोदी से भी शबासी मिली थी।
स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत ने विभागीय बैठक में इस बूस्टर डोज के लक्ष्य का सवाल जब पूछा तो उनके चिकित्सक अधिकारी जवाब में बगले झांकते दिखलाई दिए।
डा रावत ने कहा कि अब जब कोरोना की फिर से वेव आनी लगी है तो सबसे पहले तीसरी डोज के लक्ष्य को पूरा करने की योजना पर काम किया जाए। उन्होंने कहा कि मास्क,आपस की दूरी और जो भी सावधानी बरतनी है वो अपनी जगह है परंतु वैक्सीन के लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने के लिए काम शुरू किया जाए।इसके लिए प्रचार अभियान और निजी अस्पतालों का भी सहयोग लिया जाए।
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