छत्तीसगढ़ के जशपुर में पत्थलगांव स्थित किलकिला शिव मंदिर प्रांगण में हिंदुत्व का विशाल सम्मेलन हुआ, जहां 50 परिवार के सैकड़ों लोगों ने घर वापसी कर हिंदू धर्म को स्वीकार किया। सम्मेलन का कार्यक्रम वरिष्ठ संतों व अखिल भारतीय घर वापसी प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के नेतृत्व में किया गया।
पत्थलगांव के धर्मनगरी किलकिलेश्वेर धाम में क्षेत्रीय आर्य समाज, किलकिलेश्वर धाम ट्रस्ट, गायत्री परिवार, संत गहिरा समाज, अलेख महिमा, धर्म जागरण समन्वय छत्तीसगढ़, एवं विश्व हिन्दू परिषद बजरंग के संयुक्त तत्वावधान में हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती के 96वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य पर संत सम्मलेन एवं विश्व कल्याण महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें माता पुजारी, जानीया, गुनिया, बैगा, गांवों के संत समेत भजन-कीर्तन मण्डलियों से आए हिंदू समाज के बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
इस दौरान प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने किलकिला मंदिर में भगवान शिव की आराधना की। उसके बाद मंदिर के श्री-श्री 1008 कपिलदास मुनि बाबा से आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, हिंदू सम्मेलन में शुद्धि यज्ञ के बाद प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने सैकड़ों लोगों का गंगाजल से चरण धोकर पुन: हिन्दू धर्म में वापसी कराया। इस दौरान मुनि बाबा ने कहा कि स्व. दिलीप सिंह जूदेव द्वारा चलाए गए घर वापसी अभियान की कमान प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने हाथों में लेकर बड़ी ही निष्ठापूर्वक और प्रखरता से आगे बढ़ाया है।
इस दौरान प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने जय श्रीराम के नारे के साथ अपने उद्बोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि इस महान राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में शामिल होने के लिए मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं, जब तक हमारे बिछड़े हिंदुओं की हम घर वापसी नहीं कराएंगे, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद नहीं होते तो पूरे भारत में मतांतरण हो जाता, लेकिन उन्होंने अपना जीवन समर्पण कर दिया और हिंदुओं को एक करने के लिए हमेशा लगे रहे। मेरे पिताजी स्व दिलीप सिंह जूदेव के इस घर वापसी के कार्यक्रम को मैं चलाता आ रहा हूं, जिसमें मेरा साथ देने के लिए मैं आप सभी का आभारी हूं। जूदेव ने कहा हिंदुत्व किसी जाति का नहीं राष्ट्रीयता का प्रतीक है। इतिहास गवाह है जहां हिंदू घटा है देश बटा है। इसीलिए हिंदू बचाना मंदिर बनाने से भी बड़ा कार्य है क्योंकि हिंदू ही मंदिर बनाएगा मंदिर हिंदू नहीं। अंत में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि मैं विरोधियों को चुनौती देता हूं ये मतांतरण का घिनौना कार्य बंद कर दो अन्यथा इसका दूरगामी परिणाम विचारणीय होगा।
सम्मेलन में प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के साथ श्री-श्री 1008 महंत कपीलदास मुनि बाबा, अध्यक्ष सनातन संत सभा कैलासगुफ़ा संत बर्बूरुवाहान महाराज, हिंदू आचार्य राकेश गुरुकुल तुरंगा, अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष छग महंत त्रिवेणीदास महाराज, आचार्य स्वामी अशोकानंद महाराज, राजकुमार चंद्रा, रोहित शास्त्री, उरांव समाज जिलाध्यक्ष डॉ बीएल भगत, सुरेंद्र बेसरा, दीपक शर्मा, कपिल शास्त्री एवं अन्य कई लोग रहे।
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