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आईटी में कामयाबी के मायने और भारत

मैं उन देशों को कामयाब मानूंगा जो इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करते हुए बेहतर परिणाम देने में सफल रहे हैं।

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Dec 28, 2022, 04:27 pm IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
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भारत के आईसीटी क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। विश्वव्यापी आर्थिक ठहराव के दौर में भारत में अवसरों का प्रस्फुटन विश्व के लिए भी एक उम्मीद जगाता है

सू्चना और संचार तकनीक (आईसीटी) की दुनिया में ‘कामयाबी’ का मतलब क्या है? यहां मैं उन देशों को कामयाब मानूंगा जो इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करते हुए बेहतर परिणाम देने में सफल रहे हैं। जिन्होंने अपने नागरिकों की बेहतरी के लिए सूचना क्रांति का अधिकतम लाभ उठाया, आईसीटी के क्षेत्र में अधिक उत्पाद विनिर्मित किए, सॉफ़्टवेयरों, हार्डवेयरों तथा सेवाओं के बाजार का बेहतरीन दोहन किया, तकनीकी शिक्षा का बड़े पैमाने पर प्रसार किया, लोगों के बीच तकनीकी महत्वाकांक्षा पैदा की, इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा किए, दमदार स्टार्टअप तथा बड़े ब्रांड खड़े किए और आईसीटी को अपनी अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ में तब्दील कर दिया।

भले ही शोध और अनुसंधान किसी दूसरे देश में हुआ हो, भले ही प्रौद्योगिकी किसी अन्य राष्ट्र से हासिल की गई हो किंतु परिणाम जिस देश ने बड़ा दिखाया, वह अधिक कामयाब कहलाएगा। ऐसे देशों में अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन जैसे देश तो हैं ही, ताइवान जैसे छोटे देशों ने भी अपना दमखम दिखाया है। भारत ने सेवाओं के क्षेत्र में स्वयं को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है लेकिन सॉफ़्टवेयर विकास तथा हार्डवेयर विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अभी बहुत पीछे है।

2022 में दुनिया के आईसीटी बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2.3 प्रतिशत आंकी गई है (स्टेटिस्टा)। इसके मुकाबले अमेरिका 36 प्रतिशत, चीन 11.6 प्रतिशत, यूरोपीय संघ 11.3 प्रतिशत और जापान 6 प्रतिशत पर है। ब्रिटेन (4.3 प्रतिशत) और जर्मनी (3.9 प्रतिशत) के बाद भारत का नंबर आता है।

यहां यह जिक्र जरूरी है कि मौजूदा सरकार देश को हार्डवेयर विनिर्माण का हब बनाने की कोशिश संजीदगी से कर रही है और इसका एक उदाहरण यह है कि 2021-22 में भारत 30 करोड़ मोबाइल फोन का विनिर्माण करके दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माता बनकर उभरा है। एक अक्तूबर 2022 को भारत में 5जी सेवाओं की शुरुआत करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि 2014-15 के दौरान देश में मोबाइल फोन विनिर्माण की दो इकाइयां थीं जिनकी संख्या 2021-22 में दो सौ हो गई है।

आईसीटी में भारत का उभार दुनिया के हित में भी है, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी प्रासंगिक है। आखिरकार एक तरफ पूरी दुनिया अपने लिए बाजार की तलाश कर रही है और दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वितापूर्ण आपूर्तिकर्ताओं की। हमारी सफलता वैश्विक अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर को भी प्रभावित करती है और सकारात्मक संदेश भेजती है।

हालांकि कीमत की दृष्टि से ये मोबाइल फोन 10 हजार रुपये या कम की श्रेणी में आते हैं और इनकी ज्यादातर खपत भारत में ही होती है। वैश्विक बाजार में निर्यात के लिहाज से हम काफी पीछे हैं। लेकिन दो से दो सौ तक पहुंचना और वह भी आईसीटी विनिर्माण के क्षेत्र में, भारत की बदलती परिस्थितियों और महत्वाकांक्षाओं का परिचायक है।

वैश्विक आईसीटी बाजार में भागीदारी के स्टेटिस्टा के आंकड़ों में भारत की स्थिति 2013 में नगण्य थी जबकि चीन उस समय भी 9.5 प्रतिशत पर था। 2022 में चीन लगभग 22 प्रतिशत की तरक्की करके 11.6 प्रतिशत के आंकड़े पर पहुंचा है लेकिन भारत का 2.3 प्रतिशत हिस्सा प्रतिशत के लिहाज से कई गुना अधिक ठहरेगा। हम अमेरिका, चीन और जापान आदि से बहुत पीछे हैं लेकिन विकास दर के लिहाज से पहले नंबर पर होंगे।

आईसीटी के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। यह ऐसा दौर है जब हम देश को सेमीकंडक्टर, स्मार्टफोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि क्षेत्रों में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस संदर्भ में, भारती एअरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल ने अगस्त 2022 में इंडिया @ 100 अर्थव्यवस्था शिखर सम्मेलन में जो कहा, वह मायने रखता है। श्री मित्तल ने कहा- ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे जीवनकाल में भारत विनिर्माण का केंद्र बन सकेगा।’

श्री मित्तल के बयान का निहितार्थ यह है कि भारत बदल रहा है और भारत में नए अवसर पैदा हो रहे हैं। ये अवसर सूचना प्रौद्योगिकी में किसी देश के दखल और दर्जे का तीसरा पैमाना है- कामयाबी और काबिलियत के अलावा। विश्वव्यापी आर्थिक ठहराव के दौर में किसी बड़े विकासमान देश में अवसरों का प्रस्फुटन होना बड़ी बात है। ऐसा देश पूरी दुनिया के लिए उम्मीद का सबब बन जाता है।

वैश्वीकरण के दौर में किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के यहां आने वाला बड़ा संकट या बड़ा अवसर सिर्फ़ उसी को प्रभावित नहीं करता बल्कि बाकी दुनिया को भी प्रभावित करता है। ऐसे में आईसीटी में भारत का उभार दुनिया के हित में भी है, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी प्रासंगिक है। आखिरकार एक तरफ पूरी दुनिया अपने लिए बाजार की तलाश कर रही है और दूसरी तरफ प्रतिद्वंद्वितापूर्ण आपूर्तिकर्ताओं की। हमारी सफलता वैश्विक अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर को भी प्रभावित करती है और सकारात्मक संदेश भेजती है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट इंडिया में ‘निदेशक-भारतीय भाषाएं और सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं।)

Topics: संचार तकनीक (आईसीटी)दुनिया में ‘कामयाबी’Meaning of success in IT and India 'Breakthrough' in the world of Information and Communication Technology (ICT)सू्चना
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