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सांस्कृतिक जागरण का जरिया बने मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत के अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है

by अरुण कुमार सिंह
Dec 26, 2022, 06:12 pm IST
in भारत, संस्कृति
2022 की वसंत पंचमी के दिन हैदराबाद में जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की स्मृति में बनी ‘समानता की मूर्ति’ के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

2022 की वसंत पंचमी के दिन हैदराबाद में जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की स्मृति में बनी ‘समानता की मूर्ति’ के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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सदियों की परतंत्रता के बाद 1947 में देश को राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिली, किंतु सांस्कृतिक स्वतंत्रता नहीं आई। हमारे मंदिर, मठ और तीर्थस्थल उपेक्षित ही रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्थिति को बदलने का कार्य कर रहे हैं

भारत में सांस्कृतिक जागरण का एक नया अध्याय 2014 के बाद से शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत के अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर विशाल मंदिर बन रहा है। काशी विश्वनाथ गलियारे से भोले की नगरी चमक गई है। उज्जैन में महाकाल लोक के निर्माण से सनातन संस्कृति को एक नई ऊर्जा मिल रही है। केदारनाथ धाम में आद्य शंकराचार्य का स्मारक बना। हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी समानता की मूर्ति की आज हर कोई चर्चा करता है।

समानता की मूर्ति
2022 की वसंत पंचमी के दिन हैदराबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी समानता की मूर्ति (स्टैच्यू आॅफ इक्वालिटी) का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस विशाल मूर्ति के माध्यम से भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है।’’ रामानुजाचार्य को अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है।

संत रामानुजाचार्य जी के गुरु आलवन्दार यामुनाचार्य जी थे। अपने गुरु की इच्छानुसार रामानुजाचार्य जी ने ‘ब्रह्मसूत्र’, ‘विष्णु सहस्रनाम’ और ‘दिव्य प्रबंधनम’ की टीका लिखने का संकल्प लिया था। उनका कहना था कि सभी जातियां एक हैं और इसलिए उनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए और मंदिरों के कपाट सबके लिए खुलें। यही कारण है कि उनकी स्मृति में बनाई गई मूर्ति को ‘समानता की मूर्ति’ नाम दिया गया है।

‘महाकाल लोक’ का निर्माण
उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ के प्रथम चरण का कार्य पूरा हो गया है। इसका उद्घाटन 11 अक्तूबर, 2022 को प्रधानमंत्री ने किया। महाकाल मंदिर को 1235 में इस्लामी हमलावर इल्तुतमिश ने तोड़ दिया था। यह मंदिर लगभग 500 वर्ष तक भग्न अवस्था में रहा। 1734 में उज्जैन में मराठा शासक राणोजी शिंदे का शासन स्थापित हुआ। इसके बाद उन्होंने महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। मराठा शासकों ने यहां 1734 से 1863 तक निर्माण कार्य कराया। आज का महाकाल मंदिर उन्हीं मराठा शासकों द्वारा निर्मित है। 1863 के बाद महाकाल मंदिर में कोई निर्माण नहीं हुआ था। अब ‘महाकाल लोक’ के बनने से इस मंदिर की भव्यता बढ़ गई है।

संत तुकाराम मंदिर

14 जून, 2022 को प्रधानमंत्री ने पुणे के देहू गांव में संत तुकाराम की मूर्ति का लोकार्पण और उनके मंदिर का उद्घाटन किया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में भी एक मंदिर का लोकार्पण किया था।

500 वर्ष पश्चात् फहरी धर्मध्वजा
18 जून, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में 500 वर्ष बाद शिखर ध्वज फहराया। स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कल्पना कर सकते हैं कि पांच शताब्दी के बाद और स्वतंत्रता के 75 साल बीतने के पश्चात् भी मां काली मंदिर के शिखर पर ध्वजा नहीं फहरी थी। आज मां काली के शिखर पर ध्वजा फहरी है। आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं।’’ 500 वर्ष पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने इस मंदिर के शिखर को तोड़ दिया था। तभी से इस मंदिर में धर्मध्वजा नहीं फहर रही थी।

काशी विश्वनाथ गलियारा
13 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री ने काशी में श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर के गलियारे का उद्घाटन किया। अब बाबा विश्वनाथ की यह नगरी श्रद्धालुओं से भरी रहती है। 2022 में अब तक लगभग सात करोड़ श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं और मंदिर को 100 करोड़ रु. की आय हुई है।

शांति की प्रतिमा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 नवंबर, 2020 को जैन भिक्षु आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘शांति की प्रतिमा’ का अनावरण किया। 151 इंच की अष्टधातु की इस प्रतिमा को राजस्थान के पाली स्थित विजय वल्लभ साधना केंद्र में स्थापित किया गया है।

अयोध्या में श्रीराम मंदिर
हिंदू समाज के 500 वर्ष के संघर्ष और 125 वर्ष चले कानूनी दाव-पेचों के बाद 9 नवंबर, 2019 को श्री रामजन्मभूमि मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में एक अभूतपूर्व निर्णय दिया। इसके उपरांत केंद्र सरकार 5 अगस्त, 2020 को स्वयं प्रधानमंत्री के करकमलों से श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर हेतु भूमि पूजन हुआ।

करतारपुर गलियारे का उद्घाटन
प्रधानमंत्री ने 9 नवंबर, 2019 को करतारपुर गलियारे का उद्घाटन किया। इस गलियारे के कारण पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब तक आना-जाना आसान हो गया है।

सोमनाथ मंदिर परिसर
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र और समुद्र तट पर सागर दर्शन पथ का उद्घाटन किया।

केदारनाथ धाम
2013 की जबरदस्त बाढ़ में ध्वस्त हुए श्रीकेदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के तीसरे चरण का कार्य चल रहा है। पहले चरण में मंदिर के आसपास भवन बनाए गए, सड़कें बनाई गर्इं। दूसरे चरण में आद्य शंकराचार्य का स्मारक तैयार किया गया और कुछ अन्य कार्य हुए।

चारधाम परियोजना
यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार तीर्थस्थलों को जोड़ने वाली एक आधुनिक सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। सड़क के समानांतर रेलवे लाइन पर भी तीव्र गति से काम चल रहा है जो पवित्र शहर ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़ेगा, जिसकी 2025 तक चालू होने की संभावना है। बद्रीनाथ धाम के विकास का भी कार्य शुरू हो चुका है।

जम्मू-कश्मीर में मंदिरों का जीर्णोद्धार
कश्मीर में लगभग 1,842 हिंदू पूजास्थल हैं, जिनमें मंदिर, पवित्र झरने, गुफाएं और पेड़ शामिल हैं। 952 मंदिरों में से 212 ठीक हैं, जबकि 740 जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। इनको संवारने का काम चल रहा है।

Topics: चारधाम परियोजनाकरतारपुरअयोध्या में श्रीराम मंदिरजम्मू-कश्मीर में मंदिरभारत में सांस्कृतिकमंदिरों को भव्य रूपकेदारनाथ धामकाशी विश्वनाथमहाकाल लोकसंत तुकाराम मंदिर
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