संस्कृति की सलामती के लिए सुधार

टीपू सुल्तान की मौत 4 मई, 1799 श्रीरंगपट्टनम में हुआ था

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मनोहर यादवत्ती

टीपू सुल्तान के कार्यकाल में संस्कृति से जो छेड़छाड़ की गई थी, कर्नाटक की भाजपा सरकार अब उसे सुधार रही है। राज्य के मंदिरों में होने वाली आरती पर लगे मजहबी ठप्पे को हटाया जाएगा

किसी राष्ट्र या समुदाय को सदा के लिए दास मानसिकता में परिणत करना हो तो उसके सांस्कृतिक मूल्यों और चिह्नों में घालमेल करना एक सरल उपाय है। ऐसा करने से कुछ पीढ़ियां बीतने पर वह समुदाय विरूपित संस्कृति का अभ्यस्त हो जाता है और अपनी पहचान पर भ्रमित रहता है। इससे उसे शासित बनाए रखना सहज हो जाता है।

जनता के स्वाभिमान को पुनर्स्थापित करने के लिए उन मूल्यों, चिह्नों को संशोधित कर मूल रूप में लाना कठिन होता है, पर कर्नाटक की भाजपा सरकार इस राह पर पग बढ़ा चुकी है। इस बार मुद्दा मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान से जुड़ा है। टीपू के शासन काल में विभिन्न हिंदू तीर्थस्थलों में होने वाली आरती, पूजा का नाम श्रद्धालु समुदाय की भाषा के बजाय शासक की भाषा में रख दिया गया। यह धार्मिक, सांस्कृतिक अतिक्रमण था। कर्नाटक और केरल में उसके शासन, पतन और हिंदुओं की बर्बर हत्याओं पर विवाद हर समय सुर्खियों में रहता है।

टीपू सुल्तान की मौत 4 मई, 1799 श्रीरंगपट्टनम में हुआ था, लेकिन 223 वर्ष के बाद भी हिंदू मानस की धार्मिक परंपराओं पर उसके थोपे हुए नामों को हटाने का साहस कोई सरकार नहीं कर पाई थी। अब कर्नाटक की बंदोबस्ती और वक्फ मंत्री सुश्री शशिकला जोले ने 10 दिसंबर को घोषणा की कि ‘सलाम आरती’ कहलाने वाली परंपरा का नाम अब से स्थानीय परंपराओं के अनुसार किया जाएगा।

सरकार का निर्णय इस संबंध में कर्नाटक धर्मिका परिषद (कर्नाटक धार्मिक परिषद) की सिफारिश से अनुसरण में आया है। कर्नाटक धर्मिका परिषद ने नाम बदलने के लिए मई 2022 में ही आवेदन किया था। मूल रूप से मेलुकोटे में चेलुवनारायण स्वामी मंदिर समिति ने नाम बदलने का एक प्रस्ताव मांड्या जिला प्रशासन को भेजा। प्रत्युत्तर में, जिला प्रशासन ने इस सिफारिश को कर्नाटक धर्मिका मंडली को भेजा, जिस पर मंडली ने सिफारिश के पक्ष में अपना रुख जताया।

चेलुवनारायण स्वामी मंदिर एक पवित्र वैष्णव तीर्थस्थल है और दुनिया भर में फैले आयंगरों के लिए यह आस्था का सर्वप्रमुख केंद्र है। हर दिन शाम 7 बजे मंदिर में होने वाली आरती को टीपू शासन के शासनकाल से ‘सलाम आरती’ कहा जाता है। सलाम आरती कुक्के के श्री सुब्रह्मण्य मंदिर, पुत्तूर में श्री महालिंगेश्वर मंदिर, कोल्लूर में मूकाम्बिका मंदिर और कुछ अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में भी होती है। अब राज्य सरकार ने इनका नाम बदलकर ‘नमस्कार आरती’ करेगी। बंदोबस्ती विभाग के सूत्रों के अनुसार वर्तमान में देवतिगे सलाम, सलाम आरती और सलाम मंगलारती जैसे शब्दों का नाम क्रमश: देवतिगे नमस्कार, आरती नमस्कार और मंगलारती नमस्कार रखा जाएगा।

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