सदियों की परतंत्रता के बाद 1947 में देश को राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिली, किन्तु सांस्कृतिक स्वतंत्रता नहीं आई। हमारे मन्दिर, मठ और तीर्थस्थल उपेक्षित ही रहे। इस स्थिति को बदलने का कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख और प्रेरणा से देश-विदेश में स्थित प्रचीन मन्दिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यह क्यों किया जा रहा है, इसका उत्तर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दिनों काशी में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हम विश्व में फैली अपनी सभ्यता को संरक्षित और भव्य रूप देना चाहते हैं।
विदेश स्थित मन्दिरों का जीर्णोद्धार
इस समय भारत सरकार कंबोडिया स्थित अंकोरवाट मन्दिर का जीर्णोद्धार करा रही है। बता दें कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मन्दिर है। इसका निर्माण सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल (1112-53) में हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस मन्दिर के दर्शन के लिए गए थे। भारत सरकार के प्रयासों से श्रीलंका स्थित थिरूकेतीश्वरम मन्दिर का भी जीर्णोद्धार हुआ है। अब यह मन्दिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है, जो 12 वर्ष से बंद था। ऐसे ही 2014 में जब प्रधानमंत्री नेपाल गए तो उन्होंने काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर में न केवल पूजा-पाठ किया, बल्कि उसके जीर्णोद्धार के लिए 25 करोड़ रु. देने की घोषणा की। इसके बाद भारतीय भारतीय पुरातत्व विभाग और नेपाल के पुरातत्व विभाग न संयुक्त रूप से मन्दिर का जीर्णोद्धार किया। अब प्रधानमंत्री ने नेपाल को रामायण सर्किट बनाने के लिए 200 करोड़ रु. देने की बात कही है। मुस्लिम देश बहरीन के मनामा स्थित 200 वर्ष पुराने श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) मन्दिर का भी भारत जीर्णोद्धार करा रहा है। इसके लिए 25 अगस्त, 2019 को नरेंद्र मोदी ने 42 लाख डॉलर की परियोजना का शुभारंभ किया था। कहा जा रहा है कि जल्दी ही यहाँ काम पूरा हो जाएगा।
मुस्लिम देश में हिन्दू मन्दिर
यह बदलते हुए भारत का ही द्योतक है कि मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक भव्य और दिव्य मन्दिर का शुभारंभ 4 अक्तूबर, 2022 को हुआ। विजयादशमी से ठीक एक दिन पहले इस मन्दिर का उद्घाटन यूएई के सहिष्णुता और सहअस्तित्व मंत्री शेख नाहन बिन मुबारक अल नाहयान ने किया। 5 अक्तूबर से यह मन्दिर भक्तों के लिए खोल दिया गया है। अब प्रतिदिन इस मन्दिर के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुँच रहे हैं।
प्रधानमंत्री के प्रयासों से ही अबूधाबी में स्वामिनारायण संस्था का एक मन्दिर 20,000 वर्ग मीटर भूमि पर बन रहा है। अबूधाबी से मन्दिर स्थल अलवाकबा लगभग 30 मिनट की दूरी है।
भारत में नव जागरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत के भी अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही संतों के नाम पर मन्दिर और समाधियाँ बनाई जा रही हैं। जैसे संत रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी समानता की मूर्ति आदि को ले सकते हैं।
समानता की मूर्ति
2022 की वसंत पंचमी के दिन हैदराबाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संत रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी समानता की मूर्ति (स्टैचू ऑफ इक्वालिटी) का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के माध्यम से भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है। 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण कर समानता और सामाजिक न्याय का संदेश दिया था। उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है। संत रामानुजाचार्य जी के गुरु आलवन्दार यामुनाचार्य जी थे। अपने गुरु की इच्छानुसार रामानुजाचार्य जी ने ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखने का संकल्प लिया था। इसके लिए उन्होंने गृहस्थाश्रम त्यागकर श्रीरंगम के यदिराज संन्यासी से संन्यास की दीक्षा ली थी। इसके बाद वे समाज से ऊँच-नीच का भेद मिटाने के लिए निकल पड़े। उनका कहना था कि सभी जातियाँ एक हैं और इसलिए उनके साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए और मंदिरों के कपाट सबके लिए खुलें। यही कारण है कि उनकी स्मृति में बनाई गई मूर्ति को ‘समानता की मूर्ति’ नाम दिया गया है। श्री रामानुजाचार्य जी ने वैष्णव धर्म के प्रचार के लिए भी भारत का भ्रमण किया। वे इस धरा पर 120 वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम समय तक उन्होंने सामाजिक एकता और समरसता पर जोर दिया और 1137 में ब्रह्मलीन हो गए।
‘महाकाल लोक’ का निर्माण
उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ के प्रथम चरण का कार्य पूरा हो गया है। इसका उद्घाटन 11 अक्तूबर, 2022 को प्रधानमंत्री ने किया है। बता दें कि महाकाल मन्दिर को 1235 में इस्लामी हमलावर इल्तुतमिश ने तोड़ दिया था। यह मन्दिर लगभग 500 वर्ष तक भग्न अवस्था में रहा। 1734 में उज्जैन में मराठा शासक राणोजी शिंदे का शासन स्थापित हुआ। इसके बाद उन्होंने महाकाल मन्दिर का पुनर्निर्माण कराया। मराठा शासकों ने यहाँ 1734 से 1863 तक निर्माण कार्य कराया। आज का महाकाल मन्दिर उन्हीें मराठा शासकों द्वारा निर्मित है। 1863 के बाद महाकाल मन्दिर में कोई निर्माण नहीं हुआ था। अब महाकाल लोक के दूसरे चरण का कार्य चल रहा है।
संत तुकाराम मन्दिर
14 जून, 2022 को प्रधानमंत्री ने पुणे के देहू गाँव में संत तुकाराम की मूर्ति का लोकार्पण और उनके मन्दिर का उद्घाटन किया। महराष्ट्र में संत तुकाराम बहुत ही प्रसिद्ध हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में भी एक मन्दिर का लोकार्पण किया था।
500 वर्ष पश्चात् फहरी धर्मध्वजा
18 जून, 2022 का दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में 500 वर्ष बाद शिखर ध्वज फहराया। यह कोई साधारण घटना नहीं थी। स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कल्पना कर सकते हैं कि पाँच शताब्दी के बाद और स्वतंत्रता के 75 साल बीतने के पश्चात् भी माँ काली मन्दिर के शिखर पर ध्वजा नहीं फहरी थी। आज माँ काली के शिखर पर ध्वजा फहरी है। आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं।’’ बता दें कि 500 वर्ष पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने इस मंदिर के शिखर को तोड़ दिया था। तभी से इस मन्दिर में धर्मध्वजा नहीं फहर रही थी।
काशी विश्वनाथ गलियारा
13 दिसम्बर, 2021 को प्रधानमंत्री ने काशी में श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर के गलियारे का उद्घाटन किया। अब बाबा विश्वनाथ की यह नगरी श्रद्धालुओं से भरी रहती है। 2022 में अब तक लगभग सात करोड़ श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं और मन्दिर को 100 करोड़ रु. की आय हुई है।
शांति की प्रतिमा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 नवंबर, 2020 को जैन भिक्षु आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती समारोह के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘शांति की प्रतिमा’ का अनावरण किया। 151 इंच ऊँची अष्टधातु प्रतिमा को राजस्थान के पाली स्थित विजय वल्लभ साधना केंद्र में स्थापित किया गया है।
अयोध्या में श्रीराम मन्दिर
हिन्दू समाज के 500 वर्ष के संघर्ष और 125 वर्ष की कानूनी दाव-पेचों के बाद 9 नवंबर, 2019 को श्री रामजन्मभूमि मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में एक अभूतपूर्व व अप्रत्याशित निर्णय दिया। इसके उपरांत केंद्र सरकार ने संसदीय कानून के माध्यम से न केवल ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ नामक स्वायत्तशासी न्यास का गठन किया, बल्कि 5 अगस्त, 2020 को स्वयं प्रधानमंत्री के करकमलों से श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर हेतु भूमि पूजन हुआ। इन दिनों दिन-रात मन्दिर निर्माण का कार्य चल रहा है। कहा जा रहा है कि जनवरी, 2024 तक श्रीराम मन्दिर बन जाएगा।
करतारपुर गलियारे का उद्घाटन
प्रधानमंत्री ने 9 नवंबर, 2019 को करतारपुर गलियारे का उद्घाटन किया। इस गलियारे के कारण पंजाब के गुरदासपुर जिले स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब तक आना-जाना आसान हो गया है।
सोमनाथ मंदिर परिसर
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण हेतु कई परियोजनाएं शुरू कीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र व समुद्र तट पर सैरगाह का भी उद्घाटन किया।
केदारनाथ धाम
सन् 2013 की बाढ़ की विभीषिका में ध्वस्त हुए श्रीकेदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण की दिशा में भी केंद्र सरकार ने त्वरित व सराहनीय कदम उठाए। इन दिनों यहाँ भी तीसरे चरण का कार्य चल रहा है। पहले चरण में मन्दिर के आसपास भवन बनाए गए, सड़कें बनाई गईं। दूसरे चरण में आद्य शंकराचार्य की समाधि तैयार की गई और कुछ अन्य कार्य हुए। कुछ समय में केदारनाथ धाम का भव्य रूप सामने आएगा।
चारधाम परियोजना
यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार तीर्थस्थलों को जोड़ने वाली एक आधुनिक और सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। सड़क के समानांतर रेलवे लाइन पर भी तीव्र गति से काम चल रहा है जो पवित्र शहर ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़ेगा, जिसकी 2025 तक चालू होने की संभावना है। बद्रीनाथ धाम के विकास का भी कार्य शुरू हो चुका है।
जम्मू-कश्मीर में मन्दिरों का जीर्णोद्धार
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की विदाई के बाद जिहादियों द्वारा ध्वस्त मठ-मंदिरों और आश्रमों के पुनरुद्धार की दिशा में भी केंद्र सरकार ने सराहनीय कदम उठाए हैं। साथ ही विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास हेतु भी पहल की है। कश्मीर में लगभग 1,842 हिंदू पूजास्थल हैं जिनमें मंदिर, पवित्र झरने, गुफाएं और पेड़ शामिल हैं। 952 मंदिरों में से 212 चल रहे हैं, जबकि 740 जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। इनको संवारने का काम चल रहा है।
संत रविदास जयंती और मोदी
16 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी संत रविदास की जयंती पर नई दिल्ली के करोलबाग स्थित संत रविदास मंदिर पहुंचे। वहाँ उन्होंने कीर्तन कर रही महिलाओं से वाद्ययंत्र लेकर भजन किया। ऐसे ही महर्षि वाल्मीकि जयंती हो या बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती हो या स्वामी रामकृष्ण परमहंस की, महर्षि अरविन्द की हो या स्वामी विवेकानंद की, जनजातीय वीर बिरसा मुंडा हों या मणिपुर की रानी गाइदिन्ल्यू की, प्रधानमंत्री कुछ न कुछ नया अवश्य करते हैं।
बौद्ध सर्किट का निर्माण
दुनियाभर के बौद्ध मतावलंबी भारत आ सकें, इसके लिए प्रधानमंत्री ने बौद्ध सर्किट का निर्माण करवाया। महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाणस्थली कुशीनगर में बने हवाई अड्डा का उद्घाटन भी उन्होंने किया। उल्लेखनीय है कि कुशीनगर बौद्ध सर्किट के अंतर्गत आता है, जिसमें नेपाल के लुंबिनी से लेकर बिहार के बोधगया तक का क्षेत्र शामिल है।
विदेश से लाईं मूर्तियाँ
मोदी सरकार बनने के बाद से 150 से अधिक मूर्तियाँ विदेश से वापस आईं। जो मूर्तियाँ वापस आईं उनमें उल्लेखनीय हैं मध्य प्रदेश से चोरी हुई पैंटेंट लेडी, कश्मीर से दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, तमिलनाडु से चोरी हुई परमेश्वरी व गणेश की प्रतिमा, श्री देवी, पार्वती, भूदेवी, आदि की प्रतिमाएँ भी हैं।
अंत में यही कहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में सांस्कृतिक अलख जगाने का ही परिणाम है कि भारतीय राजनीति की दिशा और दशा बदल गई है। पंथनिरपेक्षता की आड़ में जो नेता भगवान राम का नाम लेने वालों से पहले चिढ़ते थे फिर कतराते थे, अब वही मन्दिरों में घंटियां बजाने का नाटक करने लगे हैं। निहत्थे रामभक्तों को गोलियों से भूनकर स्वयं को गौरवान्वित समझने वाले भी अब अपने को भगवान कृष्ण का वंशज बताने लगे हैं। धर्म को अफीम मानने वाले वामपंथियों को तो ठौर ही नहीं मिल रहा है। अब वास्तव में भारत सांस्कृतिक अभ्युदय की ओर है।
टिप्पणियाँ