अफगानिस्तान में अगस्त 2021 को सत्ता में आए तालिबान ने वादा किया था कि पिछली सरकार के अधीन रहे रक्षाकर्मियों और अधिकारियों को आम माफी दी जाएगी, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन लड़ाकों का वह वादा खोखला ही साबित हुआ है। देश के कई प्रांतों, जैसे गजनी, हेलमंड, कंधार तथा कुंदुज से पूर्व सुरक्षा अधिकारियों की हत्या की खबरें लगातार आती रही हैं। ये हत्याएं बड़े रहस्यमय तरीके से की गई हैं जिनका किसी को कोई सुराग तक नहीं मिला। ऐसे ही कुछ मामले खोस्त, पक्तिया आदि प्रांतों में भी देखने में आए हैं।
इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें हुए खुलासे चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट सिलसिलेवार तरीके से दिखाती है कि पूर्व सुरक्षा अधिकारी लगातार अपनी जानें गंवा रहे हैं। माफी नहीं, उनके साथ हैवानियत बरती जा रही है।
अफगानिस्तान की प्रमुख समाचार एजेंसी द खामा ने सरकार के अंदर के कुछ सूत्रों के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी है। एजेंसी ने खबर दी है कि काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने जो घोषणा की थी कि पिछली सरकार के अंतर्गत सुरक्षा संस्थाओं में जिन्होंने काम किया था ऐसे सभी अफगानी सैन्य कर्मियों को न गिरफ्तार किया जाएगा, न प्रताड़ित किया जाएगा और न ही सजा दी जाएगी।
लेकिन ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट है कि तालिबान राज में पूर्व सरकारी अधिकारियों तथा सैन्य अधिकारियों की बड़े रहस्यमय तरीके से हत्याएं जारी हैं। बताया गया है कि तालिबान ने अपने गुप्तचर अभियानों और पिछली सरकारों के डाटा के अनुसार लक्ष्य तय किए हुए हैं कि किनको गिरफ्तार करना है और किनको रास्ते से हटाना है।
गत नवंबर माह में उक्त संगठन की ही रिपोर्ट में बताया गया था कि अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा बल के 47 पूर्व सदस्यों के आत्म समर्पण तथा गिरफ्तारी का डाटा तैयार किया गया था। इन लोगों ने 2021 में 15 अगस्त—31 अक्तूबर के बीच आत्मसमर्पण किया था। इनमें से कुछ को तालिबान लड़ाकों ने हिरासत में ले लिया था।
रिपोर्ट में कुल 67 लोगों से बात की गई है। इनमें से ज्यादातर गजनी, हेलमंड, कुंदुज़ तथा कंधार प्रांत के हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान लड़ाकों ने 2021 में 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद, तीन महीनों के अंदर ही उक्त चार प्रांतों में सौ से ज्यादा पूर्व सैन्य अधिकारियों की हत्या कर दी थी या वे ‘लापता’ हो गए थे।
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