ताइवान को लगातार धमकाते आ रहे कम्युनिस्ट चीन की हर चुनौती का ताइवान की स्वाभिमानी सरकार ने कड़ा मुकाबला किया है। अपनी संप्रभुता को बनाए रखने के लिए ताइवान ने न सिर्फ कूटनीतिक रास्ते से दुनिया में अपनी साख बढ़ाई है, बल्कि अपने दमदार सहयोगियों का साथ भी लिया है। लेकिन चीन जिस पैमाने पर अपनी आक्रामकता बढ़ा रहा है उसका प्रतिकार करने के लिए अब ताइवान की राष्ट्रपति ने एक ठोस कदम उठाने का फैसला लिया है। अब वहां चार महीने नहीं, बल्कि सेना में अनिवार्य सेवा का समय एक साल किया जाने वाला है।
चीन से टक्कर लेने के लिए उठाए जाने वाले इस कदम में नागरिकों को सेना में अनिवार्य सेवाएं देनी होंगी। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने इस संबंध में वक्तव्य जारी करके कहा है कि ताइवान के नागरिकों के लिए अब अनिवार्य सैन्य सेवा की अवधि चार महीने से बढ़ाकर एक साल की जा रही है। देश में यह अनिवार्य सैन्य सेवा का कायदा साल 2005 के बाद जन्मे पुरुषों पर ही लागू किया जाएगा। बताया गया है कि यह आदेश अगले साल एक जनवरी लागू होगा। हालांकि 2005 से पहले जन्मे पुरुषों के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा अवधि चार महीने की ही रखने का फैसला किया गया है।
चीन का नाम लिए बिना वेन ने कहा कि जिस तरह पड़ोस का देश ताइवान को बराबर उकसाता आ रहा है, ऐसे में कड़ा प्रतिकार करने के लिए ताइवान के पास ताकतवर सैन्य विकल्प होना बहुत ही जरूरी है। ताइवान की राष्ट्रपति ने इस फैसले के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि यह फैसला देश पर बढ़ते खतरे के परिप्रेक्ष्य में लिया है। वेन ने कहा कि ताइवान वालों इस खतरे के सामने तैयार रहना होगा।
इस फैसले की जानकारी देते हुए राष्ट्रपति वेन ने कहा कि देशवासियों को समझना होगा कि शांति अपने से नहीं आती। विशेष रूप से तब जब पड़ोस में कोई ऐसा देश हो जो अपनी सीमाएं बढ़ाने पर आमादा हो। चीन का नाम लिए बिना वेन ने कहा कि जिस तरह पड़ोस का देश ताइवान को बराबर उकसाता आ रहा है, ऐसे में कड़ा प्रतिकार करने के लिए ताइवान के पास ताकतवर सैन्य विकल्प होना बहुत ही जरूरी है। ताइवान की राष्ट्रपति ने इस फैसले के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि यह फैसला देश पर बढ़ते खतरे के परिप्रेक्ष्य में लिया है। वेन ने कहा कि ताइवान वालों इस खतरे के सामने तैयार रहना होगा।
इसमें संदेह नहीं है कि चीन ताइवान को लेकर इसलिए भी अधिक आक्रामक हुआ है क्योंकि उसे लगता है कि अमेरिका और जापान उसके नजदीक आते जा रहे हैं। ताइवान छोटा देश भले है लेकिन चीन के सामने न झुकने की कसमें खाए हुए है। यही वजह है कि जब भी वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान का कद बढ़ता देखता है तो उसके लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा के नजदीके खतरनाक तरीके से उड़ानें भरते हैं।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले दिनों चीनी वायुसेना ने ताइवान की सीमा पर 71 लड़ाकू विमान और सात जहाजों को ‘ड्रिल’ के बहाने भेजा था। चीन के उन लड़ाकू विमानों में 18 जे-16, 11 जे-1, छह एसयू-30 विमान और अनेक ड्रोन शामिल थे।
उक्त कदम चीन ने तब उठाया था जब अमेरिका ने रक्षा व्यय विधेयक में ताइवान से संबंधित प्रावधान करने की घोषणा की है। संप्रभु देश ताइवान पर चीनी सैन्य दबदबा वर्षों से चलता आ रहा है, क्योंकि चीन ताइवान को ‘अपना क्षेत्र’ बताता है।
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