भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम सासाराम गई और 23 साल बाद इसे मुक्त कराया जा सका। भागलपुर के पीरपैंती में शकील और शेखजुद्दीन ने नीलम यादव यादव की निर्ममता से हत्या कर दी। यह मामला भी जमीन जिहाद से जुड़ा हुआ था।
‘यह जमीन बिक्री का नहीं है। इस जमीन का हक वामदेव झा के पास है।’ बिहार में पश्चिम चंपारण के गौनाहा थानाक्षेत्र के गम्हरिया की एक जमीन पर लगे इस बोर्ड को हटाकर मुजम्मिल शेख नामक स्थानीय ठेकेदार ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया है। यह जमीन प्रभात झा के परिवार की है, जिसे मुजम्मिल तीसरे पक्ष से खरीदने का दावा कर रहा है।
प्रभात झा के अनुसार, गौनाहा थाने में नितिन रवि ने आरोपी के खिलाफ फसल लूटने और जान से मारने की धमकी देने की शिकायत की। लेकिन पुलिस ने न केवल फसल लूट का मामला दर्ज किया, बल्कि शिकायतकर्ता का नाम बदल कर नितिन सिंह कर दिया। गौनाहा नेपाल सीमा से सटा हुआ है। बकौल प्रभात, इस क्षेत्र में निम्न मध्यम वर्गीय मुसलमान या तो हिंदुओं की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं या खरीद रहे हैं। उनके पीछे कुछ बड़े माफिया हैं।
प्रभात कहते हैं कि हमारे पास यह जमीन पीढ़ियों से है। वे जिलाधिकारी से लेकर अंचल कार्यालय तक जमीन के कागजात दे चुके हैं, पर आरोपी से एक बार भी पूछताछ नहीं की गई। उससे जमीन के कागज तक नहीं मांगे गए। मुजम्मिल शेख के खिलाफ महत्वपूर्ण सबूत जो गौनाहा थाने की ही सीसीटीवी में दर्ज हुआ था, आरटीआई से मांगने के बाद भी थाने की तरफ से उपलब्ध नहीं कराया गया।
गौनाहा के सामान्य पृष्ठभूमि वाले कई मुस्लिम अब भू माफिया बन गए हैं। वे जमीन पर कब्जा करने से लेकर मुंहमांगी कीमत पर हिंदुओं से जमीन खरीद रहे हैं। उनके पास इतना पैसा कहां से आता है, यह भी एक पहेली है। कुछ समय पूर्व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया था कि इस क्षेत्र में पीएफआई अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। बात सिर्फ गौनाहा की नहीं है। पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, दरभंगा, सीतामढ़ी जैसे सीमाई जिले खतरे में हैं। जांच एजेंसियों का अनुमान है कि पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण के रक्सौल में बड़े पैमाने पर बाहर से पैसा आ रहा है। बिहार में टूर एंड ट्रैवल, प्रॉपर्टी और होटल उद्योग में मुसलमानों का वर्चस्व तेजी से बढ़ा है। गैर-मुस्लिम आबादी बिहार से पलायन कर रही है और मुसलमान नए-नए धंधे में नेटवर्किंग और घुसपैठ कर रहे हैं।
सासाराम में तो चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के ऐतिहासिक शिलालेख पर ही जिहादियों ने कब्जा कर मजार बना दिया था। इतिहासकारों के अनुसार, बौद्ध मत अपनाने के बाद सारनाथ जाने के क्रम में अशोक यहां रुके थे। बौद्ध मत के प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह शिलालेख लिखा गया था। मीडिया में जब यह खबर आई तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम सासाराम गई और 23 साल बाद इसे मुक्त कराया जा सका। भागलपुर के पीरपैंती में शकील और शेखजुद्दीन ने नीलम यादव यादव की निर्ममता से हत्या कर दी। यह मामला भी जमीन जिहाद से जुड़ा हुआ था।
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