सावरकर जी ने कहा, ‘‘आप तो वीर भूमि मेरठ के निवासी हैं।’’ हमने कहा, ‘‘हम गोवा मुक्ति संग्राम में भाग लेने जा रहे हैं। आपका आशीर्वाद लेने आए हैं।’’ वे एकाएक गंभीर हो गए। बोले- ‘‘गोवा को पुर्तगालियों के चंगुल से मुक्त कराने का कार्य तो हमारी सरकार को करना चाहिए था।
वर्ष 1955 की बात है। हम मेरठ से सत्याग्रहियों का एक जत्था लेकर गोवा जा रहे थे। इस जत्थे में गजाधर तिवारी वैद्य, महावीर प्रसाद शशि, रामनिवास गोयल तथा हरिजन नेता देवी दयाल सेन व कई अन्य व्यक्ति थे। बंबई पहुंचने पर अपने प्रेरणा स्रोत तथा महान क्रांतिकारी स्वातंत्र्य वीर सावरकर जी का आशीर्वाद लेने सावरकर सदन पहुंचे। सावरकर जी के निजी सचिव बालाराव सावरकर ने उनसे हमारा परिचय कराया।
मेरठ का नाम सुनते ही सावरकर जी ने कहा, ‘‘आप तो वीर भूमि मेरठ के निवासी हैं।’’ हमने कहा, ‘‘हम गोवा मुक्ति संग्राम में भाग लेने जा रहे हैं। आपका आशीर्वाद लेने आए हैं।’’ वे एकाएक गंभीर हो गए। बोले- ‘‘गोवा को पुर्तगालियों के चंगुल से मुक्त कराने का कार्य तो हमारी सरकार को करना चाहिए था। वहां सेना भेजकर यह राष्ट्रीय कार्य सम्पन्न किया जा सकता था।’’ फिर कुछ देर रुककर बोले, ‘‘आप लोग सशस्त्र पुर्तगालियों का सामना निहत्थे कैसे करोगे? जाना ही था तो शस्त्र लेकर जाते।’’ फिर कुछ देर मौन रह कर बोले, ‘‘वैसे राष्ट्रीय कार्य में जा रहे हो। मेरी शुभकामनाएं आप लोगों के साथ हैं।
गोवा किसी भी तरह स्वाधीन होना चाहिए।’’सावरकर जी के इन शब्दों में सैन्य शक्ति के उपयोग के बारे में उनकी दृढ़ भावना परिलक्षित हो रही थी। मुझे 1944 में किया उनका आह्वान याद आ गया, जब उन्होंने अधिक से अधिक हिंदुओं को सेना में भर्ती होने की प्ररेणा दी थी। उस समय कांग्रेसी नेताओं ने उनके इस निर्णय का विरोध किया तो उन्होंने कहा था, ‘‘अंग्रजों की भारतीय सेना में यदि हिंदुओं का बाहुल्य रहा तो वे समय आने पर अपनी बंदूकें साम्राज्यवादियों के खिलाफ तान सकते हैं। यही हिंदू सैनिक भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सेनानी सिद्ध होंगे।’’इसके बाद सावरकर जी ने भविष्यवाणी की थी यदि भविष्य में जिन्ना आदि भारत विभाजन के षड्यंत्र में सफल हो गए, तब भी हिंदू सैनिक अपनी अहम भूमिका अदा कर सकेंगे।
1962 में चीन ने भारत पर हमला किया तो हमें पांच वर्ष पहले वीर सावरकर जी द्वारा की गई भविष्यवाणी याद आ गई। आज देश असम की भयावह स्थिति से चिंतित हैं। सावरकर जी ने 1960 में ही इस खतरे की भविष्यवाणी कर दी थी। असम में घुसपैठ करके उसे मुस्लिम बहुल बनाकर पाकिस्तान में मिलाने का षड्यंत्र चल रहा है। वीर सावरकर देश को सैनिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली देखना चाहते थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सावरकर जी की प्रेरणा से विदेश जाकर आजाद हिंद फौज की स्थापना करने के बाद कहा था, ‘‘सावरकर जी का यह आह्वान आज हमारे लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। हमारी आजाद हिंद सेना में अंग्रेजों की फौज के भारतीय सैनिक ही तो भर्ती हो रहे हैं।’’ इसके बाद भारत विभाजन के समय भी हिंदू सैनिकों के कारण लाखों हिंदुओं के प्राणों की रक्षा संभव हो पाई थी। सामाजिक क्रांति के अग्रदूत मेरे जीवन को जिन दो महापुरुषों ने सर्वाधिक प्रभावित किया उनमें एक थे महर्षि दयानंद सरस्वती तथा दूसरे वीर सावरकर।
छात्र जीवन में ही मैंने चंद्रगुप्त वेदालंकार लिखित ‘वीर सावरकर’ जीवनी पढ़ी थी। इसे पढ़ने के बाद मुझे लगा कि एक महान क्रांतिकारी देशभक्त एक महान समाज सुधारक भी हो सकता है। सावरकर जी शायद पहले क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अस्पृश्यता जैसे कलंक के खिलाफ न केवल दृढ़तापूर्वक आवाज बुलंद की थी, बल्कि रत्नागिरी में एक ऐसे मंदिर की स्थापना की थी जिसका पुजारी एक वाल्मिकि (हरिजन) था। उन्होंने अंदमान में बंदी रहते हुए भी हिंदी के प्रचार के साथ विधर्मी बनाए गए बंदियों को शुद्ध करके हिंदूधर्म में दीक्षित करके शुद्धि की पावन गंगा प्रवाहित की थी।
महर्षि दयानंद सरस्वती तथा वीर सावरकर के विचारों से प्रभावित होकर मैं आर्य समाज के साथ-साथ हिंदू महासभा के माध्यम से अस्पृश्यता निवारण के हिंदू संगठन के कार्य में सक्रिय हुआ। बुद्ध की जगह युद्ध1957 में दिल्ली में 1857 स्वातंत्र्य समर की शताब्दी मनाई गई तो उस ऐतिहासिक समारोह की अध्यक्षता करने वीर सावरकर जी पधारे थे। उस समय उन्होंने अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा था, ‘‘आज स्वाधीन भारत को बुद्ध या युद्ध में से एक को चुनना होगा। चीन व पाकिस्तान हमारे लिए चुनौती बने हुए हैं।’’
1962 में चीन ने भारत पर हमला किया तो हमें पांच वर्ष पहले वीर सावरकर जी द्वारा की गई भविष्यवाणी याद आ गई। आज देश असम की भयावह स्थिति से चिंतित हैं। सावरकर जी ने 1960 में ही इस खतरे की भविष्यवाणी कर दी थी। असम में घुसपैठ करके उसे मुस्लिम बहुल बनाकर पाकिस्तान में मिलाने का षड्यंत्र चल रहा है। वीर सावरकर देश को सैनिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली देखना चाहते थे। उनके इस सपने को पूरा करके ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित कर सकते है।
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