भारत की बढ़ती ताकत का एक और उदाहरण देते हुए चीन के विदेश मंत्री ने अपने सालाना संबोधन में कहा कि चीन भारत के साथ रिश्ते मजबूत बनाने के लिए प्रयास तेज करेगा। यह उसी चीन के विदेश मंत्री का बयान है जो इसी महीने के मध्य में तवांग में भारत से मुंह की खा चुका है। भारतीय सीमा में अतिक्रमण करने वाले करीब 250 चीनी सैनिकों को भारत के सिर्फ 50 जवानों ने पीट—पीटकर बेहाल कर दिया था और चीनियों का षड्यंत्र असफल कर दिया था।
सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर भारत और चीन के बीच 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से कोर कमांडर स्तर की गत 20 दिसम्बर तक 17 दौर की वार्ता हो चुकी है। आखिरी दौर की वार्ता अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनियों के कदम वापस खींचने के बाद हुई थी।
अपने संबोधन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी का कहना है कि चीन भारत के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को तटस्थ और मजबूत करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा। उनका मानना है कि दोनों ही देश सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता कायम रखने को तैयार हैं। यहां बता दें कि 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से ही सीमा पर चीन ने तनाव बनाया हुआ है। चीन के विदेश संबंधों पर हुए एक सेमिनार में विदेश मंत्री वांग का कहना था कि चीन और भारत ने कूटनीतिक तथा अंतरसेना माध्यमों से संपर्क बनाया हुआ है।
उल्लेखनीय है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने पिछले दिनों वहां सत्ता में वापसी करने के बाद शी जिनपिंग को पुन: एक बार राष्ट्रपति चुना है। इसके बाद से ही चीन भारत के प्रति बेवजह आक्रामक तेवर अपनाता दिखाई दिया है। वांग यी का चीन-भारत संबंधों को लेकर ऐसा बयान देना एक तरफ तो भारत की बढ़ती ताकत का परिचायक माना जा सकता है, लेकिन दूसरी तरफ चीन की चालाकी की एक और झलक भी माना जा सकता है। यह वही चीन है जिसने 2020 में गलवान में अतिक्रमण करने वाले चीनी सैनिकों के कमांडर को ‘नेशनल हीरो’ का दर्जा दिया था।
अगर चीन को लगता है कि ‘भारत के साथ संबंधों में मजबूती लाने’ की बात करने भर से भारत के रणनीतिकार मीठी बातों के झांसे में आ जाएंगे तो यह उसकी गलतफहमी ही कही जाएगी। ये वही वांग हैं जो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के साथ भारत-चीन सीमा तंत्र में विशेष प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हैं। हालांकि फिलहाल, यह तंत्र दोनों देशों के बीच सीमा पर चले आ रहे तनाव के चलते बेअसर ही बनाकर रखा गया है।
चीन ने भारत के साथ वर्तमान विवाद को तब जन्म दिया था जब अप्रैल 2020 में उसने पूर्वी लद्दाख में भारत की सीमा लांघकर इलाका कब्जाने की कोशिश की थी। तबसे ही बने आ रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने की गरज से दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की 17 दौर की बातचीत तो हो चुकी है जिसका अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है। इसके पीछे चीन की धूर्तता मानी जाती है जो बातचीत में अपने किए वादों से मुकरता रहा है।
यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि चीन की जिनपिंग सरकार अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान के गठजोड़ वाले ‘क्वाड’ का विरोध करती रही है। इतना ही नहीं, चीन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा यूके के बीच बने रणनीतिक संगठन ‘आकुस’ का भी घोर विरोधी है, क्योंकि वह इन दोनों संगठनों को अपनी साजिशों के लिए खतरा मानता है।
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