चीन में कोरोना संक्रमण हदें लांघ चुका है। अस्पताल ही नहीं, कब्रिस्तान भी लाशों से पटे हुए हैं। संक्रमण एक से दूसरे शहर में बेकाबू सा बढ़ता जा रहा है। चीन ने पिछले दो साल में अपने नागरिकों को चीन में बनी सिनोवैक वैक्सीन लगाई थी, लेकिन कोरोना का वर्तमान प्रकोप दिखाता है कि चीनी वैक्सीन सिनावैक चीनी माल की तरह घटिया साबित हुई है। संभवत: यही वजह है कि अब चीन भी विदेशी वैक्सीन का सहारा लेने की सोच रहा है।
चीन के दो बड़े शहर बीजिंग तथा शंघाई में कोविड संक्रमण रिकार्ड तोड़ रहा है। खबर है कि यहां के अस्पतालों और दवाई की दुकानों में जरूरी दवाएं नहीं मिल रही हैं। चीन में कोरोना का बीएफ.7 वेरिएंट भारी तबाही मचा रहा है। चीन के ताजा आंकड़े बताते हैं कि वहां एक ही दिन में लगभग तीन करोड़ संक्रमित हुए हैं।
चीन ने अपने नागरिकों को चीन में बनी सिनोवैक वैक्सीन लगाई थी, लेकिन कोरोना का वर्तमान प्रकोप दिखाता है कि चीनी वैक्सीन सिनावैक चीनी माल की तरह घटिया साबित हुई है। संभवत: यही वजह है कि अब चीन भी विदेशी वैक्सीन का सहारा लेने की सोच रहा है।
ये आंकड़ा सिर्फ चीन की ही नहीं, बल्कि दुनिया की चिंता बढ़ाने वाला है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन और संयुक्त राष्ट्र दोनों ही इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यह स्थिति कहीं एक बार फिर दुनिया को जड़ न कर दे।
लेकिन अब पता चला है कि चीन बेकाबू होते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए फाइजर कंपनी की पैक्स्लोविड वैक्सीन देने का मन बना चुका है। चीन के सरकारी मीडिया ने भी कल इस बात की पुष्टि की है कि बीजिंग और शंघाई के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में अब यही टीका लगाया जाएगा।
यहां बता दें कि चीन सरकार ने भारी जनविरोध को देखते हुए अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को स्थगित कर दिया है। संभवत: इसकी वजह से ही वहां कोरोना के मामले बेतहाशा बढ़े हैं।
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